भोपाल। मध्य प्रदेश में 50 दलित परिवारों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इच्छा मृत्यु के लिए अनुमति मांगी है। उनका आरोप है कि 15 साल पहले सरकार द्वारा उन्हें आबंटित की गई जमीन पर बाहुबली लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिससे उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचा है। ये परिवार चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी में नसरल्लागंज इलाके के हैं और इन्होंने दो दिन पहले इस संबंध में भोपाल में मुख्यमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन भेजा था। हालांकि जिले के अधिकारियों ने इस तरह की किसी भी शिकायत से इनकार किया और कहा कि इस संबंध में एक मामले पर अदालत में सुनवाई चल रही है। राष्ट्री य दलित चेतना मंच के प्रांत सचिव जसवंत सिंह ने सोमवार को कहा, सीहोर में बुधनी के नसरल्लागंज पुलिस थानांतर्गत आने वाले बोरखेड़ी, वासुदेव, सोहनखेड़ी और जोगाला गांवों के इन परिवारों ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें 15 साल पहले मदद के तौर पर दी गई सरकारी जमीन का कब्जा अभी तक नहीं मिला है क्योंकि इन पर प्रभावशाली लोगों का कब्जा है।
दलित परिवारों द्वारा दिए गए इस ज्ञापन में कहा गया है, हमें बाहुबली लोगों के कब्जे से यह जमीन अभी तक नहीं मिली है। ये लोग हमें खत्म करने की धमकी दे रहे हैं। सिंह का दावा है कि स्थानीय प्रशासन असहाय है और दलितों को धरना एवं प्रदर्शन के बाद भी न्याय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, ये पीड़ित लोग भयंकर गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं क्योंकि इनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिए इन्होंने इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। सूत्रों ने कहा कि इन परिवारों को कृषि भूमि का आबंटन तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा किया गया था। सीहोर के जिला कलेक्टर सुदम खड़े ने पीटीआई भाषा को फोन पर बताया, इस प्रकृति की कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई है। यदि यह मेरे पास आती है तो निश्चित तौर पर तत्काल इस पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दो दिन पहले नसरल्लागंज में मुख्यमंत्री के साथ उन्होंने लोगों के बीच करीब 10 घंटे बिताए और उनकी शिकायतें सुनी, लेकिन दलितों की ओर से एेसी कोई शिकायत नहीं आई। इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में राम प्रसाद, सुखिया बाई, अर्जुन सिंह, शोभा बाई, आलम सिंह, कमला बाई, रघुनाथ, जयंती बाई, अनोखी बाई, फूल बाई, रामेश्वर, ललिता बाई, वासु बाई और रमेश शामिल हैं।नसरल्लागंज पुलिस थाने के निरीक्षक निरंजन शर्मा ने कहा, यह मुद्दा राजस्व विभाग से संबद्ध है और एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद माननीय अदालत द्वारा इस पर सुनवाई की जा रही है। संपर्क किए जाने पर मुख्यमंत्री की मीडिया टीम ने पीटीआई भाषा को बताया कि चौहान इस पर टिप्पणी करने के लिए उपलब्ध नहीं थे क्योंकि वह राज्य से बाहर हैं।
शिवराज को भारी पड़ेगा सिंहस्थ घोटाला, कांग्रेस ने लगाए आरोप
लगता है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस वर्ष का सिंहस्थ् कुंभ बहुत भारी पड़ने वाला है। कांग्रेस ने इस सिंहस्थर में बड़े पैमाने पर घोटाले के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने खर्चों को लेकर सारे आंकड़े मीडिया के सामने रखे हैं और इन खर्चों पर एक सरसरी नजर डालने से ही गड़बड़ियों की बू आने लगती है। एक बानगी देखें, सिंहस्थच का प्रचार करने के लिए यह कहते हुए अमेरिका में 180 करोड़ रुपये के विज्ञापन दिए गए वहां से बड़े पैमाने पर एनआरआई कुंभ में आएंगे जबकि वहां से एक भी एनआरआई नहीं आया। कांग्रेस का कहना है कि इतने पैसे में भारतीय मूल के हजारों अमेरिकियों को सरकार अपने खर्च पर सिंहस्थत भ्रमण करवा सकती थी।
कांग्रेस का आरोप है कि सिंहस्थप आयोजन के कुल 5000 करोड़ रुपये के बजट में से तीन हजार करोड़ रुपये घोटाले के जरिये हजम कर लिए गए हैं। हजम करने वालों में नेता, अधिकारी, ठेकेदार सभी बराबर के भागीदार हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सिंहस्थ के दौरान 600 करोड़ रुपयों के निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग की जबावदेही लोक निर्माण विभाग के उसी इंजीनियर को सौंपी गई, जिसे मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में घटिया सड़क निर्माण कराने का दोषी पाया गया था और उसके वेतन से 42 लाख रुपयों की वसूली भी हो रही है। इसके अलावा मेला अधिकारी आईएएस अविनाश लवानिया को बनाया गया जो कि प्रदेश के रसूखदार कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दामाद हैं। यही नहीं खुद मुख्यमंत्री के भांजा और उज्जैन नगर निगम के उपायुक्त वीरेन्द्र सिंह चौहान की इस दौरान पाई गई संदिग्ध भूमिका को लेकर मेला के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने नोटशीट जारी कर तत्काल प्रभाव से उनके स्थानांतरण का निर्देश दिया था मगर उनका स्थानांतरण न करते हुए सिर्फ उनके वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाई गई। कांगेस का आरोप है कि 10 रुपये में बिकने वाली चीज को 20 रुपये में किराए पर लिया गया। हर चीज के दाम तीन गुने तक चुकाए गए। घोटाला करने के लिए मेले में दागी अफसरों की पोस्टिंग की गई और विज्ञापन के नाम पर 600 करोड़ का घोटाला किया गया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने मीडिया सामने जो तथ्य रखें हैं उसके अनुसार राज्य सरकार ने 5 करोड़ की स्वास्थ्य सामग्री के 60 करोड़ रुपये चुकाए हैं। रबड़ हैंड ग्लब्ज जिसका सरकारी रेट 150 रुपये है उसके लिए 1890 रुपये चुकाए गए। एक्सरे लैड फिल्म ब्यूवर सिंगल सेक्सशन जो 45 सौ रुपये में मिलता है उसके लिए 11,250 रुपये चुकाए गए। इसी प्रकार 11 हजार 500 रुपये वाला एक्सरे लैड फिल्म ब्यूवर डबल सेक्सशन 22 हजार 500 रुपये की दर से खरीदा गया। सिंहस्थर में बड़े पैमाने पर कूलर लगाए गए थे। कमाल की बात है कि जो कूलर थोक में 35 सौ रुपये की दर से खरीदे जा सकते थे उसके लिए 56 सौ रुपये किराए के रूप में चुकाए गए। यहां ध्यान रहे कि देश के किसी भी हिस्से में इस किराए में एक गर्मी सीजन के लिए एयरकंडीशनर किराए पर मिल जाता है। घोटाले यहीं नहीं रुके, सिंहस्थड के दौरान कुल 40 हजार शौचालय बनवाए गए मगर दिखाया गया कि 90 हजार शौचालय बने हैं। यादव ने कहा कि समूचे आयोजन स्थल, साधुओं की छावनियों में 35 हजार शौचालय, 15 हजार बाथरूम व 10 हजार मूत्रालयों का निर्माण होना था। इसके लिए 18 अगस्त, 2015 को टेंडर क्रमांक 1415 निकाला गया, जो मात्र 36 करोड़ रुपये का था। इसमें लल्लूजी एंड सन्स, सुलभ और 2004 के सिंहस्थ में अधूरा काम छोड़कर भागने वाले ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार सिंटेक्स ने भी भाग लिया। अरुण यादव का सवाल था कि आठ महीने पहले जो टेंडर सिर्फ 36 करोड़ रुपयों का था वह अचानक 117 करोड़ रुपयों में कैसे बदल गया? कांग्रेस ने इसके अलावा प्याऊ और कचरा प्रबंधन में भी घोटाले का आरोप लगाया है। सिंहस्थस में ढाई लाख रुपये प्रति की दर से 750 प्याऊ बनवाए गए और यह लागत कहीं से भी सही नहीं मानी जा सकती। यही नहीं एक महीने के सिंहस्था के लिए कचरा प्रबंधन का ठेका 40 करोड़ रुपये में दिया गया। अरुण यादव के अनुसार एक पुल जो 5 करोड़ में बनना था उसके लिए 15 करोड़ रुपये दिए गए। 66 करोड़ में बनने वाले अस्पताल के लिए 93 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया वो भी तब जबकि अस्पताल निर्धारित अवधि में पूर्ण भी नहीं हो सका था।
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