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बीजेपी विरोधी खेमे में पीएम प्रत्याशी को लेकर घमासान, नीतीश 'सबसे योग्य'

नई दिल्ली। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी विरोधी दलों का एकसाथ आना अभी तक एक-दूसरे से अपील तक ही सिमित है, जबकि कथि‍त तीसरे मोर्चे में पीएम प्रत्याशी को लेकर गहमागहमी एक बार फिर बढ़ गई है. एनसीपी चीफ शरद पवार ने मोदी विरोधी दल के नेता के तौर पर जहां नीतीश कुमार को सबसे योग्य करार दिया है, वहीं समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने अपने 'नेताजी' मुलायम सिंह यादव को 'द बेस्ट' बताया है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की है. उन्होंने 'तीसरे मोर्चे' के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि नीतीश न सिर्फ सबसे योग्य हैं बल्कि‍ बीजेपी विरोधी दल के नंबर-1 नेता भी हैं. पवार के इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने पीएम प्रत्याशी के तौर पर मुलायम सिंह यादव का नाम आगे किया. उन्होंने कहा, 'यह शरद पवार का विचार हो सकता है, लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं. हमारा मानना है कि गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस फ्रंट के लिए मुलायम सिंह यादव ही सबसे बेस्ट नेता हैं.' शरद पवार के बयान पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, '2019 का समय अभी दूर है. अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. हमारी पार्टी किस पार्टी के साथ जाएगी यह उसी समय तय किया जाएगा. हम उस वक्त देखेंगे की कौन-सी पार्टी उनके अनुरूप है, या फिर नहीं.' दिलचस्प बात यह है कि मायावती खुद प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोती हैं, वहीं जब इस बारे में उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. केंद्रीय मंत्री और कभी नीतीश के सहयोगी रह चुके एलजेपी प्रमुख राम विलास पासवान ने पवार के बयान को मुद्दों से भटकाने वाला बयान करार दिया है. उन्होंने कहा, 'चाहे जो भी कहे शरद पवार, नीतीश कुमार कभी प्रधानमंत्री बनने वाले नहीं हैं. सिर्फ बिहार के मामलों से ध्यान बंटाने के लिए वो ये सब बोल रहे हैं.' जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, 'हम शरद पवार जी की भावनओं का सम्मान करतें हैं. बिहार एक नूतन प्रयोग था, जिसमें नीतीश कुमार गैर बीजेपी दलों के नेता के तौर पर उभरे. वह निसंदेह एक PM मेटेरियल हैं, लेकिन गैर बीजेपी गठबंधन का कोई नेता बिना कांग्रेस के समर्थन के नहीं हो सकता. हमारी पार्टी एक छोटी पार्टी है.' मोदी सरकार के मंत्री और बिहार बीजेपी के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार को पहले बिहार संभालने की सलाह दी है. उन्होंने कहा, 'नीतीश पहले बिहार को संभाल लें. पीएम देश की जनता चुनती है और उसने नरेंद्र मोदी को देश का पीएम चुन लिया है. आज पीएम उम्मीदवार पर नहीं देश के विकास पर बात होनी चाहिए. नीतीश कुमार पहले यूपी में छह पार्टियों को एक करने की बात कर रहे थे, अभी तक कुछ नहीं हुआ. शरद पवार पहले यह बताएं कि उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ है या नहीं.' दूसरी ओर, अंग्रेजी अखबार 'ईटी' से बातचीत में पवार ने कहा, 'बिहार में नीतीश की जीत ने उन सभी लोगों को एक सिग्नल दिया, जो कांग्रेस और बीजेपी से नाखुश हैं. आज अगर देश में विपक्ष को एकजुट होना हो और विकल्प देना हो तो नीतीश का नाम नंबर वन होगा.' पवार ने कहा कि कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है और मुख्यमंत्री होने के कारण नीतीश के पास 'अथॉरिटी' भी है. पवार ने कहा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बीजेपी विरोधी गठजोड़ में वह भूमिका नहीं निभा सकते, जो नीतीश निभा सकते हैं. उन्होंने कहा, 'नीतीश केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे हैं. तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं. वह निचले स्तर से उभरने वाले राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. केजरीवाल को कोई नहीं जानता. हमने तो उनका नाम भर सुना है.' एनसीपी चीफ ने कहा है कि किसी भी बीजेपी विरोधी गठबंधन के लिए कांग्रेस अहम तो है, लेकिन जोड़ने वाली ताकत नीतीश ही होंगे. पवार ने कहा, 'विपक्षी दलों में सोनिया गांधी की स्वीकार्यता ज्यादा है. हममें से कुछ लोग उनसे लड़े हैं और हमने उनमें बदलाव देखा है. वह सबकी राय को तवज्जो देने वाली नेता हैं.' पवार ने कहा कि समय के साथ राहुल गांधी में बदलाव तो आया है, लेकिन उनके बारे में कोई राय देना जल्दबाजी होगी. देखना होगा कि अगले तीन वर्षों में राहुल क्या करते हैं. उन्होंने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष इकलौते नेता हैं, जो ज्यादातर राज्यों में जा रहे हैं. शरद पवार ने इसके साथ ही राहुल गांधी के नेतृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस को सोनिया गांधी के मुकाबले कम असरदार माना है. शरद पवार ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड केस की जांच पर बीजेपी गंभीर नहीं है और बीजेपी नेताओं ने उनसे कहा है कि इसमें कुछ खास दम नहीं है. पवार ने कहा, 'आरोप जब पहली बार सामने आए तो मनमोहन सिंह ने तुरंत डील रद्द करने का निर्णय किया था. जो अडवांस दिया गया था, उसे भी वापस ले लिया गया. CBI जांच शुरू करवाई गई. 3-4 हेलिकॉप्टर इंडिया आ गए थे और उन्हें यहीं रोक लिया गया. अब अगर कोई कह रहा है कि इसमें पैसे का अवैध लेनदेन हुआ तो फिर इतनी कार्रवाई कैसे होती? कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो जाए तो पैसे कौन देगा? जो आरोप लगा रहे हैं, उन्हें भी यह सब पता है.'
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