नई दिल्ली। कांग्रेस का हाथ बहू के साथ। दिल्ली में केजरीवाल से हारी शीला दीक्षित को कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना सकती है। शीला ने खुद को उत्तर प्रदेश की बहू कहा है। पंद्रह साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश से अपना रिश्ता अब इसलिए ताजा कर रही है क्योंकि पार्टी उनके चेहरे पर यूपी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक शीला दीक्षित को यूपी के कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने फोन करके कहा है कि आप यूपी में सीएम का चेहरा बनिये तो हम आगे बढ़े। शीला दीक्षित ने जवाब में कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहती।
शीला दीक्षित का जन्म तो पंजाब के कपूरथला में हुआ है लेकिन उनकी शादी यूपी के कन्नौज में हुई है। रसूखदार राजनीतिक खानदान की बहू शीला 1984 से 1989 तक कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। इसी दौरान वो केंद्र में संसदीय कार्य के साथ पीएमओ में राज्यमंत्री भी रहीं। 1998 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद दिल्ली से विधानसभा लड़ी और फिर 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली का चुनाव हारने के बाद शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल भी बनीं थी लेकिन उसके बाद से वो किसी बड़े पद पर नहीं हैं। शीला को आगे करने के पीछे कांग्रेस की मंशा 10-12 फीसदी वाले ब्राह्णण वोट को अपने तरफ लाने की है। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि गांधी परिवार से अगर कोई यूपी चुनाव का चेहरा नहीं बनता तो फिर शीला दीक्षित ही सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन पच्चीस साल से शीला यूपी से दूर हैं और हाल ही में टैंकर घोटाले में जिस तरीके से उनका नाम उछल रहा है उससे कांग्रेस को दिक्कत भी हो सकती है।
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