नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) को देश विरोधी ताकतों का अड्डा बताया है। संघ के मुखपत्र पांचजन्य में 'दरार का गढ़' नाम से छपे लेख में इस बात का दावा किया है। जेएनयू को नक्सल गतिविधियों का केंद्र होने का आरोप लगाया गया है। आरएसएस की ओर से दावा किया गया है कि उच्चशिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले संस्थान में खुद नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी ने समाजिक और आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाया था। पांचजन्य ने लिखा है कि जे.एन.यू. में एक बड़ा एंटी नैशनल तबका तैयार हो चुका है तो देश को तोड़ने में लगा है।
जेएनयू के छात्रसंघों को आरएसएस ने नक्सल समर्थक छात्रसंघ करार दिया है। मुखपत्र में कहा गया है कि 2010 में दांतेवाड़ा में सी.आर.पी.एफ. के 75 जवानों की हत्या पर जे.एन.यू. में खुलेआम जश्न मनाया गया था। मुखपत्र में यह भी लिखा है कि जेएनयू ऐसी जगह है जहां राष्ट्रवाद को अपराध माना जाता है। संघ के अनुसार भारतीय संस्कृति को गलत ढंग से पेश करना यहां आम है। यहां कश्मीर से सेना हटाने का खुलेआम समर्थन होता है, ये लोग अन्य कई देश विरोधी गतिविधियों का भी समर्थन करते हैं। लेखक, ने दावा किया है कि उन्होंने कई बार जे.एन.यू. के प्रोफेसर्स को कई आयोजनों में राष्ट्रीय एकता और संस्कृति को खोखला करने की साजिश रचते हुए सुना है।
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