नई दिल्ली। यूपी और पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए मुश्किलें आसान होती नहीं दिख रही हैं। दोनों राज्योंर में कांग्रेस को जिताने का बयाना ले चुके प्रशांत किशोर के लिए भी हालात मुश्किल बन रहे हैं। यूपी में प्रशांत किशोर जहां ब्राह्मण या मुसलमान चेहरा आगे कर चुनाव लड़ने की सलाह दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस के लिए इस सलाह पर अमल करना मुश्किल हो रहा है। कांग्रेस के पास ऐसे चेहरों की कमी है, जिन पर मजबूती से दांव खेला जा सके। गुरुवार शाम दिल्लीे में शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी से मुलाकात की।
इसके बाद इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा कि शायद दीक्षित को कांग्रेस यूपी में अपना चेहरा बना कर प्रशांत किशोर की सलाह पर अमल करे। पर जिस समय दीक्षित-सोनिया की मुलाकात चल रही थी, लगभग उसी समय उपराज्य पाल नजीब जंग ने दिल्लीो सरकार की शिकायत पर शीला के खिलाफ जांच की मांग की फाइल भ्रष्टालचार निरोधी ब्यूलरो (एसीबी) को भेज दी। उपराज्य पाल के कदम के बाद कांग्रेस के लिए शीला दीक्षित को यूपी में मुख्यिमंत्री पद का चेहरा घोषित करना आसान नहीं रह जाएगा। कांग्रेस को पंजाब में पहले ही मुंह की खानी पड़ चुकी है। कमलनाथ को राज्यं का प्रभारी बनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद इस्तीपफा देना पड़ा। विपक्षी पार्टियों ने यह कह कर कमलनाथ की नियुक्ति को बड़ा मुद्दा बना दिया कि उन पर 1984 के सिख दंगों में शामिल होने का आरोप है। यूपी के नए प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को यह साफ कर कि राहुल गांधी को राज्यै में चुनावी चेहरा नहीं बनाया जाएगा, प्रशांत किशोर का एक और प्लाेन फेल कर दिया। किशोर यूपी में कांग्रेसियों की गुटबाजी से पहले से परेशान हैं। अब राज्य में कांग्रेस का नया अध्यिक्ष भी चुना जाना है। बताया जा रहा है कि प्रमोद तिवारी इस पद के लिए खुद को दौड़ में ला रहे हैं। नए अध्यचक्ष से प्रशांत किशोर के समीकरण कैसे बनते हैं, उनके काम की सफलता इस बात पर भी काफी निर्भर रहेगी।
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Up में तीनों मिलकर लड़ें सपा रालोद और कांग्रेस बिहार की तरह बसपा तो साथ नहीं देगी लेकिन वह स्पष्ट करे कि कम सीट आने पर वह किसकी मदद लेगी
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