नई दिल्ली। यमुना किनारे बसी आबादी का सच क्या है ? इसकी एबीपी न्यूज ने पड़ताल की है. दो हफ्ते पहले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने यमुना रिवर बेड यानी यमुना किनारे बसी आबादी को लेकर सवाल उठाए थे. दरअसल 11 से 13 मार्च तक हुए श्री श्री के कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण को हो रहे नुकसान के आरोपों पर श्री श्री ने आयोजन स्थल की दूसरी तरफ यानी यमुना तट पर नजर डालने को कहा था. एबीपी न्यूज ने पड़ताल की तो पाया कि डीडीए की साल 2010 में आई रिपोर्ट भी ओखला और बाटला हाउस में अवैध निर्माण की पुष्टि करती है. जाहिर है वोटबैंक के लिए अवैध निर्माण को सरकारों ने जायज बना दिया है. दिल्ली को नोएडा से जोडने वाले डीएनडी टोल रोड की बात करें तो इसी टोल रोड के बगल में जगह है जंहा हाल ही श्री श्री रविशंकर का विश्व सांस्कृतिक महोतस्व हुआ था. और सड़क के दुसरी तरफ है यमुना से सट्टा हुआ ओखला इलाका. वो ओखला और बाटला हाउस का इलाका जिसमें हो रहे निर्माण को लेकर श्री श्री रविशंकर ने सवाल उठाए थे. 11 से 13 मार्च तक पूरी दुनिया श्री श्री के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव की गवाह बनी थी. लेकिन इस भव्य आयोजन से पहले यमुना के नुकसान का आरोप लगाते हुए जब कुछ पर्यावरण विशेषज्ञों ने एनजीटी में शिकायत की थी तो उन्होंने ओखला और बाटला हाउस में हुए निर्माण पर सवाल खडे कर दिए थे. एबीपी न्यूज ने भी जब श्री श्री के बयान की सच्चाई जाननी चाहिए तो पाया कि दिल्ली के ओखला इलाके में बसी कॉलोनी यमुना नदी में ही एक तरह से आकर बस गई है.
सरकार जिस इलाके को नदी का हिस्सा मानती है यानी जहां यमुना नदी बहती है या उसके डूब का क्षेत्र उसे ओ-जोन कहा जाता है और इसी ओ-जोन में बहुत सारा निर्माण हुआ है इसकी पुष्टि खुद डीडीए यानी दिल्ली विकास प्राधिकरण की साल 2010 में आई जोनल डेवलपमेंट प्लान फॉर यमुना एंड ओ जोन में है. रिपोर्ट में साफ तौर पर इलाके में निर्माण का जिक्र है. रिपोर्ट में साफ लिखा है की NH24 से ओखला औऱ ओखला बराज से दिल्ली की सीमा में पडने वाले ओ जोन में अवैध निर्माण हुआ है. साथ ही कई जगहों पर अतिक्रमण किया गया है. रिपोर्ट में ओखला इलाके और आस पास में पड़नेवाली उन अनाधिकृत कॉलोनी का जिक्र है जिसमें अबुल फजल एनक्लेव मेन, अबुल फजल एनक्लेव पार्ट-2 शाहिन बाग, अबुल फजल एनक्लेव1 ई से एन ब्लॉक, नई बस्ती हरिजन कौलनी जामिया नगर ओखला शामिल है. ओखला से दो बार कांग्रेस के विधायक रहे आसिफ मोहम्मद खान भी मानते हैं कि यहां अवैध बस्तियां बसी हैं. आसिफ मोहम्मद का कहना है कि ऐसी बस्तियां हैं अब इन्हें रेग्युलराइज किया जाएगा. 2010 में दिल्ली के मास्टर प्लान के लिए रिपोर्ट आई थी उसके बाद दिल्ली की सोलह सौ कॉलोनियों को अधिकृत करने का सिलसिला शुरू हुआ लेकिन अभी तक ये कॉलोनी अवैध ही हैं क्योंकि प्रक्रिया जारी है. पर्यावरण विशेषज्ञ और टाउन प्लानर भी मानते हैं कि इस इलाके में अवैध निर्माण हुआ है. मास्टर प्लान औऱ दिल्ली विकास प्राधिकरण की साल 2010 में आई जोनल डेवल्पमेंट प्लान फॉर यमुना एंड ओ जोन में भी जोन को साफ तौर पर दिखाया गया है. इसमें ओ जोन में भी दिख रहा है की निर्माण है. गूगल अर्थ के जरिये भी साफ दिख रहा है कि रिवर बैंक में हुए निर्माणा से नदी का रास्ता छोटा पड़ गया है.
दिल्ली में हर कॉलोनी से टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम की है. एमसीडी भी मानती है की इस इलाके में अवैध निर्माण हुए हैं लेकिन जब हमने निगम से पूछा कि अतिक्रमण को एमसीडी क्यों नहीं रोकती तो जवाब मिला कि जमीन डीडीए की है और अवैध निर्माण रोकना उनके दायरे में नहीं है. इन अवैध कॉलोनी को रेग्युलराइज कराने के लिए बिल करके तत्कालीन दिल्ली की कांग्रेस सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे अरविंदर सिंह लवली का भी कहना है कि अवैध निर्माण बहुत पहले शुरू हो गए थे और अब सिर्फ अधिकृत करने की प्रक्रिया जारी है. जानकारों की मानें तो इन कॉलोनियों में बिजली -पानी पहले के सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश से मिलता है जिसमें पानी और बिजली को मुलभूत जरुरत करार दिया था. लिहाजा यंहा बिजली और पानी ही मिल जाता है. फिलहाल इन इलाकों को रेग्युलराइज किया जा रहा है लेकिन बड़ी बात ये है कि यमुना के साथ खिलवाड़ क्यों किया गया. सिर्फ वोट बैंक के नाम पर अधिकृत कॉलोनी को पहले बसने दिया गया और अब उसे रेग्युलराइज कराया जा रहा है और इन सबके बीच यमुना नदी से नाले में बदलती जा रही है.
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