नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और दलित नेता रामदास अठावले ने दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताई। उन्होंने पिछले दिनों राज्यसभा में इस मुद्दे पर हुई बहस में कहा कि अंतरजातीय शादियों को बढ़ावा देने से समाज में जातिवाद को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने हाल ही में रीलीज हुई मराठी फिल्म ‘सैराट’ का उदाहरण देते हुए कहा कि देश में दलितों पर अत्याचार नई बात नहीं है। देश के कई राज्यों में अंतरजातीय विवाह करने वालों की हत्या की जाती है। अठावले ने कहा, ”अत्याचार की घटना हमेशा से हो रही है। हमारे महाराष्ट्र में नौवीं में पढ़ने वाले लड़के की हत्या हुई। सोनई में तीन बाल्मिकी समाज के लड़कों की हत्या हुई। उसका कारण इंटरकास्ट शादी थी। मैंने इंटरकास्टं मैरिज की है। देखता हूं मुझे कौन मारने आता हैं। मैंने ब्राह्मण लड़की से शादी की है। बाबा साहेब ने भी कहा कि रोटी और बेटी से जातिवाद नहीं जाएगा उसके लिए अंतरजातीय विवाह जरूरी है।
बाद में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि सभी को साथ काम करना चाहिए और किसी को चीजों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। केवल कानून से यह सुनिश्चित नहीं हो सकेगा कि दलितों के खिलाफ अपराध नहीं हो। इसके लिए लोगों को साथ काम करने की जरूरत है। कानून अपना काम करेगा। जब तक समाज में बदलाव नहीं होता अंतरजातीय शादी को बढ़ावा देना चाहिए, जब तक समाज के दो पक्षों को साथ लाने का प्रयास नहीं किया जाता, मुझे लगता है कि तब तक जातिवाद खत्म नहीं होगा।’’ गुजरात में एक मृत गाय की खाल उतारे जाने पर दलितों पर हमले को लेकर पूछे गये एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए। सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण राज्य मंत्री आठवले ने कहा, ‘‘संदेश यह जाना चाहिए कि दलित भी इस देश के नागरिक हैं। उनका भी सम्मान होना चाहिए। ‘गउ रक्षा जरूरी है लेकिन इंसानों की रक्षा कौन करेगा। लोगों को इस तरह हमला करने का अधिकार नहीं है।’’ अब वक्त बदल चुका है।
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