नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं। जेल से पुलिस ने उन्हें गुप चुप तरीके से जेएनयू पहुंचाया। इसके बाद कन्हैया ने छात्रों की जनसभा में सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जेएनयू को सोच समझ कर निशाना बनाया गया। इस दौरान कन्हैया ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। कन्हैया ने कहा कि उन्हें देश से आजादी नहीं बल्कि देश में आजादी चाहिए। कन्हैया ने मन की बात से लेकर हर हर मोदी, चुनावी वादों, जाट आरक्षण, मोदी के ट्वीट जैसे तमाम मुद्दे उठाए और केंद्र को घेरा। कहा-‘जब तक जेल में चना रहेगा आना जाना लगा रहेगा।’
जेएनयू छात्र संघ के नेता कन्हैया कुमार ने अपनी गिरफ्तारी के तीन सप्ताह के बाद जेल से जेएनयू परिसर लौटने पर गुरुवार देर रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ निशाना साधा और कहा कि वे देश के भीतर स्वतंत्रता चाहते हैं ना कि देश से। कथित तौर पर राष्ट्र-विरोधी नारे लगाने के लिए देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे 29 साल के कुमार ने परिसर में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उनके प्रधानमंत्री के साथ कई मतभेद थे लेकिन वह उनके ‘सत्यमेव जयते’ वाले ट्वीट से सहमत हैं जो उन्होंने जेएनयू विवाद पर लोकसभा में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के उग्र लहजे वाले भाषण पर किया था क्योंकि यह संविधान में है। नारेबाजी और जोरदार तालियों के बीच अपने भाषण में कन्हैया ने तंज कसते हुए कहा कि मेरे प्रधानमंत्री के साथ कई मतभेद हैं लेकिन मैं उनके सत्यमेव जयते के ट्वीट से सहमत हूं क्योंकि यह शब्द हमारे संविधान में है। उन्होंने कहा कि हम भारत से आजादी नहीं चाहते हैं। हम भारत के भीतर आजादी चाहते हैं। जेल में बंद रहने के दौरान अपने साथ खड़े रहने वालों को धन्यवाद देते हुए कुमार ने कहा कि उन्हें भारत के संविधान और न्यायपालिका में भरोसा है। कन्हैया ने कहा कि इस बार सिस्टम को पढ़ा नहीं झेला है। जेएनयू ने सही को सही और गलत को गलत कहा। इससे पहले कन्हैया ने सदन में बैठे लोगों और पुलिस का धन्यवाद भी किया। साथ ही कहा कि हम लोग एबीवीपी को दुश्मन की तरह नहीं विपक्ष की तरह देखते हैं। जेएनयू के साथ खड़े होने के लिए कन्हैया ने सभी को धन्यवाद कहा। कन्हैया के तिहाड़ से आने पर जोरदार स्वागत किया गया। कन्हैया को देशद्रोह के मामले में तीन हफ्ते पहले गिरफ्तार किया गया था जिसे लेकर एकजुट होते हुए विपक्ष ने सरकार पर असहमति को कुचलने को लेकर जोरदार हमला किया था। 29 साल के कुमार को गुरुवार शाम रिहा कर दिया गया। साथ ही दिल्ली सरकार की नियुक्त एक मजिस्ट्रेट जांच में उनके जेएनयू परिसर में नौ फरवरी को एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने का कोई साक्ष्य भी नहीं पाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमार के खिलाफ ‘कुछ भी प्रतिकूल नहीं’ है और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों के समर्थन में कोई गवाह या वीडियो नहीं है। पीएचडी कर रहे कुमार को शाम छह बज कर 30 मिनट पर रिहा कर दिया गया और छात्रों और शिक्षकों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी नारों और कालाधन वापसी के नारों पर वार करते हुए कन्हैया ने कहा कि अभी तक कालाधन नहीं आया। 'अच्छे दिन' और ट्विटर पर पीएम के एक्टिवनेस पर चुटकी लेते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री ट्विटर पर सत्यमेव जयते कहते हैं। सत्यमेव जयते किसी एक दल का नहीं है। यह देश का है। हम भी सत्यमेव जयते कहते हैं।' कन्हैया ने जेल के अनुभवों को साझा करते हुए कहा, 'एक पुलिसकर्मी ने मुझसे पूछा कि लाल सलाम क्यों कहते हो। मैंने उसे बताया कि लाल मतलब क्रांति और सलाम मतलब क्रांति को सलाम। पुलिस वाले ने कहा समझ नहीं आया। मैंने कहा इंकलाब जिंदाबाद समझते हैं। पुलिस वाले ने कहा हां। मैंने बताया कि क्रांति को ही उर्दू में इंकलाब कहते हैं।' कन्हैया ने कहा कि लंबे अरसे बाद जेएनयू से कोई जेल गया है। उन्होंने कहा, 'जब तक जेल में चना रहेगा आना जाना लगा रहेगा।' जमानत पर रिहा हुए कन्हैया ने कहा कि वह और जेएनयू के उसके साथी अंबेडकर के भारत का निर्माण करना चाहते हैं। कन्हैया ने कहा, 'हमें भूखमरी से आजादी चाहिए। भ्रष्टाचार से आजादी चाहिए। हम सामाजिक लोकतंत्र की बात करते हैं। हमारा संविधान की प्रस्तावना पर पूरा भरोसा है। बाबा साहब ने कहा था कि राजनीतिक लोकतंत्र से काम नहीं चलेगा। क्या देश के अंदर आजादी मांगना गलत है। हम फर्जी ट्वीट करने वाले संघी लोगों से आजादी चाहते हैं।' कन्हैया ने कहा कि वह देश के सैनिकों को सलाम करते हैं। देश के प्रति उनकी पूरी आस्था है और इसलिए वह देशहित में आजाद की मांग कर रहे हैं। कन्हैया ने अपने संबोधन के दौरान कई बार कहा कि उनका किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा, 'मेरी अपनी विचारधारा है। मेरा राजनीति से कोई संबंध नहीं है। मेरे साथ खड़े होने वाले नेताओं पर भी देशद्रोह का आरोप लगाया गया। देश में खतरनाक प्रवृति चल पड़ी है। जेएनयू के हित में खड़े होने वालो को सैल्यूट करने की जरूरत है। लेकिन दुर्भाग्य है कि देश में बेचने वाली मानसिकता चल पड़ी है।
बीजेपी, आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष और हमलों का दौर जारी रखते हुए कन्हैया ने कहा, 'अयोध्या का मुद्दा फिर चल रहा है। लेकिन इस बार मुख में राम बगल में छुरी नहीं चलेगा, इस बार धुरी बदल गई है। मैंने जेल में एक सिपाही से पूछा कि कुछ लोग भगवान के लिए कुछ रचना चाहते हैं क्या राय है। सिपाही ने कहा कि महा बुड़बक राय है।' कन्हैया ने कहा कि जेएनयू के विरोध का पूरा प्लान नागपुर में तय हुआ। जानकारी के मुताबिक, कन्हैया को गुरुवार शाम ठीक 6:30 बजे आधिकारिक तौर पर रिहा किया गया। जबकि सुरक्षा कारणों से उसे पहले ही हरि नगर पुलिस थाने ले जाया गया था। वहां उसे साउथ वेस्ट पुलिस की सिक्योरिटी में लिया गया। बताया जाता है कि जेल में कन्हैया का मेडिकल किया गया, जिसके बाद उसे कॉलोनी रूट से हरिनगर थाने ले जाया गया और फिर आधिकारिक रूप से रिहा किया गया। इससे पहले कन्हैया के वकील शाम करीब 5 बजे रिलीज ऑर्डर लेकर तिहाड़ जेल पहुंचे। कन्हैया की रिहाई के मद्देनजर दोपहर बाद से ही तिहाड़ जेल के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। वहां बड़ी संख्या में जेएनयू छात्र संघ से जुड़े कार्यकर्ता और छात्र संगठनों के लोग जुट गए। इस कारण दिल्ली पुलिस के कमांडो भी तैनात किए गए। कन्हैया को सुरक्षा देने के लिए सुरक्षाबलों और गाड़ियों का इंतजाम भी किया गया।
जानकारी के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कन्हैया को सशर्त जमानत देते हुए निर्देश दिया कि वह इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस का सहयोग करे। इसके साथ ही कोर्ट ने उसे 10 हजार रुपये का बेल बॉन्ड भरने का भी निर्देश दिया। जमानत मिलने पर खुशी जताते हुए कन्हैया के भाई मणिकांत ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। यह लड़ाई आगे जारी रहेगी। जस्टिस प्रतिभा रानी ने कन्हैया कुमार को किसी प्रकार की 'राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में' प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भाग लेने से मना करते हुए कहा कि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष की हैसियत से वह परिसर में किसी भी तरह की राष्ट्र विरोधी गतिविधि पर काबू पाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हर संभव प्रयास करेंगे। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनकी जमानत निरस्त हो सकती है। कन्हैया को जमानत मिलने के बाद जेएनयू में उत्सव का माहौल देखा गया। विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों ने कन्हैया के समर्थन में नारे लगाए जिनमें ज्यादातर वामपंथ समर्थक छात्र थे। छात्रों का एक समूह जोर से नारे लगा रहा था, 'हम खुश हैं, हम खुश हैं।' उसके गृहनगर बिहार के बेगूसराय में परिजनों और समर्थकों ने आतिशबाजी और मिठाई बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया। बताते चलें कि कन्हैया कुमार को न्यायिक हिरासत में दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया था। जेल में उसकी सुरक्षा इतनी मजबूत की गई थी कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। उसकी सुरक्षा के लिहाज से हर संभव सावधानी बरती जा रही थी. न सिर्फ उसे अलग सेल में रखा गया था, बल्कि खाने-पीने की जांच से लेकर उसके सेल पर हर पल सीसीटीवी की निगरानी रखी जा रही थी।
कन्हैया का भाषण असरदार, कुछ भी गलत नहीः नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के भाषण को प्रभावशाली बताते हुए तारीफ की है। उन्होंने कहा कि कन्हैया ने साफ किया है कि उन्हें देश से नहीं देश में आजादी चाहिए, इसमें गलत क्या है।' नीतीश ने कहा कि कन्हैया के भाषण में कुछ भी गलत नहीं कहा गया है। युवाओं को देश में बदलाव के लिए आगे आना होगा। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने पहले भी कन्हैया के समर्थन में बयान दिया था और कहा थी कि बिहार में छोटी-छोटी घटनाओं को तूल देने वाली बीजेपी दिल्ली में कोर्ट के बाहर कन्हैया की पिटाई पर क्यों कुछ नहीं बोलती। वहां साफ जाहिर होता है कि जंगल राज है। वहीं, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कन्हैया के भाषण के संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'मैंने अभी वो भाषण नहीं सुना है।' हालांकि गृह मंत्री ने यह भी कहा कि कन्हैया के मामले में सरकार से कोई चूक नहीं हुई है। दिल्ली पुलिस मामले की जांच कर रही है और अब तक जो भी कार्रवाई हुई है वो कानून के मुताबिक हुई है।
केजरीवाल ने कन्हैया के भाषण को बताया 'जबरदस्त', कहा- मोदी को किया था आगाह
देशद्रोह के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने रिहा होने के बाद गुरुवार रात जेएनयू में छात्रों को संबोधित किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कन्हैया के भाषण को जबरदस्त बताते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले ही आगाह कर चुके थे कि छात्रों पंगा न लें। केजरीवाल ने कन्हैया के भाषण के बाद रात में ट्वीट किया- 'कन्हैया का भाषण जबरदस्त।' इसके बाद शुक्रवार सुबह केजरीवाल ने ट्वीट किया और प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लिया। उन्होंने लिखा- 'मैंने कई बार बोला था मोदी जी, स्टूडेंट्स से पंगे मत लो। लेकिन मोदी जी नहीं माने।' दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी कन्हैया के समर्थन में ट्वीट किया और केजरीवाल के ट्वीट को साझा करते हुए लिखा- 'कन्हैया और जेएनयू ने देश में फर्जी राष्ट्रवादियों की खतरनाक विचारधारा के खिलाफ निर्णायक जंग की उम्मीद जगा दी है।'
बता दें कि छात्रों के बीच अपने 40 मिनट से अधिक के संबोधन में कन्हैया ने कहा कि उनका देश के संविधान में पूरा भरोसा है और पूरी उम्मीद है कि बदलाव आकर रहेगा। जेएनयू विवाद देश के बुनियादी सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। कन्हैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार, बीजेपी और आरएसएस पर जमकर चुटकी ली, खूब निशाना साधा और इनको हिटलर से भी जोड़ा। कन्हैया ने कहा, 'तुम जितना दबाओगे, हम उतनी मजबूती से खड़े होंगे।' संबोधन के अंत में कन्हैया ने 'आजादी' वाले नारे भी लगाए। कन्हैया ने अपने उत्साहपूर्ण भाषण में कहा कि वह यहां लोगों से, अपने साथियों से अनुभव साझा करने आए हैं, भाषण देने नहीं। कन्हैया ने कहा, 'अत्याचार के खिलाफ जेएनयू ने हमेशा आवाज बुलंद की है। आगे भी करता रहेगा, लेकिन जेएनयू के खिलाफ सुनियोजित हमला किया गया। हम भारत से आजादी नहीं, भारत में आजादी मांग रहे हैं।' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ 'मन की बात' करते हैं, लेकिन सुनते नहीं है। पीएम मोदी को चाहिए कि वह लोगों के मन की बात सुनें और मां की बात भी सुन लें।
बुधवार को हाई कोर्ट ने कन्हैया को छह महीने की सशर्त अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को रिहाई के आदेश जारी किए। कन्हैया की रिहाई के बाबत जेएनयू छात्र संघ के तमाम कार्यकर्ता तिहाड़ के बाहर कड़ी सुरक्षा के बीच मौजूद रहे। कन्हैया के भाई मणिकांत ने कहा, 'कन्हैया अभी दिल्ली में ही रहेगा, बेगूसराय आने का कोई सवाल नहीं उठता।' एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो डर गया समझो मर गया। जबकि कन्हैया के पिता जयशंकर सिंह ने कहा कि आरएसएस खुद एक आतंकी संगठन है। इन्होंने ही गांधी जी को मारा था। आज चोर खुद कोतवाल को डांट रहा है।
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।