नई दिल्ली। पीएम मोदी के अचानक पाक दौरे का अमेरिका ने भी समर्थन किया है। अमेरिकी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका दोनों नेताओं के बीच हुई इस बैठक का स्वागत करता है। साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर होते रिश्तों से न केवल इन दोनों देशों बल्कि पूरे क्षेत्र को फायदा मिलेगा। वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी मोदी के लाहौर दौरे की तारीफ की है। सिर्फ अमेरिकी प्रशासन ही नहीं अमेरिकी मीडिया ने भी मोदी के लाहौर दौरे को एक सही समय पर उठाया गया सही कूटनीतिक कदम बताया है। अमेरिकी प्रेस ने लिखा है कि इस दौरे से दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलेगी और दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर होंगे। लोकप्रिय नेशनल पब्लिक रेडियो ने कहा, 'यह एक दशक में भारत के किसी राष्ट्राध्यक्ष की देश (पाकिस्तान) की पहली यात्रा है और यह दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में सुधार का प्रतीक हो सकती है।'
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने कहा कि मोदी ने अपनी लाहौर यात्रा से 'लंबे समय से तनावपूर्ण चल रहे सबंधों को नया जीवन दिया है।' प्रधानमंत्री की अक्सर आलोचना करने वाले द न्यूयार्क टाइम्स ने मोदी के इस दौरे को ज्यादा महत्व नहीं देते हुए कहा कि भारतीय नेता अतीत में एक नीति से दूसरी नीति में खिसके हैं। उसने इसे 'एक कूटनीतिक नृत्य' करार दिया। शरीफ से मिलने का मोदी का निर्णय ट्विटर पर भी छाया रहा। सभी बड़े अमेरिकी मीडिया घरानों ने ट्विटर और एसएमएस एवं ईमेल समेत अन्य माध्यमों के जरिए अपने पाठकों को दक्षिण एशिया की ब्रेकिंग न्यूज दी। प्रधानमंत्री मोदी ने लाहौर की अपनी यात्रा के बारे में ट्विटर पर ही जानकारी दी थी। क्रिसमस होने के बावजूद थिंक टैंक के कई विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने सोशल मीडिया पर मोदी की लाहौर यात्रा के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के अध्यक्ष रिचर्ड एन हैस ने कहा, 'अप्रत्याशित लेकिन स्वागत योग्य यात्रा।' उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 'उच्च स्तर पर नियमित कूटनीति की आवश्यकता है।' विपक्षी पीपुल्स पार्टी ऑफ पाकिस्तान के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने लाहौर में प्रधानमंत्री की अचानक यात्रा का स्वागत किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'सभी पुराने मसलों को सुलझाने का एकमात्र तरीका लगातार वार्ता है।'
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