पणजी। सुभाष वेलिंगकर को आरएसएस की राज्य इकाई के प्रमुख पद से हटाने पर संघ के 400 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि इसके साथ ही इन सभी ने एक अलग ईकाई बनाने की भी घोषणा कर दी। नई ईकाई का संचालन सुभाष ही करेंगे। संघ से इस्तीफा देकर नई ईकाई बनाने वाले कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस नए संगठन का नागपुर से कोई लेना-देना नहीं होगा। कम से कम अगले साल चुनाव तक यह संगठन नागपुर से कोई संबंध नहीं रखेगा। बता दें कि आरएसएस से जिन 400 लोगों ने इस्तीफा दिया, उनमें जिला, उप जिला और शाखा प्रमुख शामिल हैं। संघ ने वेलिंगकर को बीजेपी के खिलाफ काम करने के आरोप में पद से हटा दिया था, जिसके बाद 400 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। पणजी के स्कूल कॉम्पलेक्स में छह घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद एक साथ इतने कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देने का फैसला किया। इस बैठक में संघ के 100 से ज्यादा सदस्य और पदाधिकारी मौजूद थे।
बैठक में संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पर भी यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने वेलिंगकर को हटाने की साजिश रची। इस बैठक के बाद संघ के कोंकण क्षेत्र के साउथ डिस्ट्रिक्ट प्रमुख रामदास सराफ ने कहा, 'बैठक में संघ की जिला इकाई, उप जिला इकाई और शाखा से सभी पदाधिकारियों ने संघ छोड़ने का फैसला किया, जब तक वेलिंगकर सर को जब तक दोबारा बहाल नहीं किया जाता। सराफ ने कहा कि जब तक वेलिंगकर को गोवा के प्रमुख के तौर पर हटाने का फैसला वापस नहीं लिया जाता, जब संघ के लिए काम नहीं करेंगे। वेंलिगकर प्राथमिक स्कूलों में राज्य सरकार की शिक्षण की भाषा नीति की आलोचना करते रहे हैं। उनका दावा है कि सरकार कोंकणी और मराठी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के स्थान पर अंग्रेजी भाषा को बढ़ावा दे रही है। वेंलिगकर ने पिछले दिनों कहा था कि मनोहर पर्रिकर और पारसेकर के नेतृत्व वाली राज्य की बीजेपी सरकारों ने शिक्षा के माध्यम के मामले में लोगों के साथ धोखा किया है। उन्होंने साथ ही चेतावनी भी दी थी कि बीजेपी इसी कारण से 2017 का विधानसभा चुनाव हार सकती है। वेंलिंगकर पर 20 अगस्त को राज्य की यात्रा पर आए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को काले झंडे दिखाने का आरोप भी लगा था।
(लेखक देश के चर्चित व वरिष्ठ पत्रकार हैं। साभार आजतक)
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