

दलित अत्याचार पर चुप क्यों हैं पीएम मोदी?
कांग्रेस ने गुजरात में दलितों अत्याघचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पीह पर सवाल उठाए हैं। पार्टी के वरिष्ठत नेता अहमद पटेल ने ट्विटर पर कहा कि ‘प्रधानमंत्री गुजरात मॉडल के नाम पर सबसे वोट मांगते फिरते थे, अब गुजरात में दलितों पर हो रहे अत्यााचार पर वे चुप क्योंम हैं?’ अहमद पटेल के ट्वीट पर सोशल मीडिया का रिएक्शेन काफी तीखा रहा। लोगों ने कहा कि इससे पहले भी ऐसी घटनाएं होती रहीं, तब कांग्रेस के पीएम थे, वे तो कुछ नहीं बोले। एक यूजर ने लिखा, ‘हर बात के लिए पीएम को ही जवाब देना चाहिए क्याक। पूर्व में जितने अन्यालय हुए हैं, उसपर आपके पीएम तो कभी कुछ नहीं बोले।’ सोशल मीडिया पर सिर्फ अहमद पटेल को ही लोगों के गुस्सेआ का सामना नहीं करना पड़ा, खुद राहुल गांधी को भी तीखी आलोचना झेलनी पड़ी। गुजरात के उना में गौरक्षक दल द्वारा गाय चमड़ा के संदिग्ध तस्करों की पिटाई किए जाने के बाद पूरे राज्यं में हिंसा फैल गई थी। घटना से गुजरात के दलित इतने आहत हुए कि कई ने खुदकुशी करने की कोशिश की। मामला बड़ा होने पर विपक्षी दलों ने गुजरात और केन्द्र की बीजेपी सरकार को घेरते हुए इस पर संसद में चर्चा कराने की मांग की।
बुधवार को चर्चा के दौरान, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी घटना के बारे में जानने के बाद बहुत दुखी और आहत हुए हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कांग्रेस शासन के तहत हुए अत्याचार की घटनाओं के आंकड़ों का जिक्र करते हुए विपक्षी पार्टी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सरकार संसद के दोनों सदनों में चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस दलितों पर अत्याचार के मुद्दे का हल करने के प्रति गंभीर नहीं है। सिंह ने कहा, ‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इसकी निंदा करने के लिए कोई शब्द नहीं है लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब ऐसे अत्याचार हुए हैं।’ मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मामले के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की योजना बना रही है। ‘मैं राज्य सरकार की तीव्र और प्रभावी कार्रवाई के लिए उसे धन्यवाद देता हूं।’
कश्मीर हिंसा पर सिंधिया का पीएम से सवाल
मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को लोकसभा में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कश्मीर में हालात निराशाजनक हैं। पहले अंहिसा हमारा मूलमंत्र होता था, लेकिन इस सरकार ने कश्मीर में यूपीए की दस साल की मेहनत को खराब कर दिया है। सरकार को भविष्य बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। सत्तारूढ पार्टी के विधायक और सांसद गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिससे लगता है कि कहीं धु्रवीकरण इस सरकार का एजेंडा तो नहीं है, सरकार नागरिकों पर भी हथियार इस्तेमाल कर रही है। नियम 193 के तहत लोकसभा में कश्मीर घाटी में हाल में हुई हिंसा से राज्य में लोगों की शांति और सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरे से संबंधित स्थिति के बारे में चर्चा की शुरूआत करते हुए सिंधिया ने कहा कि जब भी राष्ट्रहित, देश की एकता और अखंडता की आती है तो पूरा देश एक ही स्वर में बोलता है, लेकिन पिछले दो सालों में कश्मीर की स्थिति निराशाजनक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में घुसपैठ में 65 प्रतिशत वृद्धि हुई। आतंकवादी विदेशी ताकतों के विरूद्ध यह सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई। पंपोर घटना के लिए कौन जिम्मेदार है। जब वैन में जवान चल रहे थे तो आगे सुरक्षा वाहन क्यों नहीं चल रहा था। यूपीए ने कितने कदम उठाए हैं, वहां अमन का वातावरण बनाने के लिए ताकि वहां विकास हो। वहां जो हो रहा है उसकी केंद्र ने जिम्मेदारी नहीं ली, सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाली है। सिंधिया ने कहा कि विकास के प्रति इस सरकार का रूझान ही नहीं है। क्या यह सरकार आतंकवादी और आम नागरिक को एक ही नजर से देखेगी। क्या पैलेट गन वह आम आदमी पर भी चलाएगी। पीएम मोदी इस पूरे घटनाक्रम में विदेश दौरे पर थे। इस दौरे के दौरान उन्होंने अपने मंत्री को बधाई दी, फ्रांस हमलों की भर्त्सना की थी, लेकिन कश्मीर पर एक शब्द भी नहीं कहा। पीएम विदेश में बैठकर ड्रम बजा रहे हैं। हालांकि आकर उन्होंने बैठक की थी,लेकिन उसमें कहीं भी कश्मीर की जनता को लेकर कोई बात नहीं हुई। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि कहां गई वो मन की बात। बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिस व्यक्ति से भारत की सुरक्षा को खतरा हो और सुरक्षाबलों ने जिसे मार गिराया हो उसके लिए तो उन्हें बधाई देनी चाहिए, लेकिन उसके बाद जो हालात खडे हुए उससे कई प्रश्न उठते हैं। सेना पर जो दबाव होता है उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में पथराव की घटनाएं होती थीं, उसके लिए कौन जिम्मेदार था। यूपीए की सरकार से तीन गुना ज्यादा पैकेज कश्मीर को मोदी सरकार ने दिया है। जो पिछले 60 सालों में नहीं हुआ, वह 6 सालों में होगा। पैलेटगन किसके खिलाफ उठाई जाती है, हम भी नहीं चाहते यह उठाई जाए, जब कोई आपकी पुलिस चौकी पर हमला करे, पथराव करे तो आप क्या करेंगे। लोकसभा में कश्मीर पर चर्चा देर शाम तक जारी थी। गौरतलब है कि सत्र के पहले दिन भी कश्मीर का मुद्दा जोर-शोर से उठा था। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने घाटी के हालात पर चिंता जताई थी। आजाद ने राज्य सरकार से प्रदर्शनकारियों के साथ नरमी से पेश आने की अपील की थी। इस बीच सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग हालात का जायजा लेने कश्मीर जा रहे हैं।
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