लखनऊ। यूपी बीजेपी की झांसी में 6 और 7 अगस्त को प्रदेश कार्यकारणी की बैठक हुई। गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कलराज मिश्रा, महेश शर्मा, मनोज सिन्हा, निरंजन ज्योति, संजीव बालियान और कृष्णा राज और अन्य कई मंत्रियों ने प्रदेश कार्यकारणी की बैठक में शिरकत की. लेकिन यूपी के तीन बड़े नेता बैठक से नदारद रहे। सूत्रों कहना है कि बीजेपी के तीन फायर ब्रांड नेता उमा भारती, योगी आदित्यनाथ और वरुण गांधी यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य से नाराजगी के चलते प्रदेश कार्यकारणी की बैठक में नहीं आए। इन तीनों नेताओं का कहना हैं कि केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी नई टीम में उनके लोगों को नहीं रखा है। वरुण गांधी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और यूपी बीजेपी प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से उनकी शिकायत करने वाले मौर्य से पहले से ही नाराज चल रहे हैं। पार्टी को बिना बताए प्रदेश में अपने कार्यक्रम रखने वाले वरुण को नेतृत्व ने अपने कार्यक्रमों की जानकारी प्रदेश के नेताओं को देने को कहा था। इससे पहले भी झांसी में 16 और 17 जुलाई को यूपी प्रदेश बीजेपी की कार्यकारणी की बैठक रखी गई थी लेकिन तब केशव प्रसाद मौर्य ने ही इस बैठक को रद्द कर दिया था। बैठक रद्द करने के लिए पार्टी के नेताओं ने ये तर्क दिए थे कि गोरखपुर में पीएम मोदी की रैली की तैयारियों के चलते जोन के नेता प्रदेश कार्यकारणी की बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। सूत्रों के मुताबिक गोरखपुर रैली तो सिर्फ बहाना था योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी के चलते बैठक में आने से इनकार कर दिया था। दरअसल केशव प्रसाद मौर्य ने शिव प्रताप शुक्ला और कामेश्वर सिंह दो नेताओं को गोरखपुर जोन से अपनी टीम जगह दी है व योगी लंबे समय से इन दोनों नेताओ का विरोध करते रहे हैं।
यूपी में अगले साल फरवरी महीने में चुनाव है इस को ध्यान में रखते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर ने ये रणनीति बनाई है कि हर महीने पीएम मोदी की एक रैली यूपी में करवाई जाएगी। जिसकी शुरुआत पीएम मोदी ने सरकार के दो साल पूरे होने पर 26 मई को सहारनपुर में रैली करके की थी। उसके बाद पीएम मोदी ने 13 जून को इलाहाबाद और 22 जुलाई को गोरखपुर में रैली की। इस महीने के अंत में बुंदेलखंड में पीएम मोदी रैली करेंगे। बीजेपी के बारे में एक पुरानी कहावत है कि बीजेपी को दूसरों से कम अपनों से ज्यादा खतरा रहता है। जिसका खामियाजा वह समय समय पर उठाती रही है। अब सवाल ये है कि इन नाराज नेताओं को पार्टी कितनी जल्दी मना लेती है। नहीं तो नुकसान भी ज्यादा ही होगा क्यूंकि इन तीनों नेताओं की यूपी में अपने ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में भी तूती बोलती है।
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