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धर्मनिर्पेक्षता को बुरे नजरिए से देखा जाता है, उसके बाद लोकतंत्र की बारी : अमर्त्य सेन

कोलकाता। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशात्री अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि देश में 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द दिन ब दिन बुरा बनता जा रहा है, इसके बाद नंबर आता है लोकतंत्र और आजादी जैसे शब्दों का। उन्होंने कहा, ऐसे में हमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस की समानता और न्याय की दृष्टि की सख्त जरूरत है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा नेताजी से संबंधित गुप्त फाइलों को सार्वजनिक करने के फैसले के बारे में कहा कि इससे कहीं ज्यादा जरूरी नेताजी के जीवन और उनके किए गए कामों के बारे में चर्चा करना है। सेन ने कहा, 'नेताजी की समानता और न्याय को लेकर जो सोच थी, वह आज भी अनुकरणीय है। दुर्भाग्य से आजाद भारत की सरकारों ने उनकी सोच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास नहीं किया, जबकि वर्तमान सरकार तो उनसे भी कम कर रही है।' अमर्त्य सेन कोलकाता में फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के साथ नेताजी भवन में बोस की जयंती समारोह में भाग लेने आए थे। सेन ने कहा कि इस समय देश में कट्टरता काफी बढ़ गई है। ऐसे में नेताजी की धर्मनिरपेक्षता की बेहद सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं समझता कि ज्यादातर हिन्दुओं के मन में मुस्लिम, ईसाई या यहूदी या पारसी समुदाय के खिलाफ कुछ है। लेकिन, राजनीतिक एजेंडे के तहत हमें लड़ाया जाता है। इसलिए हमें नेता जी के समानता और न्याय की दृष्टि का अनुसरण करना चाहिए।' नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इन फाइलों में क्या है, इसे देखने को वह इच्छुक हैं। लेकिन इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण उनके जीवन और उनकी सोच, उनके काम और उनकी दृष्टि के बारे में चर्चा करना है, न कि उनकी मौत कैसे हुई, हम इस पर चर्चा करते रहें।
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