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उत्तराखंड राज्य के खर्च को लेकर अध्यादेश जारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार से उत्तराखंड के खर्च के प्राधिकार को लेकर एक अध्यादेश जारी किया है। राज्य में इस समय राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) अध्यादेश 2016 को गुरुवार को राष्ट्रपति ने लागू किया था। एक सरकारी अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि अध्यादेश का मकसद वित्त वर्ष 2016-17 के एक हिस्से के लिए सेवाओं के लिए उत्तराखंड राज्य की समेकित निधि से कुछ राशि निकालने की व्यवस्था करना है। कांग्रेस ने इस अध्यादेश का विरोध किया है। इस बीच हाई कोर्ट ने उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) अध्यादेश को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की याचिका पर केंद्र सरकार को पांच अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख छह अप्रैल तय की है। कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा 18 मार्च को ही विनियोग विधेयक पारित कर चुकी है और स्पीकर ने इसकी घोषणा भी की थी। अधिसूचना में कहा गया है कि अध्यादेश जारी किया जाता है क्योंकि संसद सत्र में नहीं है और राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि उत्तराखंड राज्य के वित्तीय कामकाज के समय से संचालन के लिए फौरन कदम उठाते हुए उनके लिए ऐसा करना आवश्यक है। अध्यादेश राज्य में चालू वित्त वर्ष के लिए कुछ सेवाओं पर होने वाले खर्च को पूरा करने के मकसद से 13, 642.43 करोड़ रुपए निकालने की अनुमति देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे के कारण उनकी अनुपस्थिति में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को अध्यादेश जारी करने का फैसला लिया गया था। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि 18 मार्च को विनियोग विधेयक पारित नहीं हुआ था। कानूनी रूप से विधेयक को पारित नहीं किए जाने के कारण उत्तराखंड राज्य के मामले में समेकित निधि से कोई धन निकासी नहीं हो सकती। प्रसाद ने कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन होने और इससे पूर्व कोई बजट पारित नहीं होने के कारण कैबिनेट ने उत्तराखंड के लिए विनियोग अध्यादेश की सिफारिश की थी ताकि सरकारी खजाने से विधिवत निकासी की जा सके। इसी बीच संसद के बजट सत्र का 29 मार्च को सत्रावसान कर दिया गया ताकि सरकार अध्यादेश लागू कर सके। उत्तराखंड विधानसभा के स्पीकर ने विवादास्पद परिस्थितियों में विनियोग विधेयक के पारित होने की घोषणा की थी। उधर उत्तराखंड मुद्दे पर विरोध को और तेज करते हुए कांग्रेस ने केंद्र की तरफ से जारी अध्यादेश को ‘असंवैधानिक’ बताया है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, क्या दो बजट हो सकते हैं? एक राज्य विधानसभा ने पास किया और दूसरे को केंद्र सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से लागू किया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार विधानसभा की कार्यवाहियों में मध्यस्थ कैसे हो सकती है। केंद्र की पहल असंवैधानिक है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा ने लोगों की आकांक्षाओं वाले विधेयक को ‘संवैधानिक रूप से पारित’ किया है। उन्होंने आरोप लगाया, यह मोदी सरकार का षड्यंत्र है जो जन कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करने में बाधा डालती है और रोकती है जिसके लिए राज्य के बजट में कोष आबंटित किया गया था। इस पहल को भाजपा सरकार की ‘विधायी बेईमानी’ करार देते हुए उन्होंने दावा किया कि पहले संसद का सत्रावसान किया और फिर ‘अध्यादेश के माध्यम से अवैध काम किया।’ कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर ‘लोकतंत्र की हत्या’ की है। इस बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट ने केंद्र के लाए गए अध्यादेश को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की याचिका पर केद्र सरकार को पांच अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तिथि छह अप्रैल तय की है। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके विष्ट के खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के वकील राकेश थपलियाल द्वारा मामले में अपना जवाब दाखिल करने को थोड़ा समय मांगे जाने के बाद उसे पांच अप्रैल तक अपना उत्तर देने को कहा। याचिका में राज्य विधानसभा द्वारा बजट पारित कर दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा विनियोग अध्यादेश लाए जाने को असंवैधानिक बताया गया है। अपदस्थ मुख्यमंत्री रावत की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख छह अप्रैल तय की गई है। न्यायालय ने सिब्बल के इस अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया जिसमें याचिका में एक और अतिरिक्त प्रार्थना लगाकर उत्तराखंड में विनियोग विधेयक लाने के लिए संसद के बजट सत्र का सत्रावसान करने के केंद्र के निर्णय को भी चुनौती दी जाएगी। अदालत ने इस अतिरिक्त प्रार्थना को चार अप्रैल तक जोड़ देने के लिए कहा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड विधानसभा में विनियोग विधेयक के पारित नहीं हो पाने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को उत्तराखंड विनियोग अध्यादेश को मंजूरी देने की सिफारिश भेजी थी। गौरतलब है कि 18 मार्च को राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की विपक्ष की मांग के समर्थन में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों के उतरने से प्रदेश में सियासी संकट पैदा हुआ था। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा मतविभाजन की मांग अस्वीकार किए जाने के बाद सदन में हंगामा हो गया था, जिसके बाद उन्होंने विनियोग विधेयक के ध्वनिमत से पारित होने की घोषणा की थी।
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