नई दिल्ली। समाचार चैनल अल जज़ीरा के एंकर मेहदी हसन संदेश सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. उनके एक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राम माधव से आरएसएस, अखंड भारत और हिंदू धर्म से जुड़े कई सवाल पूछे गए थे. एक सवाल के जवाब में राम माधव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मानता है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को एक दिन एक होंगे और अखंड भारत बनेगा. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि ऐसा स्वेच्छा से ही होगा. इसके बाद ट्विटर पर बड़ी तादाद में लोगों ने ट्वीट किया और मेहदी हसन उनकी तरह तरह से आलोचना की गई.
विनय दोकनिया ने ट्वीट किया, "राम माधव ने अल जज़ीरा के मेहदी हसन को माकूल जवाब दिया है." फ़्रेंड्स ऑफ़ आरएसएस ने कहा, "किसने अल जज़ीरा पर राम माधव को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है?" अमित मालवीय ने ट्वीट किया, " राम माधव आपके 'आईएसआईएस' पर ख़फा हैं." 'नो टू पीडीपी-बीजेपी गवर्नमेंट' ने ट्विटर पर लिखा, "मेहदी हसन नफ़रत फैलाने वाले पुरातनपंथी हैं. राम माधव को अक्ल रही होती तो उन्होंने 'आईएस' को क़तर से मिलने वाले पैसे से जुड़ा सवाल पूछ कर अल जज़ीरा को पटखनी दे दी होती." वहीं कुछ लोगों ने अल जज़ीरा और मेहदी हसन को बचाव भी किया है.
अनमोल चौधरी ने ट्वीट किया, "मेहदी हसन रॉक्स." रवींद्र जडेजा ने लिखा, "देखें, किस तरह हिंदू आपका समर्थन कर रहे हैं." मनीषा ने ट्वीट किया, "आपकी हिम्मत कैसे हुई कि आपने बीजेपी की ख़ामियों को उजागर कर दिया. शाहरुख और राजदीप का क्या हाल किया गया है, देख लें." स्वयं मेहंदी हसन ने पूरे मामले पर सफ़ाई दी है. उन्होंने कहा है कि वे पाकिस्तानी नहीं है, उनके माता पिता भारत के थे और उनका ख़ुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले संगठन से कोई मतलब नहीं है. मेहदी हसन ट्वीट किया, "बीते 48 घंटों में हिंदू राष्ट्रवादियों के ट्रॉल्स ने मुझे पाकिस्तानी, आईएसआईएस का आदमी पाकिस्तानी कहा है."
ग़लतबयानी पर घिरे राम माधव
क्या राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को भारत के लिए आंतरिक ख़तरा मानते थे? क्या गोलवलकर ईसाइयों को ख़ून चूसने वाला मानते थे? भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रवक्ता राम माधव ने अल-जज़ीरा टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान दर्शकों से भरे हुए हॉल में सबके सामने इसका खंडन किया. उन्होंने कहा कि गोलवलकर ने ईसाइयों को कभी ख़ून चूसने वाला नहीं बताया और न ही मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को देश के लिए आंतरिक ख़तरा कहा. लेकिन गोलवलकर की किताब 'बंच ऑफ थॉट्स' को देखें तो साफ हो जाता है कि राम माधव ने ग़लत बयानी की है. अल-जज़ीरा के कार्यक्रम हेड-टू-हेड में एंकर मेहदी हसन ने राम माधव से आरएसएस की विचारधारा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति पर कड़े सवाल किए. राम माधव से मेहदी हसन ने पूछा, “संघ के पूर्व प्रमुख गोलवलकर को आप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना प्रेरणा स्रोत बताया है. लेकिन गोलवलकर कहते हैं कि ‘उन्हें नाज़ी जर्मनी से प्रेरणा मिली है’ साथ ही उन्होंने भारतीय ईसाइयों को ब्लडसकर या ख़ून चूसने वाला बताया और मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को देश के लिए आंतरिक ख़तरा क़रार दिया.” राम माधव ने कहा अब आप गोलवलकर का उदाहरण दे रहे हैं तो मैं भी अब आपकी सुविधा के लिए उन्हें उदधृत करूँगा. क्योंकि कई बार आप उन्हें मिसकोट करते हैं.
कहा जा रहा है कि राम माधव ने टीवी इंटरव्यू के दौरान सीधे सीधे ग़लतबयानी की है. अल-जज़ीरा के एंकर पर राम माधव ने गोलवलकर को ग़लत उदधृत करने का आरोप तो लगाया पर सच ये है कि अपनी किताब ‘बंच ऑफ़ थॉट्स’ में दरअसल ‘ब्लडसकर’ शब्द का इस्तेमाल किया है और मुसलमानों, ईसाइयों और कम्युनिस्टों को देश के “आंतरिक ख़तरे” के तौर पर चिन्हित किया गया है. किताब के दूसरे भाग में ‘राष्ट्र और उसकी समस्याएँ’ नाम का चैप्टर है. इसमें 16वाँ हिस्से का शीर्षक है - ‘आंतरिक ख़तरे’. इस शीर्षक के तहत मुसलमान, ईसाई और कम्युनिस्ट उपशीर्षक रखे गए हैं जिनमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे ये तीन समुदाय भारत के लिए ख़तरा पैदा करते हैं. किताब में लिखा गया है कि ईसाई जहां भी गए उन्होंने जमीन को स्थानीय लोगों के ख़ून और आंसुओं से भिगो दिया है. इसमें लिखा गया है, "ईसा ने अपने अनुयायियों से कहा कि वो गरीबों, अज्ञाननियों और दबे कुचले लोगों के लिए अपना सब कुछ दे दें, लेकिन उनके अनुयायियों ने व्यवहारिक रूप से क्या किया? जहां भी वो गए वे 'खून देने वाले' नहीं बल्कि 'खून चूसने वाले' बने?" किताब में कहा गया है, "क्या हम ईसाइयों के अत्याचारों के इतिहास को नहीं जानते हैं कि कैसे वे गोवा और अन्य जगहों पर तलवार और आग को लेकर चले हैं."
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