नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की पाठशाला में सड़क और परिवहन मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय को सबसे अधिक नम्बर मिले हैं। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल हैं। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को लगभग पांच मिनट, विदेश मंत्रालय को तीन मिनट और रक्षा और कार्मिक मंत्रालय को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए दो-दो मिनट मिले। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अलग-अलग देशों को दिए जा रही वीजा सहुलियतों के बारे में चर्चा की। गृह, वित्त, रक्षा, विदेश और कार्मिक पांच कोर मंत्रालय हैं। प्रधानमंत्री नहीं चाहते थे कि इन अहम मंत्रालयों की पोल अलग मंत्रालयों के सामने खुले इसीलिए इन्हें ज़्यादा वक़्त नहीं दिया गया।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार की शाम को अपनी काउंसिल आफ मिनिस्टर्स की बैठक की थी और उसमें सबसे उनके मंत्रालयों में चल रहे कामकाज के बारे में प्रज़ेंटेशन देने को कहा था। सभी मंत्रालयों ने अपने-अपने प्रजेंटेशन आर्थिक मामलों के सचिव को सौंप दी थी। ऐसा इसीलिए क्योंकि उन्हें यह समझना था कि किस मंत्रालय ने किस तरह दिए गए पैसे खर्च किए। साथ ही उनको यह भी बताया गया कि आगे का मंत्रालय के लिए क्या रोड मेप है। सबसे पहले क्लास कृषि मंत्रालय की हुई। प्रधानमंत्री का इस मंत्रालय के बारे में कहना था कि किसानों के लिए मंत्रालय अभी बहुत कुछ कर सकता है। दूरसंचार मंत्रालय की प्रगति को लेकर भी प्रधानमंत्री ज्यादा खुश नहीं दिखे और सलाह दी कि काम में तेज़ी लानी होगी। मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की प्रगति से भी प्रधानमंत्री ज़्यादा प्रभावित नहीं दिखे। उन्होंने देश के कई शहरों में खुलने वाले आईआईटी और आईआईएम के बनने में हो रही देरी को लेकर सवाल पूछे। प्रधानमंत्री सबसे अधिक चिंतित स्वास्थ्य मंत्रालय को लेकर थे क्योंकि आम जनता का वास्ता सबसे ज़्यादा इसी मंत्रालय से होता है। प्रधानमंत्री ने अलग-अलग राज्यों में बनने वाले एम्स की प्रगति को लेकर काफी सवाल किए। वैसे सबसे ज़्यादा चर्चा सोशल एमपॉवरमेंट और चाइल्ड वेलफेयर मंत्रालयों पर हुई।
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