हरिद्वार। जूनापीठाधीश्वर आचार्च महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि वर्तमान को पूरे उत्साह, उमंग, उल्लास के साथ जीने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान ही जीवन है। इससे बढ़कर कुछ भी नहीं।
सावन के पहले सोमवार यानी 25 जुलाई को देश-दुनिया से आए हजारों भक्तों के बीच महाराज श्री जीवन, जीने की कला, जीवन के यथार्थ और जीवन में आध्यात्म की अहमियत पर प्रकाश डाल रहे थे। जीवन से जुड़े तरह-तरह के सवालों का जवाब देते हुए महाराज श्री स्वामी अवधेशानंद गिरी जी ने कहा कि लबोलुआब ये है की वर्तमान ही जीवन है। इसे ही ठीक से जीने की जरूरत है। महाराज जी ने कहा कि जिंदगी को सफल, सुखद और मंगलमयी बनाने के लिए आध्यात्मिक होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अज्ञानता के कारण उत्पन्न होने वाले अनेक द्वंद्व मनुष्य को व्यथित करता है। अनेक बार किसी संशय के कारण व्याकुलता दिखती है। ये सब हमारे अंतःकरण को अमान्य है, फिर भी वह हमारे अंतःकरण में रहता है। उसका मूल है अविवेक, अज्ञान। इन सबसे मुक्ति के लिए अधिकारी बनना पड़ता है।
उन्होंने लोगों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हम सबको आदर्श के अनुकूल रहना चाहिए। वर्जनाए टूटनी नहीं चाहिए। जो निषेध है, उससे निश्चित रूप से वंचित रहना चाहिए। वर्जनाओं के बारे में कौन बताएगा। यह ज्ञान कहां से आएगा। इसके लिए एक ही साधन है आध्यात्मिक विचार।
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