बेंगलुरु। बेंगलुरु के माउंट कार्मेल में राहुल गांधी की किरकिरी को लेकर जो खबर चली, उससे आहत कॉलेज की एक लड़की ने चिट्ठी लिखी है। उस पूरे माहौल की जानकारी देते हुए और ये बताते हुए कि इस पूरे मामले को मीडिया ने कितने गलत ढंग से पेश किया है। यह एक लड़की की चिट्ठी है, मगर बताती है कि एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मीडिया की खबर ने क्या बना दिया। माउंट कार्मेल की लड़कियों के साथ एक मसले पर अलग-अलग राय पेश करने वाले दो मिनट के इस टुकड़े ने दो घंटे चले कार्यक्रम की असली खबर गायब कर दी। यह शिकायत एलिक्सिर नाहर नाम की एक लड़की ने अपने लंबे ब्लॉग में की है, जिसके लिए वो एक यादगार शाम रही।
वो लिखती है कि राहुल ने लड़कियों को लेकर सामाजिक चलन की बात की। उन्होंने बताया कि कैसे सुंदर या दुबले जैसे शब्द अहमियत नहीं रखते, कैसे महिलाएं मां, बहन और दादी के तौर पर उसके जीवन में अहमियत रखती रही हैं। ये लड़की उस शाम को याद करते हुए लिखती है कि बातचीत शुरू करने पर राहुल ने जो जोर दिया, वो छू लेने वाला था। उन्होंने युवा कांग्रेस में भ्रष्टाचार की बात मानी, सदन में संवाद घटते जाने का दुख जताया। एलिक्सिर के मुताबिक राहुल गांधी करीब 2500 लड़कियों के साथ बहुत आत्मीय संवाद बनाने में कामयाब रहे थे। हम छोटी-छोटी लडकियां जब अपनी चमकती आंखों के साथ बाहर निकलीं तो हमें कतई अंदाजा नहीं था कि इसके बाद क्या कुछ घट चुका है। हैरान करने वाली बात ये थी कि पूरा मीडिया का एक राय था- जोर देता हुआ कि उसने गलत किया। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि वो कुछ करने की कोशिश करता है, उसके पहले ही बाज चक्कर काट रहे होते हैं- किसी भी संभावित चूक पर झपट पड़ने को बेताब। मैं सोचने पर मजबूर हूं कि हम सब क्या अच्छे और बुरे पीआर के शिकार भर हैं? एलिक्सिर नाहर के मुताबिक ये एक परिपक्व संवाद था, जिसमें कुछ लड़कियां राहुल से सहमत दिखीं कुछ असहमत। आखिर सबकी अपनी राय है, जो उनका चरित्र भी बनाती है। इस राय का सम्मान करने की जगह मीडिया बुरे ढंग से फीड की गई कुछ क्लिप्स और राहुल स्टंप्ड जैसी खबर के सहारे जिस तरह टूट पड़ा, वह हैरान करने वाला था।
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।