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कश्मीर के हालात न सुधरे तो महबूबा सरकार पर भी कड़ाई संभव!

नई दिल्ली (अमिताभ सिन्हा)। कश्मीर घाटी में कर्फ्यू लगे 50 दिन होने को आए। गृहमंत्री राजनाथ सिंह लोगों के घावों पर मरहम लगाने श्रीनगर पहुंच चुके हैं। लेकिन सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि घाटी में भड़काने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कारवाई किए बिना अमन चैन आने वाला नहीं है। पत्थरबाजी करने में आम लोग भले ही शामिल हो रहे हैं लेकिन गलती सीधे तौर पर उनकी उतनी नहीं है। दरअसल उन्हें भड़काने वाले एजेंट मौजूद हैं जो लोगों को पत्थर फेंकने के लिए उकसा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने ऐसे करीब 80 लोगों की पहचान की है जो लोगों की भीड़ में शामिल होकर उन्हें भड़का रहे हैं। इन्हें एजेंट प्रोवोकेटर्स का नाम दिया गया है। इनको सीमा पार से समर्थन मिल रहा है और पर ये स्थानीय लोग ही हैं। सरकारी सूत्रों ने अलगाववादियों को तीन ग्रुपों में बांटा है। पहले, हथियार उठाए खुली लड़ाई लड़ रहे आतंकवादी हैं। दूसरा खेमा उन राजनीतिक ग्रुपों का है जो खुद को अलगाववादी कहते हैं। तीसरा और सबसे खतरनाक ग्रुप पाक समर्थक कट्टरपंथियों का है। इन्हें नाम दिया गया है एजेंट प्रोवोकेटर्स का। पत्थरबाजी करने में आम लोग भले ही शामिल हो रहे हैं लेकिन गलती सीधे तौर पर उनकी उतनी नहीं है। दरअसल उन्हें भड़काने वाले एजेंट मौजूद हैं जो लोगों को पत्थर फेंकने के लिए उकसा रहे हैं। इन भड़काऊ तत्वों को काबू में लाने में राज्य सरकार अब तक सफल नहीं हो पाई है। खुफिया सूत्रों का ये भी मानना है कि ऐसे रेडिकल लोगों ने अलगाववादियों से नेतृत्व अपने हाथ में ले लिया है। सरकारी सूत्रों का ये भी मानना है कि उत्तरी कश्मीर शांत है। डाउन टाउन श्रीनगर को छोड़कर पूरा श्रीनगर हंगामे से दूर है। लेकिन दक्षिण कश्मीर में अलगाववाद और विरोध-प्रदर्शन की समस्या खासी गंभीर है। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि महबूबा मुफ्ती ऐसे तत्वों से सख्ती से निपटेंगी। राज्य सरकार की ये भी जिम्मेदारी है कि वो घाटी के लोगों को आश्वस्त करे कि उनकी रोजमर्रा की चिंताओं को दूर किया जाएगा। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस बाबत बात भी की है और उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार कार्रवाई करेगी। अब दो दिन के दौरे में राजनाथ सिंह क्या रिपोर्ट बनाते हैं और उनके दिल्ली लौटने के बाद केंद्र सरकार उस पर चर्चा कर क्या फैसला करती है, ये तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन चर्चा है कि अगर हालात काबू में नहीं आए तो केंद्र कड़ा रुख भी अपना सकता है।
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