रालेगण-सिद्धि। सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखकर पूरे नहीं किए गए उनके चुनावी वादों की याद दिलाई और कहा कि उनकी सरकार और पूर्व की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के बीच कोई अंतर नजर नहीं आता। नववर्ष पर मोदी को शुभकामनाएं देते हुए 78 वर्षीय भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता ने तीन पन्नों के अपने खत में प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वह काला धन वापस लाने और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान किये गए अपने वादे भूल गए हैं। खत प्रेस को आज जारी किया गया। मोदी को सही तरीके से लोकपाल और लोकायुक्त के क्रियान्वयन की जरूरत और अन्य महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दों की याद दिलाते हुए हजारे ने कहा कि इन विषयों पर प्रधानमंत्री को उनके द्वारा लिखे गए पत्र को नजरंदाज किया गया। हजारे ने कहा, 'मैं इन चीजों की याद दिलाने के लिए आपको फिर लिख रहा हूं। मैं जानता हूं कि मेरा लिखे कई खत आपने कचरे के डिब्बे में फेंक दिए। इस पत्र के साथ भी यही होगा।' हजारे ने कहा , 'मुझे इसकी उम्मीद नहीं कि प्रधानमंत्री उन्हें लिखे जाने वाले सारे खतों का जवाब दें और यह संभव भी नहीं है । हालांकि, राष्ट्र को अपना जीवन समर्पित करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को जवाब देना चाहिए।'
अपने नये पत्र में हजारे ने कहा कि मोदी सरकार को भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त कानून सही तरीके से लागू करना चाहिए और किसानों को उनके उत्पादों के लिए लाभकारी कीमत मिलना सुनिश्चित करने को कहा । पत्र में उन्होंने कहा , 'कांग्रेस नीत सरकार के दौरान भ्रष्टाचार पनपा। बिना घूस दिये किसी भी कार्यालय में कोई भी काम नहीं करा सकता।' उन्होंने कहा, 'लोग आपकी जुबान पर भरोसा करते हैं लेकिन आज भी बिना पैसा दिए काम नहीं होता। महंगाई भी कम नहीं हो रही।' हजारे ने कहा , 'काला धन वापस लाने का काम नहीं हुआ।' हजारे ने याद दिलाया कि मोदी ने वादा किया था कि प्रथम 100 दिनों में ही विदेश में छुपा कर रखा गया काला धन देश लाया जाएगा और हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कर दिए जाएंगे। हजारे ने कहा, 'लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है। 15 लाख रुपये तो दूर 15 रुपये भी लोगों को नहीं मिले।'
उन्होंने लिखा, 'आप भ्रष्टाचार रोकने के लिए पारित लोकपाल और लोकायुक्त कानून लागू करने के लिए नहीं कहते। हो सकता है कि आपने जो वादा किया वो भूल गए हों।' हजारे ने यह भी याद दिलाया कि जब दिल्ली के रामलीला मैदान में उन्होंने अनशन किया था तब कांग्रेस सरकार ने ही नहीं बल्कि भाजपा नेताओं सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने भी संसद में भरोसा दिया था कि भ्रष्टाचार रोधी विधेयक पारित होगा।हजारे ने मोदी द्वारा उन्हें नजरंदाज किये जाने पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा , 'नरसिंह राव जब प्रधानमंत्री थे तब वह फोन पर कभी कभी बात करते थे । जब (अटल बिहारी) वाजपेयी पुणे आए थे तो उनके बारे में खोजखबर ली थी। मनमोहन सिंह, जिनके खिलाफ मैंने लिखा, मेरे खतों का जवाब देते थे। आरएसएस के वरिष्ठ नेता शेषाद्री मेरे गांव रालेगण सिद्धि आए और 'कर्मयोगी का गांव' किताब लिखी।'
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