नई दिल्ली। सरकार और न्यायपालिका के बीच अविश्वास की खाई सोमवार को स्वतंत्रता दिवस जैसे महत्वपूर्ण मौके पर भी साफ नजर आई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर ने केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पीएम ने लालकिले से डेढ़ घंटे तक भाषण दिया। वे बडे़ ध्यान से उसे सुनते रहे, लेकिन न्यायपालिका में अटक रही नियुक्तियों पर पीएम कुछ नहीं बोले। सीजेआई ने एक शेर कहा, 'गुल फेंके है औरांे की तरफ बल्कि समर भी, ऐ खाना- बर-अंदाज-ए चमन कुछ तो इधर भी।' उन्होंने कहा कि आप सब को दे रहे हैं, कुछ न्यायपालिका को भी तो दीजिए। कुछ नहीं तो नई नियुक्तियों के लिए की गई कोलेजियम की सिफारिशों को ही आगे बढ़ा दीजिए। कोलेजियम ने जनवरी में 75 उम्मीदवारों को जज बनाने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उन पर अब तक फैसला नहीं किया है।
जस्टिस ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में ध्वजा रोहण कर रहे थे। उन्होंने कहा सब अंग्रजी में बोल रहे हैं, लेकिन आज के दिन वह हिन्दुस्तानी में बोलेंगे। इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने भी अपने भाषण में उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों पर कुछ नहीं कहा। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि कानून मंत्री गांठ के बड़े पक्के हैं, उन्होंने जजों की नियुक्तियों पर कुछ नहीं कहा। सीजेआई ने कहा कि मैं अपनी बात साफ कहता हूं, चाहे कोर्ट हो या उसके बाहर, क्यांेकि मैं पेशे के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया हूं। इससे आगे मुझे जाना नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में 1948 में 30 करोड़ आबादी थी और उसमें 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। आज आबादी सवा सौ करोड़ है और गरीबी रेखा के नीचे के लोगों की संख्या 40 करोड़ है। यह बढ़ी क्यों यह सोचने की बात है। सीजेआई ने रोजगार की कमी को भी रेखांकित किया और कहा कि चपरासी के लिए भर्ती निकालो तो एमए पास लोग आवेदन करते हैं। दरअसल सुप्रीम कोट प्रांगण में झंडारोहण के समय जब सीजेआई ने फूलों से बंधे ध्वज की रस्सी खींची तो वह खुली नहीं। उन्होंने कई बार जोर लगाया जो बंधा बंधाया झंडा सीधे नीचे गिर गया। आनन फानन में उसे उठाया गया और सीजेआई ने कहा कि झंडा लहराना जरूरी है। इसलिए खंबे को निकाला गया और उमें झंडा फिर से लगाया गया। उसके बाद सीजेआई के साथ सीआरपीएफ के दस्ते ने सलामी दी। दो दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से जवाब मांगा था कि जजों को नियुक्त करने संबंधी कोलेजियम की सिफारिशों पर अमल क्यों नहीं किया जा रहा है। सीजेआई ने चेतावनी दी थी कि सरकार नियुक्तियों पर आगे बढ़े वरना उन्हें न्यायिक रूप से हस्तक्षेप करना पड़ेगा। सरकार ने जवाब के लिए चार हफ्तों का मय मांगा था। समारोह में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार न्यायपालिका की स्वायत्ता का सम्मान करती है और उससे वह कभी समझौता नहीं करेगी। उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों पर उन्होंने कहा कि प्रक्रिया चल रही है, कोर्ट ने हमें एमओपी (उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति का प्रक्रिया ज्ञापन) बनाने का निर्देश दिया है। लेकिन हमें चिंता यह भी है कि निचली अदालतों में चार हजार से ज्यादा रिक्तियां हैं। यह संख्या हमें परेशान करती है इसे देखना जरूरी है।
मोदी ने बलूचिस्तान मुद्दे पर पाक को दिया कडा संदेश
स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कश्मीर में हिंसा को बढ़ावा दे रहे पाकिस्तान को बेनकाब किया। उन्होंने पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फौज के जुल्मोसितम की आवाज उठाई। पीएम मोदी ने कहा कि वहां के लोगों ने उनके मुद्दे उठाने के लिए शुक्रिया अदा किया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले इन इलाके के लोगों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'दूरदराज के लोग, जिन्हें मैंने देखा तक नहीं, जिनसे मैं मिला तक नहीं, ऐसे लोग जब भारतीय प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं, उनका अभिवादन करते हैं, तो यह देश के 125 करोड़ लोगों का सम्मान होता है।' उल्लेखनीय है कि कश्मीर के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में मोदी ने कहा था कि अब समय आ गया है कि हमारे पड़ोसी देश द्वारा बलूचिस्तान मंे और पीओके में ढाए जा रहे अत्याचारों का पर्दाफाश किया जाए। पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सीधा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि एक ओर पाकिस्तान के आतंकी हमलों को लेकर हमें दर्द महसूस होता है, वहीं दूसरी ओर यह कैसा देश और कैसी सरकार है, जो आतंकवाद और आतंकियों को पुरस्कृत करती है। जहां आतंकियों का महिमामंडन किया जाता है। गौरतलब है कि शरीफ ने कश्मीर में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत पर अफसोस जताते हुए उसे आजादी का नायक बताया था। कश्मीर में हिंसा और युवकों को भड़काने वाले पड़ोसी मुल्क को पीएम ने चुनौती देते हुए कहा कि भारत आतंकवाद-माओवाद या उग्रवाद को कभी सहन नहीं करेगा और न इसके आगे झुकेगा। उन्होंने भटके युवाओं से अपने मां-बाप के सपनों को पूरा करने के लिए मुख्यधारा में लौटने की अपील भी की।
मोदी ने कहा, 'जिस दिन हमने शपथ ली तो सभी दक्षेस देशों के नेताओं को बुलाया था, क्योंकि हम गरीबी से लड़ने का संदेश देना चाहते थे। क्योंकि अपनों से लड़ के हम तबाह तो हो चुके हैं, लेकिन अगर हम गरीबी से लड़ेंगे तो समृद्धि की ओर चल पड़ंगे।' उन्होंने फिर गरीबी से मिलजुल कर लड़ने की पड़ोसी मुल्कों से अपील की। प्रधानमंत्री ने दो-ढाई साल के अपने कामकाज का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया। उन्होंने तेज विकास दर, कारोबार में आसानी और गरीबों-किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं और बेहतर मानसून से खेती-किसानों की स्थिति सुधरने की उम्मीद जताई। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन 20 प्रतिशत बढ़ाने और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए एक लाख रुपये तक के चिकित्सा खर्च को सरकार द्वारा वहन किये जाने का ऐलान किया। पीएम ने दलितों-पिछड़ों के उत्पीड़न का परोक्ष जिक्र किया। उन्होंने मोदी ने जातिवाद या छूआछूत जैसी सदियों पुरानी सामाजिक बुराइयों से निपटने के लिए सख्त और संवेदनशील रवैये की वकालत की।
सामाजिक न्याय से सशक्त देश का निर्माण संभव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय से ही सशक्त देश का निर्माण हो सकता है। हाल में दलितों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा का उन्होंने स्पष्ट ज़िक्र किए बिना कहा कि 'सामाजिक बुराइयों से लड़ना होगा, ऐसा होता है, चलता है, से नहीं चलेगा।' भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान के पेशावर में स्कूली बच्चों पर चरमपंथियों के हमले की याद दिलाई और सवाल उठाया- 'वो कैसे लोग, कैसी सरकारें हैं जो निर्दोष लोगों के मरने पर आतंकवादियों को ग्लोरिफ़ाई करते हैं।' सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ भारत के अंदर हिंसक गतिविधियों पर मोदी ने कहा- "मैं भटके हुए नौजवानों से कहना चाहता हूं कि हिंसा का रास्ता छोड़कर लौट आएं और देश को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें। हिंसा से कुछ नहीं मिलेगा।" उन्होंने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद मिले स्वराज को सुराज में बदलना भारत के सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्य है। देश की मौजूदा सरकार आक्षेपों से नहीं अपेक्षाओं से घिरी है। गुड गवर्नेंस के लिए जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की ज़रूरत होती है. मुझे देश की स्थिति बदलनी है और बदल कर रहूंगा।
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