नई दिल्ली। दिल्ली के कोटला स्टेडियम केस में बीजेपी के अपने नेता पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद को जेटली के मुद्दे पर संयम बरतने के लिए कहा है लेकिन कीर्ति ने इस मामले में झुकने से साफ इंकार कर दिया है. लेकिन कीर्ति के साथ डीडीसीए पर आरोप लगाने वाले बिशन सिंह बेदी जेटली को लेकर नरम दिख रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज कीर्ति आजाद को कोटला स्टेडियम केस में अरुण जेटली के खिलाफ बयानबाजी न करने की सलाह दी. लेकिन कीर्ति ने इस सलाह को मानने से इंकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक कीर्ति आजाद ने यहां तक कहा कि मोदी ने कहा था कि न मैं खाता हूं न खाने देता हूं. इसीलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.
कीर्ति आजाद का कहना है कि वो पिछले 9 साल से डीडीसीए में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं. आने वाले रविवार को वो कोटला स्टेडियम केस में और खुलासे करने की बात कर रहे हैं. हालांकि कीर्ति आजाद जिन लोगों का नाम गिना रहे हैं उनमें से पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने एबीपी न्यूज से बातचीत में कहा कि डीडीसीए में घपला जरूर हुआ है पर उस घोटाले से जेटली का कोई लेना देना नही है. यानी कीर्ति आजाद जिनके दम पर इस लड़ाई को लड़ने की बात कर रहे हैं उनमें से कम से कम बिशन सिंह बेदी तो जेटली के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. दरअसल DDCA मामले में कीर्ति आजाद की लड़ाई का एक राजनीतिक पहलू भी है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भगवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद ने 1993 में दिल्ली से बीजेपी विधायक के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी. लेकिन फिर हालात कुछ ऐसे बने कि उन्हें दिल्ली छोड़कर अपने गृहजिले दरभंगा जाना पड़ा. 2003 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी को बीजेपी ने शीला दीक्षित के खिलाफ गोल मार्केट से उतारा. वो चुनाव हार गई तो उसके बाद उन्हें टिकट नहीं दिया गया. माना जाता है कि कीर्ति आजाद इस बात से भी नाराज रहे कि उन्हें और उनकी पत्नी को दिल्ली की राजनीति में जानबूझ कर नहीं जमने दिया गया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अब अरुण जेटली के मामले में कीर्ति आजाद के बागी तेवर पार्टी के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकते हैं?
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