एटा। जवाहरबाग के कब्जाधारी अभी भी तरह-तरह का दावा कर रहे हैं। अब एटा के जिला अस्पताल में भर्ती महिला ने कहा कि रामवृक्ष जिंदा है। पहली बार गोली चलने के बाद जैसे ही मामला शांत हुआ वह अपने परिवार को लेकर कहीं चला गया। दूसरी बार जब तक पुलिस आईं थी तब तक काफी लोग भाग गए थे। हम तो सत्याग्रह कर रहे थे, कब्जा नहीं। दो दिन पहले मथुरा से एटा जेल आई महिलाएं देखने से पहले परेशान लग रही है। जिला महिला अस्पताल में भर्ती धर्मवती का दावा है कि रामवृक्ष मरा नहीं है। उसका कहना है कि जब पहली बार गोली चली थी। उसी समय महिलाओं को डंडा लेकर उसके चारों ओर खड़ा कर दिया गया था। जैसे ही कुछ देर के लिए मामला शांत हुआ रामवृक्ष अपने परिवार की महिलाओं को लेकर वहां से निकल गया। धर्मवती को उम्मीद है कि वह अभी भी उनको बचाने आएगा।
उसका दावा था हम लोग बाबा जयगुरुदेव के आश्रम में जाते थे। इस आश्रम के लिए करीब 15 दिन पहले फोन कर बुलाया गया था कि मेला लग रहा है सभी लोग आ जाओ। बाबा जयगुरुदेव की आश्रम के बजाय उन्हें जवाहर बाग पहुंचा दिया गया। जब जेल से छूट जाएंगे तो फिर से जय गुरुदेव के आश्रम में ही जाएंगे। उसका दावा है कि काफी लोगों को फोन करके बुलाया गया था। इससे आश्रम में काफी भीड़ भी बढ़ गई थी। सीता से रामवृक्ष के बारे में पूछा तो वह उसने बताया कि वह दो वर्षो से जवाहर बाग में रह रही है। खाने-पीने, रहने-सहने की सब कुछ व्यवस्था होती थी। हम तो अपने गुरु महाराज की सेवा में थे। उसका दावा है कि बेड़ी वाले बाबा (रामवृक्ष) जरूर आएंगे। हम किसी की जमीन पर कब्जा नहीं कर रहे थे। कुछ दिन तक सिर्फ सत्यागृह करना था। सीता का कहना है कि गुरु के कहने पर वह यह सब कर रही है। जब यह पता चला कि पुलिस ने हमला बोल दिया है पहले तो मोर्चा लेने की तैयारी कर ली थी, जब संख्या अधिक हो गई तो भागने पर मजबूर हो गए। जेल में कुछ युवतियां भी बंद है। इनका कहना था कि जवाहर बाग के अंदर सब कुछ था। गाड़ियां आती जाती थीं। रामवृक्ष हर किसी पर नजर रखता था। उसके घर में हर किसी का आना जाना नहीं था। कुछ लोग अंदर जाते थे। पिछले 15 दिनों से किसी को जवाहर बाग से निकलने नहीं दे रहा था। कोई भी बाहर नहीं जाएगा। अगर वाहर जाओगे तो पुलिस पकड़ लेगी। जवाहर बाग में शरणार्थियों की संख्या बढ़ गई।
जवाहर बाग में बंद महिलाएं अब परेशान हैं। उन्हें न तो अपने पति की जानकारी है ना ही सभी बच्चों की। प्रसव पीड़ा के बाद जिला अस्पताल में बेटे को जन्म देने वाली महिला ने अपने बेटे का नाम की ‘जेली’ रख दिया है। शुक्रवार को हुई वार्ता में धर्मवती ने बताया कि तीन बच्चों के बाद जिस चौथे बच्चे को जन्म लिया है उसे अब जेली के नाम से पुकारा जाएगा। कारण पूछने पर उसने तपाक से यह जवाब दिया कि जब वह जेल में पैदा हुआ तो वह जेली ही तो हुआ। प्रसव की पीड़ा का अंतिम समय होने के बाद भी वह वह अपने पति एवं जेठ को लेकर बच्चों सहित जवाहर बाग पहुंच गई थी। उसका कहना था कि हमारे बारे में परिजनों को भी किसी कोई सूचना नहीं है। ससुराल में कोई है नहीं, मायके पक्ष के लोग पहुंच नहीं सकते। बस अब जेल से छूटने का इंतजार है। रामवृक्ष को बचाने के लिए अधिकांश लोग लगे थे। इसमें सबसे अधिक जिम्मेदारी वीरेश, सचिव और हजारी की थी। इन लोगों के हाथ में बंदूक और तमंचा थे। गोली चलने के बाद उनको सुरक्षित निकालने की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों के पास थी। जवाहर बाग की घटना को अंजाम देने का तानाबाना महीनों पहले ही रामवृक्ष ने बना लिया था। देश भर में फैले लोगों को फोनकर बुलाया जा रहा था। खास बात यह है कि जो फोन कर रहा था वह कौन था। फोन जयगुरुदेव के आश्रम की ओर से किया जा रहा था। जब ये लोग पहुंचे तो इन्हें जवाहर बाग पहुंचा दिया गया। महिलाओं की बातें सुनने के बाद लगता है कि इस मामले को तानाबाना बुनने में रामवृक्ष के अलावा दूसरे आश्रम का भी हाथ था।
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