नई दिल्ली। पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकियों ने शनिवार तड़के हमला किया। तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी ऑपरेशन जारी है। सात जवान शहीद हुए हैं। छह आतंकी मारे गए हैं। सिक्युरिटी फोर्सेस ने सोमवार को बताया कि अभी भी ऑपरेशन जारी है। पढ़ें इस हमले की पूरी कहानी।. जानकारी के मुताबिक, पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले की साजिश एक साल से चल रही थी। पुलिस ने बेस कैंप की जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचाने के आरोप में 30 अगस्त, 2014 को आर्मी के जवान सुनील कुमार को अरेस्ट किया था। वह राजस्थान के जोधपुर जिला के गांव गुटेटी (पुलिस थाना भोपालगढ़) का रहने वाला था। देश की सिक्युरिटी से जुड़े इस मामले में पुलिस वक्त पर चालान भी कोर्ट में पेश नहीं कर सकी और सुनील को कोर्ट से बेल तक मिल गई। इससे पुलिस पर उंगलियां उठने लगी हैं। कहा जा रहा है कि 16 महीने पहले इस गिरफ्तारी को सीरियसली लिया गया होता, तो इतना बड़ा अटैक नहीं होता। सुनील फेसबुक के जरिए आईएसआई की एक कथित एजेंट मीना रैणा के संपर्क में आया था। उसने मीना को एयरफोर्स के सीक्रेट्स बताए थे। माना जा रहा है कि आतंकियों ने इसी जानकारी के बेस पर हमले की साजिश रची।
डिफेंस एक्सपर्ट कर्नल यूएस राठौर ने कहा, 'आतंकवादी अपने साथ इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लाए थे। ये डिवाइस एक जैसे नहीं होते। इस वजह से इन्हें डिफ्यूज करते वक्त कई बार एक्सपर्ट्स की जान चली जाती है। स्पेशल सूट भी एक लिमिट तक ही काम करते हैं। हो सकता है कि ब्लास्ट उससे ज्यादा पावरफुल रहा हो। गरुड़ कमांडो कैसे शहीद हुए इस पर वे कहते हैं, 'कमांडोज की पूरी बॉडी कवर्ड नहीं होती। शायद ऐसी जगह गोली लगी जहां प्रोटेक्शन नहीं था।' एयरबेस की सिक्युरिटी के को-ऑर्डिनेशन में बड़ी खामी है। अब आर्मी बुलाई गई। उसे जगह समझने में ही समय लग रहा है। एयरफोर्स के पास ड्रोन और हेलिकॉप्टर हैं, पर वो कुछ नहीं कर पा रही है, क्योंकि उनकी ट्रेनिंग वन टू वन कॉम्बैट की नहीं है। हम जल्दबाजी करेंगे तो हमें ही ज्यादा नुकसान होगा। ऑपरेशन खत्म होने में दो से तीन दिन और लगेंगे। कितने आतंकी हैं, ये किसी को पता नहीं। 18 स्क्वेयर किमी का इलाका है। वो भी सरकंडे से भरा। इसे जब तक दो-तीन बार सर्च नहीं कर लेते, तब तक ऑपरेशन चलता रहेगा।
बिल्कुल है। पंजाब बॉर्डर पर बीएसएफ है। वहीं से घुसपैठ हो रही है। गुरदासपुर में भी और अब पठानकोट में भी। पाकिस्तान कश्मीर मसले को अब जम्मू और पंजाब तक लाना चाहता है। हमें लगता है कि पाक की नजर भारत की नदियों पर है। पाक के जितने न्यूक्लियर प्लान्ट हैं, वो उन नदियों के किनारे हैं, जिनका कंट्रोल भारत के पास है। कश्मीर में अब ह्यूमन राइट्स के केस और मोमबत्ती जलाने वाले लोग ही बच गए हैं। पंजाब में ड्रग्स सीमा पार से ही आ रहा है। ड्रग्स स्मगलर आतंकियों के मददगार भी हैं। यह बॉर्डर से 25 किमी दूर है। पहुंचना आसान है। यहां एयरफोर्स के 18 विंग हैं। मिग-21, मिग-29 और अटैक चॉपर तैनात हैं। यहां से चीन तक निगरानी होती है। यहां हमला करने से बड़ा नुकसान होता। दुनियाभर में मैसेज जाता। आतंकी मेन गेट के रास्ते आए। बताया जा रहा है कि आर्मी की वर्दी में होने के कारण उन्होंने घुसपैठ कर ली। चारों आतंकियों ने दो लेयर की सिक्युरिटी तोड़ दी और ग्रेनेड से हमला किया। दो आतंकी मारे गए। बाकी आतंकी एयरफोर्स के टेक्निकल एरिया और रेजिडेंशियल एरिया में चले गए। एयरफोर्स ने ड्रोन और हेलिकॉप्टर्स के जरिए थर्मल इमेजिंग की मदद ली और एयरबेस के अंदर आतंकियों को ट्रेस कर जवाबी कार्रवाई की।
इनपुट मिला था कि पठानकोट में अटैक होगा। पर कहां होगा? टारगेट क्या होगा? ये क्लियर नहीं था। ऐसा भी हो सकता है कि आतंकी इनपुट मिलने से पहले ही। शायद नहीं, क्योंकि मोदीजी के लाहौर जाने के आठवें दिन हमला हुआ। इतना बड़ा हमला इतने कम दिन की तैयारी में मुमकिन नहीं। नवाज से बात का फायदा नहीं है। पाक सेना को हैंडल करना होगा। मोदी पाक को टेररिस्ट स्टेट डिक्लेयर करवाने की मुहिम पर काम करें। हमले का पैटर्न जुलाई में पंजाब के गुरदासपुर के दीनानगर पुलिस थाने पर हुए हमले जैसा ही है। आर्मी इंटेलिजेंस, आईबी और रॉ को पूरा यकीन है कि ये आतंकी पाकिस्तान के बहावलपुर से आए थे। गुरदासपुर और पठानकोट के करीब रावी नदी है। इसके करीब ही कुछ मौसमी नाले हैं। सूत्रों का कहना है कि इस पूरे इलाके पर नजर रखी जाती है, लेकिन ऊंची घास होने के कारण कई बार आतंकी घुसपैठ में कामयाब हो जाते हैं। आतंकी रावी नदी से शकरगढ़ और अकालगढ़ तक पहुंचते हैं। इसके बाद पास के गांवों से होते हुए हाईवे तक पहुंचते हैं। यह हाईवे पंजाब और जम्मू-कश्मीर को कनेक्ट करता है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आतंकियों ने अपने हैंडलर्स के जरिए पहले एक टोयोटो इनोवा टैक्सी बुक कराई। टैक्सी ड्राइवर को पाकिस्तान के नंबर से फोन आया था। उसे पंजाबी में पठानकोट के एक इलाके में पहुंचने को कहा गया। ड्राइवर को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की जा रही है। ड्राइवर यह नहीं समझ पाया कि बुकिंग पाकिस्तानी नंबर से हुई थी। तय इलाके से 4 आतंकी इस टैक्सी में बैठे। वे टैक्सी को एक बेहद खराब रास्ते से ले गए। रास्ता इतना खराब था कि इनोवा का रिम ही टूट गया। आतंकियों ने टैक्सी को वहीं छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने एक महिंद्रा एसयूवी को रोका। इत्तेफाक से इस एसयूवी में गुरदासपुर के पूर्व एसपी और पुलिस कमांडेंट सलविंदर सिंह बैठे थे। सलविंदर, उनके दोस्त और कुक को किडनैप कर लिया। आतंकियों ने सलविंदर का फोन छीन लिया था। इसी फोन पर अफसर के एक गार्ड ने फोन किया। फोन आतंकियों ने उठाया और अस्सलाम अलैकुम कहा। गार्ड ने पूछा कि एसपी साहब से बात कराओ। इसी हड़बड़ी में आतंकियों ने फोन काटा और अफसर को कुछ किमी दूर छोड़ दिया। 5 किमी के बाद महिंद्रा एसयूवी भी छोड़ दी।
आतंकियों ने पाकिस्तान में अशफाक अहमद, अब्दुल शकूर नाम के हैंडलर्स से बात की थी। तीन आतंकियों ने अपने हैंडलर्स को फोन किया और हमले की प्लानिंग के बारे में कोड वर्ड में इनपुट्स लिए। ये सभी फोन शुक्रवार देर रात 12 बजे से 12.45 बजे के बीच हुए। एक आतंकी ने मां को फोन किया और कहा कि वह सुसाइड हमले पर जा रहा है। बताया जाता है कि मां ने उस आतंकी से कहा कि बेटा, मारे जाने से पहले कुछ खा लेना। पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के मास्टरमाइंड के तौर पर मौलाना मसूद अजहर का नाम सामने आ रहा है। अजहर वही आतंकी है, जिसे 1999 में हाईजैक हुए इंडियन एयरलाइन्स के प्लेन को छुड़ाने अफगानिस्तान के कंधार ले जाकर रिहा किया गया था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत के डिफेंस सीक्रेट्स जानने के लिए अपना पैटर्न बदल दिया है। पिछले दो महीने में दिल्ली और पंजाब से बीएसएफ के अब्दुल राशिद, राइफलमैन फरीद खान, हैंडलर कैफियतउल्लाह, एयरफोर्स के रंजीत और अश्विनी कुमार को अरेस्ट किया गया। यूपी से मोहम्मद एजाज और राजस्थान से दीना खान, इमामुद्दीन, एक्स सर्विसमैन गोरधन सिंह राठौड़ और बीरबल खान की गिरफ्तारी हुई। दो महीने में गिरफ्तार 14 आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन लोगों ने आर्मी के ग्वालियर बेस और एयरफोर्स के बठिंडा और जैसलमेर बेस के बारे में जानकारी लीक की थी। इनसे कुछ मैप और एयर स्ट्रिप्स के बारे में भी जानकारी मिली थी। इन आरोपियों ने इंडिया-यूके की ज्वाइंट एक्सरसाइज इंद्रधनुष की भी जानकारी लीक की थी।
ऑनलाइन जासूसी में फंसने से बचाने के लिए आर्मी और होम मिनिस्ट्री ने एडवाइजरी जारी कर रखी है लेकिन इसका खास असर होता नहीं दिख रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स का यूज करते वक्त ज्यादा अलर्ट रहें। खासतौर पर फोटो पोस्ट करते वक्त। सोशल नेटवर्किंग साइट्स का सिर्फ पर्सनल इस्तेमाल किया जाए। पोर्न साइट्स पर न जाएं। आर्मी से जुड़े मसलों के बारे में सोशल मीडिया पर जिक्र करना सर्विस रूल्स के खिलाफ माना जाएगा। इंटरनेट कनेक्शन वाले कम्प्यूटर पर ऑफिशियल इन्फॉर्मेशन न रखें। लकी ड्रॉ या प्राइज जीतने वाले ऐड को बिल्कुल क्लिक न करें। हमारे जैसे लोगों ने कभी नहीं कहा कि ऑपरेशन खत्म हो गया। बड़ा कम्पाउंड है। वहां आदमी छिप जाए तो पता भी न चले। हमारे साथ भी एक बार ऐसा हुआ था। अखनूर में अटैक हुआ। एक आदमी पड़ा रहा। अगले दिन उसने सबके सामने खुद को उड़ा लिया। (साभार भास्कर)
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