देश के सबसे बड़े राज्य उत्त‘र प्रदेश में अगले वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव अभी से गजब की सूर्खियां बटोर रहा हैं। कभी कांग्रेस का खाट लूट तो कभी समाजवादी परिवार में बिखराव की चर्चा हर तरफ जोरों पर है। बीच-बीच में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं द्वारा छोड़े जाने वाले शिगूफे भी यह बताने के लिए काफी है कि शायद उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुत करीब है। सबके बावजूद सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजरें उस शख्शियत पर टिकी है जो गैर-राजनीतिक होते हुए सबसे ज्यादा ‘पोलिटिकल-इलिजिबल’ माना जा रहा है। उस शख्शियत की चर्चा हर दो-चार साल बाद यह कहते हुए कर दी जाती है-‘इस बार उनका राजनीति में आना तय है।’ पर वह होता नहीं है। विभिन्न कारणों से हर बार समर्थकों के दावे फेल हो जाते हैं। हम चर्चा कर रहे हैं प्रियंका गांधी की। यूपी इलेक्शन से पहले फिर यह चर्चा जोर मार रही है कि कांग्रेस प्रियंका गांधी को तुरूप के इक्के की तरह पेश करने की तैयारी में है। इसका संकेत यूपी चुनाव के बाबत 24 अक्टूबर को दिल्ली में हुई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की आधिकारिक बैठक में भी मिला। उक्त बैठक में प्रियंका गांधी ने भी पहली बार सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रचार की जानकारी ली। इसी के साथ एकबार फिर से उनके आने वाले चुनावों में बड़ी भूमिका निभाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। यह बैठक कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने बुलाई थी। सबलोग जानते हैं कि कांग्रेसी खेमे से उठने वाला यह नारा आम है-‘देश में डंका, बहन प्रियंका।’ लेकिन हर बार प्रियंका गांधी अपने समर्थकों को मायूस कर देती हैं। हालांकि यूपी चुनाव के मद्देनजर फिर से गूंजने लगा है-‘यूपी में डंका, बहन प्रियंका।’ अब सवाल यह है कि क्या प्रियंका गांधी इस बार अपने समर्थकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए सूबे की सियासत में अपना डंका बजाएंगीं? यदि वो यूपी की राजनीति में कदम रखती हैं तो बेशक बहुत बड़ा सियासी घटनाक्रम होगा, जिसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम होंगे।
कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं की माने तो प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का नेतृत्व करने जा रही हैं। प्रियंका पहली बार अमेठी और रायबरेली से बाहर भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगी। साथ ही वे सक्रिय राजनीति में कदम भी रखेंगी। हालांकि उनके चुनाव लड़ने पर संशय है। क्योंकि वो अक्सर राजनीति में आने की आशंकाओं से खुद इनकार करती रही हैं। यह अलग बात है कि लंबे समय से देश के विभिन्न क्षेत्रों से कांग्रेस के अलग-अलग नेता-कार्यकर्ता प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने की मांग करते रहे हैं। गाहे-बगाहे यूपी से भी प्रियंका के समर्थन में पोस्टर-बैनर सामने आते रहे हैं। जानकार बताते हैं कि अगर प्रियंका गांधी राजनीति में आती हैं तो यह कांग्रेस के लिए संजीवनी के साथ ही मास्टकर स्ट्रोक भी साबित हो सकता है। दरअसल, प्रियंका गांधी अबतक अमेठी और रायबरेली में चुनाव प्रचार करती रही हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को जिताने का जिम्मा उन्हीं पर होता है। यहां के अलावा वह कहीं प्रचार नहीं करतीं। अगर वे सक्रिय राजनीति में आती हैं तो कांग्रेस को नया चेहरा मिलेगा। यूपी के कार्यकर्ता और नेता कई बार प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग कर चुके हैं। इससे लगता है कि अगर उन्हें लाया जाता है तो यूपी कांग्रेस में जान आ जाएगी। कांग्रेस वर्कर्स में प्रियंका को लेकर उत्साह भी है। उनके नाम पर सभी खेमे एकमत हैं। अक्सर यह भी कहा जाता है कि प्रियंका में उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि दिखती है। उनके भाषण देने की शैली भी इंदिरा जैसी ही है। आम जनता कांग्रेस के अन्य नेताओं की अपेक्षा प्रियंका के भाषणों से जल्दी जुड़ाव महसूस करती है।
बताते हैं कि प्रियंका गांधी अक्सर रायबरेली के गांवों में आती-जाती रहती हैं। वहां पर वो आसानी से लोगों से घुल-मिल जाती हैं। कुछ इसी तरह की आदत इंदिरा गांधी की भी थी। आम चुनाव और इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों से साफ हो चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमलों का जवाब ठीक से कांग्रेस के नेता नहीं दे पा रहे हैं। कहते हैं कि प्रियंका इस काम को बखूबी निभा सकती हैं। राजनीति के जानकार तो यहां तक कहते हैं कि जिस तरह से आम चुनाव में देश की जनता मोदी से जुड़ी थी, उसी तरह यूपी भी प्रियंका के साथ जा सकता है। यूपी में जहां बसपा प्रमुख मायावती अपनी पार्टी की ओर से सीएम पद की दावेदार होंगी तो भाजपा में रीता बहुगुणा जोशी का नाम चल रहा है। ऐसे में अगर कांग्रेस प्रियंका के नाम के साथ मैदान में उतरती है तो उसे फायदा ही होगा। हालांकि प्रियंका के आने से रॉबर्ट वाड्रा को लेकर चल रहे मामले में भाजपा के हमले तेज हो सकते हैं। वैसे भाजपा के लोग अभी चुटकी लेने लगे हैं कि प्रियंका को चुनाव मैदान उतारने का कांग्रेस का संभावित फैसला यह दर्शाता है कि राहुल गांधी फेल हो चुके हैं। भाजपा प्रवक्ता सम्बित पात्रा कहते हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में परिवार ही पार्टी है। इसलिए नेतृत्व की खोज भी सिर्फ गांधी परिवार तक ही सीमित रहती है। वैसे रिपोर्ट्स बताते हैं कि कांग्रेस ने उत्तरृ प्रदेश विधानसभा चुनावों के प्रचार की जिम्मेरदारी प्रियंका गांधी को सौंपने का फैसला कर लिया है। शायद इस बाबत सोनिया गांधी की सहमति के बाद ही पार्टी प्रभारी और महासिचव गुलाम नबी आजाद ने कई माह पूर्व प्रियंका गांधी से मुलाकात कर उन्हें यह प्रस्ताव सौंपा था। कहा जा रहा है कि प्रियंका ने आजाद का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
उक्त घटनाक्रम के बाद ही राज्य सभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा.संजय सिंह को यूपी चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया था। कांग्रेस से जुड़े लोग बताते हैं कि डा.संजय सिंह को यह बड़ी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के कहने पर ही दी गई थी। इसमें कोई शक नहीं कि डा.संजय सिंह में अप्रतिम ऊर्जा और अदम्य साहस है। अब उन्होंने (डा.संजय सिंह) यूपी में बौद्धिक क्षमता का प्रयोग कर अपना जलवा दिखाना शुरू भी शुरू कर दिया है। डा.संजय सिंह ने जबसे प्रचार अभियान समिति की कमान संभाली है तबसे कांग्रेस की चर्चाएं भी चौक-चौराहों पर होने लगी हैं। शायद प्रियंका गांधी को इसी की जरूरत थी, जिसे डा.संजय सिंह ने पूरा कर दिया है। इसलिए यह समझा जा रहा है कि प्रियंका गांधी का सियासत में आना तकरीबन तय है। हालांकि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता। किसी भी समय कुछ भी हो सकता है। सबके बावजूद कांग्रेस के प्रवक्ता आरपीएन सिंह कहते हैं कि प्रियंका जी रायबरेली और अमेठी में प्रचार करती रही हैं। वह सांगठनिक गतिविधियों के बारे में जानकारी रखती हैं। रायबरेली और अमेठी से बाहर प्रचार और पार्टी में भूमिका को लेकर फैसला उन्हें करना है। यूपी में काफी लोगों ने उनसे बड़ी भूमिका निभाने को कहा है। वहीं शीला दीक्षित का मानना है कि वह प्रियंका के यूपी में प्रचार करने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। उनके प्रचार से बड़ा सकारात्म क असर पड़ेगा। उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े दलित नेता और यूपी कांग्रेस के उपाध्यक्ष दीपक कुमार कहते हैं कि बहन प्रियंका गांधी का यूपी की सियासत में कदम रखना बहुत बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होगा, जिसका सकारात्मक असर आसन्न विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा। बहरहाल, अब देखना है कि पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के मनोनुकूल प्रियंका गांधी राजनीति में आती हैं अथवा नहीं और यदि आती हैं तो क्या करती हैं?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित स्तंभकार हैं। इनसे फोन नम्बर- +91-8922002003 पर संपर्क किया जा सकता है।)
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