बिसरख (ग्रेटर नोएडा) से सलमान रावी बीबीसी संवाददाता। दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में पुलिस ने तथाकथित हिन्दू सेना और गौ रक्षा दल के कार्यकर्ताओं पर रावण की मूर्ति तोड़ने का मामला दर्ज किया है। रावण की जन्मस्थली के रूप में चर्चित बिसरख गांव में ये घटना मंगलवार को हुई थी। रावण की मूर्ति ग्रेटर नोएडा के बिसरख धाम योगाश्रम में रखी गई थी. यहां के आचार्य अशोकानंद का दावा है कि उन्होंने मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने वालों की पहचान की है। इस संबंध में दायर की गई प्राथमिकी में दिल्ली के कालका मंदिर के प्रमुख और अन्य कुछ लोगों के नाम शामिल हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है और जांच अधिकारी डीएसपी राकेश कुमार का कहना था कि घटना के बाद अब कोई तनाव नहीं है और लोग आपस में बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
आचार्य अशोकानंद के मुताबिक तोड़-फोड़ करने वाले कह रहे थे कि रावण को 'सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वो बुराई का प्रतीक है।' वो योगाश्रम के प्रांगण में रावण की मूर्ति लगाए जाने का विरोध कर रहे थे। बिसरख धाम योगाश्रम के आचार्य अशोकानंद का सवाल है कि रावण की मूर्ति तोड़ने वाले कौन से राम हैं? गुरुवार को बिसरख धाम में बड़ा आयोजन रखा गया. योगाश्रम के प्रांगण में राम मंदिर में भगवान राम और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां लगाई गईं. पहले वहीं रावण की मूर्ति भी लगाने की योजना थी, लेकिन विवाद के चलते ऐसा नहीं किया गया। अशोकानंद का कहना था, "उनकी आपत्ति रावण की मूर्ति को लेकर थी। मगर मैं पूछता हूँ कि रावण की मूर्ति तोड़ने वाले कौन से राम हैं? उनका चरित्र भी तो राम जैसा नहीं है।" बिसरख के लोग रावण का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लेते हैं और रावण की मूर्ति स्थापित करने के पक्ष में हैं। इस विवाद का हल निकालने के लिए पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों ने गुरुवार को दिन भर चर्चा की, मंथन किया। लेकिन बिसरख के लोग भी मूर्ति स्थापित करने के स्थान को लेकर बंटे हुए हैं। कुछ चाहते हैं कि इसकी स्थापना बिसरख धाम के योगाश्रम ट्रस्ट के प्रांगण में हो। लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो चाहता है कि रावण की मूर्ति की स्थापना उसी प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण में हो जिसके बारे में धारणा है कि यहाँ पर मौजूद शिवलिंग की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने की थी।
यहां के लोगों का कहना है कि उनके गाँव का नाम रावण के पिता के नाम पर ही पड़ा है जो बदलते-बदलते बिसरख हो गया। बिसरख के रतन पाल सिंह का कहना है कि स्थानीय लोग चाहते हैं कि रावण की मूर्ति की स्थापना प्राचीन शिव मंदिर में हो। योगाश्रम ट्रस्ट के ठीक सामने प्राचीन शिवमंदिर के अंदर मेरी मुलाक़ात रतन पाल सिंह से हुई जो बिसरख के बुज़ुर्गों में से एक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रावण की जन्मस्थली को कुछ लोग अपने फायदे के लिए भुनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि ट्रस्ट के प्रांगण में रावण की मूर्ति लगाए जाने का कोई मतलब नहीं है और बिसरख के लोग चाहते हैं कि रावण की मूर्ति की स्थापना प्राचीन शिव मंदिर में ही हो। उनका यह भी दावा है कि पूरे बिसरख में कोई भी ऐसा नहीं मिलेगा जो रावण के ख़िलाफ़ बोलता हो। उनका मानना है, "रावण से बड़ा विद्वान कोई नहीं था. यहाँ के लोगों को गर्व है कि रावण यहां पैदा हुए थे। मगर धर्म गुरुओं को रावण की मूर्ति लगाए जाने पर आपत्ति है क्योंकि वो उसे बुराई का प्रतीक ही मानते हैं। हम धर्म गुरुओं से बात कर रहे हैं।" बिसरख के कई लोगों की गाड़ियों के पीछे 'लंकेश' लिखा हुआ मिल सकता है। बिसरख में दो बड़ी हस्तियां भी आईं जो रावण की मूर्ति के तोड़े जाने से दुखी हैं। दिल्ली के रामलीला मैदान में तीस साल से रावण की भूमिका निभाने वाले जीतेंद्र लाम्बा कहते हैं कि रावण खलनायक नहीं था। एक थीं अभिनेत्री सीमा परिहार और पिछले तीस सालों से दिल्ली के रामलीला मैदान में रावण की भूमिका निभाने वाले जितेंद्र लाम्बा। बीबीसी से बात करते हुए जितेंद्र लाम्बा ने कहा, "रावण चारों वेदों का ज्ञाता था। उस जैसा विद्वान् ना हुआ है ना होगा. हमने उसे खलनायक बना दिया, वो खलनायक नहीं था।"
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