नई दिल्ली (शिवम विज वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए)। राहुल गांधी ने वर्ष 2013 में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा था, "अगर मैं शादी कर लूंगा और बच्चे हो जाएंगे तो मैं यथास्थितिवादी हो जाऊंगा और चाहूंगा कि मेरे बच्चे मेरी जगह लें।" उनकी इस बात से लगा कि वो कभी शादी नहीं करेंगे। राहुल गांधी शादी करने जा रहे हैं, ये अफवाह ट्विटर पर फिर से जोर पकड़ रही है। यहां तक कहा जा रहा है कि जिस महिला से वो शादी करने जा रहे हैं, वो गांधी परिवार के गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश के एक ब्राह्मण परिवार से आती है। यह प्रदेश राजनीतिक रूप से काफी अहम है और अगले साल यहां विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।
हालांकि भारतीय राजनीति में शादी करना कोई अनिवार्य शर्त नहीं रही है। भारतीय राजनीतिज्ञों में ऐसे नेताओं की खासी संख्या है जो या तो अकेले हैं या अलग हो चुके हैं। इसमें हमारे प्रधानमंत्री भी शामिल हैं। लेकिन राहुल गांधी के लिए, जो हाल ही में 46 वर्ष के हो गए, शादी कर लेना अपनी छवि को सुधारने का यानी एक दिशाहीन असफल व्यक्ति से एक ज़िम्मेदार पारिवारिक व्यक्ति में बदलने का एक बेहतरीन तरीक़ा हो सकता है। राहुल गांधी के लिए शादी करने से ज़्यादा बेहतर जनसम्पर्क का कोई और तरीक़ा नहीं हो सकता। एक हिंदू महिला से पूरे धूमधाम और रस्मों-रिवाज़ के साथ शादी कर लेना ही राहुल के लिए, करने की सबसे बेहतर चीज होगी। तंज और मज़ाक का विषय बनने वाले राहुल गांधी देखेंगे कि अचानक उनके बारे में बातचीत बदल गई है। तब मीडिया में ये सवाल नहीं उठेगा कि क्या राहुल गांधी के पास कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का कोई तरीक़ा है, हालांकि इसकी ज़िम्मेदारी अब उनकी बहन प्रियंका को मिलने वाली है। तब जनता के बीच राहुल गांधी के बारे में चर्चा का विषय उस महिला पर केंद्रित हो सकता है जिससे वो शादी करने जा रहे हैं। कौन है वो, वे कैसे मिले, क्या ये सही मैच है? शादी कहां होगी, कौन लोग बुलाए जाएंगे, खाने में क्या-क्या परोसा जाएगा?
गांधी परिवार होने के नाते वो इसे एक छोटे से निज़ी आयोजन में महदूद रखना चाहेंगे लेकिन उन्हें अपनी गोपनीयता और रहस्य बनाए रखने की आदत को एक बार छोड़ देना चाहिए और इसे एक मीडिया अभियान बना देना चाहिए। अगर वो स्मार्ट हैं, तो उन्हें भारत की जनता को अपनी निजी ज़िंदगी में झांकने का मौका देना चाहिए। हिंदू दक्षिणंथी गांधी परिवार की छवि को न तो हिंदू और न ही भारतीय के रूप में गढ़ने में सफल रहे हैं। भाजपा और आरएसएस ने भारतीय होने को एकाधिकार बना डाला है। इस छवि को बदलने के लिए एक शानदार भारतीय विवाह से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता। तब सुर्खियां होंगी, 'पप्पू अब सेटल हो गया है'। राहुल गांधी को राजनीति में यह एक नई शुरुआत दे सकता है। अभूतपूर्व रूप से आज की राजनीति छवि की राजनीति है। राहुल गांधी की शादी की छवियां उनके लिए सटीक पासा पलटने वाली हो सकती हैं। शादी करने से राहुल गांधी की जल्द उत्तेजित होने और मौजी स्वभाव की छवि थोड़ी बदलेगी। वो राहुल गांधी जो हर तीन महीने में यूरोप चले जाते हैं, वो राहुल गांधी जो एक मंझे हुए नेता की बजाय एक शौकिया दार्शनिक की तरह बात करते हैं। ये सब बातें पुरानी पड़ जाएंगी।
जैसा कि संभव है, अपनी पत्नी के साथ राहुल गांधी एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखना शुरू कर सकते हैं जो परिपक्व बन चुका है। अगर वो उत्तर प्रदेश की महिला से शादी करते हैं, तो इसके राजनीतिक मायनों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। भारत का यह सबसे महत्पूर्ण राज्य है और गांधी परिवार का गृह राज्य भी है। यहां कांग्रेस को पुनर्जीवित होने की सख्त ज़रूरत भी है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को यहां अप्रासंगिक बना दिया है, उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार एक भूली हुई दास्तां बन गया है। पार्टी का आधार इतनी बुरी तरह खिसका है कि वो अब अमेठी और रायबरेली की अपनी पारम्परिक सीटें भी नहीं जीत पाती। यूपी से एक बहू घर लाने से ऐसा लगेगा कि गांधी परिवार अभी भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है।
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