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आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के पीछे की कहानी

नई दिल्ली (हिमांशु मिश्र)। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने फेसबुक पर अपनी मुख्यमंत्री पद से हटने की इच्छा जाहिर की, लेकिन फेसबुक पर मुख्यमंत्री पद से हटने की बात लिखने से पहले आनंदीबेन पटेल ने सोमवार सुबह ही अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दिया था। आनंदीबेन पटेल ने लिखा कि उन्होंने 2 महीने पहले नेतृत्व को मुख्यमंत्री के पद से हटने के लिए कहा था। क्योंकि आनंदीबेन पटेल इस साल नवंबर में 75 साल की होने वाली हैं. आनंदीबेन पटेल ने जिस तरह से मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया है वो प्रिस्क्रिप्टेड है। क्योंकि 25 अगस्त 2015 को पाटीदारों के आंदोलन के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहें थे आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री के पद से हटाया जा सकता है। लेकिन पीएम मोदी ने आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने पर उस वक्त रोक लगा दी थी। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के रिश्तों में कितनी कड़वाहट है ये बात किसी से छिपी नहीं है। गुजरात निकाय चुनाव में बीजेपी को शहरी क्षेत्रों में थोड़ी बढ़त जरूर मिली लेकिन पिछली बार की तुलना में मार्जिन कम हो गया था। दूसरी तरफ कांग्रेस ने अच्छी खासी बढ़त के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जीत दर्ज की तो पीएम मोदी और अमित शाह की चिंता बढ़ी। पीएम मोदी ने अपने विश्वासपात्र और गुजरात के पूर्व प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से गुजरात की राजनीतिक परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार कराई। ओम माथुर ने अपनी रिपोर्ट 25 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सौंपी थी। सूत्रों की मानें तो उस वक्त ओम माथुर ने पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को रिपोर्ट के आधार पर साफ बता दिया था कि अगर आनंदीबेन पटेल को समय रहते नहीं हटाया गया तो नवंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। बस उसके बाद से ही पीएम मोदी ने आनंदीबेन की विदाई के लिए उपयुक्त समय की तलाश शुरू कर दी थी। 5 जुलाई को अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के समय भी पीएम मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर गुजरात से नए चेहरों को जगह दी थी। गुजरात में सबसे ज्यादा पटेल सौराष्ट्र में हैं। पुरुषोत्तम रूपाला कड़वा पेटल है। रूपाला को मोहन भाई कुंदारिया की जगह मंत्री बनाया। मनसुख भाई मंडवीय को मनसुख भाई वसावा की जगह और साथ ही गुजरात से एक आदिवासी चेहरें को भी मंत्रिमंडल में जगह दी थी। 15 अगस्त के बाद सरकार को 3 राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति करनी है। नए राज्यपालों के लिए 2 नामों को पक्का माना जा रहा है वो हैं आनंदीबेन पटेल और नजमा हेपतुल्ला। 3 नाम को लेकर पार्टी और संघ में चर्चा चल रही है। जल्दी ही उस पर भी फैसला ले लिया जाएगा। सूत्रों की मानें तो पीएम मोदी आनंदीबेन पटेल को अभी किस राज्य में राज्यपाल बनाकर भेज दें लेकिन उसके साथ-साथ उनका प्लान ये भी है कि गुजरात चुनाव से ठीक पहले अगस्त 2017 में आनंदीबेन पटेल को उपराष्ट्रपति बनाने से पार्टी को विधानसभा में फायदा मिलेगा। अगर पीएम मोदी ने अभी आनंदीबेन पेटल पर फैसला नहीं लिया होता तो इसका हर्जाना पार्टी को गुजरात चुनाव में भुगतना पड़ता और उनकी लीडरशिप पर सवाल खड़े होते। जो पीएम मोदी की छवि के लिए अच्छा नहीं होता। इसलिए पीएम मोदी को जानने वाले कहते हैं कि मोदी अपनी छवि को लेकर बहुत संवेदनशील रहते हैं।
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