

पाक के खिलाफ बोलने में सावधानी बरतते रहे केंद्रीय मंत्री
पठानकोट में एयरफोर्स बेस पर आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री पाकिस्तान के खिलाफ बोलने में सावधानी बरत रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हाल की लाहौर यात्रा और दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की पहल इसकी वजह मानी जा रही है। पाकिस्तान को लेकर कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की आलोचना के बावजूद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा कि सरकार पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम करना चाहती है, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है। हालांकि भारत जरूरत पडऩे पर वह मुंहतोड़ जबाव देने में भी संकोच नहीं करेगा।
सिंह ने कहा, उन्हें (विपक्ष) जो कहना है कहने दें, लेकिन हमारी नीति बिल्कुल साफ है। हम शांति चाहते हैं, लेकिन हम अपनी जमीन पर किसी तरह की आतंकवादी घटना को स्वीकार नहीं करेंगे और उसका मुंहतोड़ जबाव दिया जाएगा। वहीं, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने राजनाथ सिंह के कथन से सहमति जताते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत जारी रहेगी। उन्होंने कहा, जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, वह हमारा पड़ोसी है। आतंकवाद को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए उनके साथ हमारी बातचीत जारी रहेगी।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक शुरुआत कर दी है और अब उन्हें इसे आगे बढ़ाना है। इस दौरान पाकिस्तान ने पठानकोट हमले की भर्सना की है। पाकिस्तान के विदेश विभाग ने रेडियो पाकिस्तान पर एक बयान जारी कर कहा कि हम भारत के लिए और भारत के लोगों के लिए हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।
इस हमले जो लोग घायल हुए हैं उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं और उनके परिवार के लिए संवेदना व्यक्त करते हैं।
'लाहौर दौरे के बाद पठानकोट जैसा हमला होना ही था'
पठानकोट स्थित भारतीय वायु सेना के बेस पर हुए हमले को सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे से जोड़ कर देखा जा रहा है. भारत में बहुत से लोग हमले के बाद प्रधानमंत्री की आलोचना कर रहे हैं. शनिवार को को इस हमले के बाद ट्विटर पर #Pathankot तेज़ी से ट्रेंड करने लगा. शनिवार को पांच बंदूकधारियों ने पठानकोट में भारतीय वायुसेना के एयरबेस पर हमला किया. अधिकारियों के अनुसार सेना की जबावी कार्रवाई में सभी पांच हमलावर मारे जबकि इस दौरान तीन सुरक्षाकर्मियों को भी जान गंवानी पड़ी. ये हमला ऐसे समय में हुआ है जब हफ़्ते भर पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री ने लाहौर का दौरा किया था. ट्विटर पर लोग इस हमले को नरेंद्र मोदी की कूटनीति की हार बता रहे हैं.
मशहूर पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्वीट किया, "लाहौर के बाद पठानकोट जैसा हमला होना ही था. यह पुराना ट्रेंड है. भारत को यह तय करना होगा कि वह ठगोें की वजह से बातचीत एक बार फिर टलने देगा या नहीं." फ़िल्मकार शिरीष कुंदर ने लिखा, "औचक दौरे का नवाज़ शरीफ़ का तरीका है पठानकोट हमला." पत्रकार सदानंद धुमे ने ट्वीट किया, "यदि पठानकोट हमले की जड़ें पाकिस्तान में हैं तो मोदी के लिए अच्छे विकल्प नहीं हैं. वे बातचीत करें और कमज़ोदर दिखें. दूसरी ओर वे बातचीत रद्द करें और लाहौर दौरा बेवकूफ़ी भरा क़दम लगे." ट्विटर के कुछ यूजर्स ने मोदी को सलाह दी है कि पाकिस्तान से बातचीत न की जाए. आनंद शुक्ला ने ट्वीट कर कहा कि भारत में 'आतंकवाद' रोकने का एक मात्र तरीका यह है कि 'दुश्मन' से हर तरह की बातचीत रोक दी जाए. हालांकि ज़्यादातर यूजर्स ने हमले के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है, पर कुछ लोगों ने भारत और पाकिस्तान से यह अपील भी की है कि वे चरमपंथ से लड़ने के लिए एकजुट हो जाएं. सुधींद्र कुलकर्णी ने ट्वीट किया, "पठानकोट से साफ़ हो गया है कि साझा दुश्मन के ख़िलाफ़ विश्वास पर आधािरत भारत-पाकिस्तान संयुक्त चरमपंथ विरोधी प्रक्रिया अपनाई जाए." पत्रकार सागरिका घोष ने लिखा, "पठानकोट हमले के बावजूद सरकार को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए. चरमपंथियों को एजेंडा तय मत करने दीजिए." आदि ने ट्वीट किया कि "दोनों देशों को चरमपंथ के ख़िलाफ़ साथ साथ लड़ना चाहिए ताकि पेशावर या पठानकोट जैसा हमला फिर न हो सके."
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।