नई दिल्ली। केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ श्रमिक संगठनों के आह्वान पर शुक्रवार को आहूत देशव्यापी हड़ताल का मिलाजुला असर रहा। पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और वाम शासित केरल और त्रिपुरा में हड़ताल का सबसे ज्यादा असर देखा गया तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और मुंबई में हड़ताल का सबसे कम असर दिखा। एक अनुमान के मुताबिक, इस हड़ताल से देश को लगभग 18000 करोड़ का नुकसान होने की आशंका है। दिल्ली और मुंबई में सभी कारोबार समान्य तरीके से चलते देखे गए। सार्वजनिक वाहन भी अन्य दिनों की तरह ही चलते नजर आए। मुंबई में उपनगरीय रेल सेवा भी सामान्य रही। साथ ही बसों और टैक्सियों पर भी हड़ताल का कोई असर नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल में रेल और हवाई सेवाएं अप्रभावित रहीं और सड़कों पर बसें भी काफी संख्या में चलती दिखीं, लेकिन उनमें लोग कम नजर आए। वहीं, सरकारी विभागों में कर्मचारियों की उपस्थिति सामान्य रही। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल चक्रवर्ती ने हालांकि दावा किया कि हड़ताल पूरी तरह सफल रही। उन्होंने कहाकि सरकार ने जबरदस्ती कुछ बसें चलवाईं, लेकिन उसमें 90 फीसदी सीटें खाली रहीं। केरल में हड़ताल पूरी तरह सफल रही। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं पूरी तरह बंद रहीं और सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज आदि भी बंद रहे। माकपा के पूर्व विधायक वी. शिवनकुट्टी के नेतृत्व में हड़ताली कर्मचारियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के गैरेज को जाम कर दिया, ताकि कर्मी परिसर में न जा सकें। इसरो हालांकि ऐसी किसी हड़ताल की कभी अनुमति नहीं देता है और उसके वाहन अद्र्धसैनिक बलों की सुरक्षा में आते-जाते हैं। लेकिन शुक्रवार को एक भी वाहन आता-जाता दिखाई नहीं दिया। वाम शासित त्रिपुरा में भी हड़ताल के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। दुकानें, कार्यालय, बाजार, बैंक, स्कूल-कॉलेज आदि पूरी तरह बंद रहे और सड़कों पर वाहन नहीं देखे गए।
केंद्र और राज्य के श्रम संगठनों ने बेहतर मजदूरी, महंगाई, बेरोजगारी आदि मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया था। वे सार्वजनिक क्षेत्र जैसे रेलवे, रक्षा और बीमा में एफडीआई के विरोध में हैं। इस हड़ताल में भाजपा से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) को छोड़कर सभी संघ शामिल रहे। कर्नाटक में दुकानें, बाजार, बैंक और फैक्ट्रियां बंद रहीं और बसें, टैक्सियां और ऑटो रिक्शा का परिचालन बंद रहा। राज्य के 30 में से 7 जिलों में स्कूल कॉलेज बंद रहे। बिहार में भी हड़ताल के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। यहां दुकानें और कार्यालय पूरी तरह बंद रहे। रेल और सड़क परिवहन सेवाएं भी हड़ताली कर्मचारियों के प्रदर्शन के कारण बाधित रहीं। भाजपा शासित हरियाणा में सार्वजनिक वाहन सड़कों पर नहीं उतरे और हजारों यात्री जहां-तहां फंसे रहे। निजी बसों और ऑटो रिक्शा ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया और सड़कों पर नहीं उतरे। उत्तर प्रदेश में करीब 18 लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल में शामिल रहे और इसे राज्य की 250 कर्मचारी संघों ने समर्थन दिया। मध्यप्रदेश में भी हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। एक बैंक कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी वी.के. शर्मा ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को श्रमिक विरोधी अपने विचार को त्याग देना चाहिए। यह एक दिन की हड़ताल तो केंद्र सरकार के लिए चेतावनी है, लिहाजा उसे समझ लेना चाहिए कि वह श्रमिक विरोधी नीतियों पर आगे नहीं बढ़े। हिमाचल प्रदेश में भी बैंक और वाणिज्यिक कार्यालय बंद रहे।
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।