नई दिल्ली। भांग, चरस या गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है. लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है. इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है. एक नजर इसके फायदों पर.
चक्कर से बचाव
2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं. यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा. रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं.
ग्लूकोमा में राहत
अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है. इससे नजर की समस्या आती है. गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है.
अल्जाइमर के खिलाफ
अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है. एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है. रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया.
कैंसर पर असर
2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है. अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer.org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं. यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं. कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है.
कीमोथैरेपी में कारगर
कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं. अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है.
बीमारियों से राहत
कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है. इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है. इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं. 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है. तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है.
दिमाग की रक्षा
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है. भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है.
एमएस से बचाव
मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है. फिलहाल यह असाध्य है. इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है. धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है. कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है.
दर्द निवारक
शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं. इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है. हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है.
हैपेटाइटिस-सी से आराम
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं. यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके. माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया.
सड़कों पर गांजे की पार्टियां
अमेरिका के कुछ राज्यों में गांजा की खरीद फरोख्त वैध कर दी गई है. गांजे के शौकीन चाहते हैं कि पूरे देश में ऐसा किया जाए. इसके लिए एक बार फिर वे सड़कों पर निकले और पार्टियां कर के प्रदर्शन किया. प्रदर्शनों में अक्सर नारे होते हैं, शोर गुल होता है. ऐसा ही यहां भी था. फर्क इतना है कि कोई हिंसा नहीं हुई, बल्कि लोग संगीत पर थिरकते रहे. अमेरिका और कनाडा के कई इलाकों में पूरे सप्ताहांत इस तरह की पार्टियां चलती रहीं. एक तरफ वे लोग हैं जिनका मानना है कि गांजे का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जा सकता है, इसलिए इसे वैध किया जाना जरूरी है. तो दूसरी ओर वे भी हैं जो खुलेआम कानून का मजाक उड़ाए जाने को ले कर सकते में हैं और इस बात से परेशान हैं कि उनके बच्चों पर इस तरह की रैलियों का क्या असर पड़ेगा.
कैनबिस वर्कशॉप
अमेरिका के डेनवर शहर से रैलियों की यह परंपरा शुरू हुई. वहां इस दौरान 'कैनबिस कप' नाम का शो भी आयोजित किया गया. दो दिन तक चले इस शो में लोगों को गांजे के सैंपल दिए गए, उन्हें सिखाया गया कि भांग कैसे उगाई जाती है और इसकी दुकान कैसे चलानी चाहिए. इसके अलावा यहां लोगों को यह भी सिखाया गया कि बच्चों से चरस के बारे में कैसे बात की जाए. इसी तरह सिएटल में भी 'कैनबिस वर्कशॉप' आयोजित की गई जिनमें ज्वाइंट रोल करना भी सिखाया गया. सिएटल में हर व्यक्ति को 28 ग्राम गांजा रखने की अनुमति है.
420 रैलियां
अमेरिका में कई सालों से इस तरह की रैलियां निकाली जा रही हैं. इन्हें नाम दिया गया है '420 फेस्टिवल'. इस अंक का चारसौ बीसी से कोई लेना देना नहीं है. अमेरिका में 420 चरस का पर्यायवाची बन चुका है. यही वजह है कि हर साल 20 अप्रैल यानि साल के चौथे महीने के बीसवें दिन ये रैलियां निकाली जाती हैं. दरअसल 70 के दशक में डेनवर में स्कूली छात्र शाम चार बज कर बीस मिनट पर मिला करते थे और एक साथ चरस फूकते थे. यहीं से 420 की शुरुआत हुई. रैलियों के दौरान भी इसी समय लोगों ने एक साथ ज्वाइंट के कश लिए. सिएटल पहुंचे एक 54 साल के व्यक्ति ने बताया कि वह सैकड़ों मील का रास्ता तय कर अपनी पत्नी और बेटी के साथ रैली में हिस्सा लेने सिएटल आया है. चरस पीते हुए उसने बताया, "आज से पांच या दस साल पहले के मुकाबले अब लोग ज्यादा खुल गए हैं."
जर्मनी में भांग उगाने की इजाजत
इलाज के लिए जर्मनी में पहली बार किसी मरीज को मारिजुआना उगाने की मंजूरी दी गई है. हालांकि अदालत ने साफ कर दिया है कि ऐसे फैसलों में पहले पूरी जांच और सतर्कता बरती जाएगी.
जर्मन शहर कोलोन की एक प्रशासनिक अदालत के इस फैसले के मुताबिक भांग का सामान्य रूप से इस्तेमाल गैरकानूनी है लेकिन इलाज के लिए परमिट हासिल होने पर इसे घर में उगाया जा सकेगा. पांच मरीजों ने भांग उगाने की इजाजत मांगी थी, जिनमें से सिर्फ तीन को मंजूरी मिली. अदालत ने कहा है कि बाकी के दो मरीज ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं.
अदालत की राय है कि इसे उगाने की परमिट देने से पहले हर मामले की पूरी तरह जांच होगी. मरीजों के लिए उगाई गई भांग किसी और को देना गैरकानूनी होगा.
गंभीर रूप से दर्द की शिकायत वाले पांच मरीजों ने अदालत में केस दायर कर जर्मनी के केंद्रीय चिकित्सा संस्थान से इलाज के लिए अपने घर पर भांग उगाने की इजाजत मांगी थी. हालांकि इन मरीजों को दर्द से निजात के लिए इससे बनी दवा खरीदने की छूट है. लेकिन बीमा कंपनियां इन बेहद महंगी दवाओं का खर्च नहीं उठाती हैं.
भांग के इस्तेमाल से दुनिया भर के कई देश प्रतिबंध हटा रहे हैं. कहीं सिर्फ इलाज के लिए तो नीदरलैंड्स और अमेरिका के कुछ राज्यों में मौज मस्ती के लिए इसका इस्तेमाल गैरकानूनी नहीं है. पिछले कुछ सालों में कैंसर, एचआईवी/एड्स, हेपेटाइटिस सी और पार्किंसंस के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल काफी लोकप्रिय हो गया है. हाल में न्यूयॉर्क अमेरिका का 23वां राज्य बन गया है जहां इलाज के लिए भांग के इस्तेमाल को कानूनी दर्जा मिला.
भांग उगाने के कानून का विरोध करने वालों के मुताबिक इससे नशे की लत पड़ सकती है और इससे अपराध बढ़ने का भी खतरा है. कुछ की यह भी दलील है कि भांग के इस्तेमाल से मरीज की ज्यादा सख्त दवाओं पर निर्भरता हो सकती है. (साभार)
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