लंदन/इस्लामाबाद। बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए को मिली करारी हार को वैश्विक मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'सबसे अहम घरेलू झटका' बताया है। इसके साथ ही इनमें कहा गया है कि यह हार दिखाती है कि वोट हासिल करने की उनकी क्षमता अब कम होती जा रही है।
ब्रिटिश अखबार 'दि गार्जियन' ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिहार चुनाव जीतने में बीजेपी की नाकामी को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि वोटरों पर मोदी की अपील अब कम होनी शुरू हो गई है।' अखबार ने कहा, 'भारत की सत्ताधारी पार्टी ने एक प्रांतीय चुनाव में हार मान ली है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र की वोट हासिल करने की क्षमता और उनकी राजनीतिक रणनीति की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था।' अखबार ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब मोदी इस हफ्ते ब्रिटेन की यात्रा पर जाने वाले हैं।
'दि गार्जियन' ने लिखा, 'बिहार में बीजेपी की जीत मोदी के लिए सबसे अहम घरेलू झटका है, क्योंकि पिछले साल उभरती आर्थिक ताकत में हुए एक आम चुनाव में उन्हें शानदार जीत मिली थी। अपने चुनाव प्रचार में तेज विकास, आधुनिकीकरण एवं अवसर प्रदान करने के साथ-साथ रूढ़ीवादी सांस्कृतिक एवं सामाजिक मूल्यों के संरक्षण का वादा कर उन्होंने जीत हासिल की थी।' अखबार ने कहा, 'पिछले साल के चुनाव के दौरान मोदी ने अर्थव्यस्था को नई उंचाइयों तक ले जाने के जो भी वादे किए थे वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं।'
बीबीसी ने लिखा, 'मोदी को पिछले साल के राष्ट्रीय चुनावों में एक शानदार जीत मिली थी, लेकिन यह चुनाव उनके आर्थिक कार्यक्रमों पर एक रायशुमारी के तौर पर देखा जा रहा था। यह हार एक बड़ा झटका है।'
वहीं पाकिस्तान के बड़े अखबार 'डॉन' ने कहा कि खानपान की आदतों पर भारत की पारंपरिक सहनशीलता की कीमत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाय पर राजनीति के खिलाफ बिहार चुनाव के नतीजे आए हैं। इसने उनके 'संकीर्ण राष्ट्रवाद' के खिलाफ विपक्षी एकता के एजेंडा को तय कर दिया है।
'दि न्यूज' ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिहार में बीजेपी की हार प्रधानमंत्री के लिए बड़ा झटका है जिन्होंने अपने प्रचार में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसके अलावा 'दि न्यूयॉर्क टाइम्स' ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को आज उस वक्त करारा झटका लगा, जब जनसंख्या के मामले में भारत के तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार के वोटरों ने विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को खारिज कर दिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में होगा बदलाव, हटाए जाएंगे बिहार के मंत्री?
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा नेतृत्व असम और उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके लिए जल्द ही केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बदलाव किया जा सकता है। इसमें बिहार से आने वाले कुछ मंत्रियों की जगह यूपी और असम के नए चेहरों को शामिल किया जाएगा। भाजपा के रणनीतिकारों के अनुसार, दलित और पिछड़े वर्गो को प्राथमिकता दी जाएगी। बता दें कि असम में 2016 और यूपी में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर रविवार सुबह और शाम को इन चुनावों को लेकर चुनिंदा नेताओं ने चर्चा की।
सभी ने माना कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बदलाव का समय आ गया है। संगठन चुनावों के जरिए दिसंबर में केंद्रीय संगठन में भी यूपी व असम के कुछ प्रमुख नेताओं को जगह दी जाएगी।शीतसत्र के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बदलाव किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, बिहार से चार मंत्रियों को कम किया जा सकता है जबकि इतने ही नए मंत्री यूपी और असम से बनाए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूरी पार्टी की प्रतिष्ठा जुड़ी होगी। ऐसे में पार्टी यहां अभी से तैयारियों में जुटना चाहती है।
बोले अरुण शौरी, भाजपा के चेहरे पर करारा तमाचा है बिहार की हार
नई दिल्ली । हर जीत अगर अपने साथ जश्न का मौका लेकर आती है तो हर हार के साथ आता है विश्लेषण का एक दौर। बिहार में बीजेपी खुद अपनी हार की वजहें तलाशे इससे पहले वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने एनडीटीवी पर इस हार के लिए पीएम मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली को ज़िम्मेदार बताया है। एनडीटीवी से बात करते हुए अरुण शौरी ने कहा कि इस वक्त बीजेपी और सरकार का मतलब सिर्फ़ मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली है क्योंकि यही तीनों हैं जो सरकार चला रहे हैं। शौरी यहीं नहीं रुके, उन्होंने बिहार की हार को बीजेपी के चेहरे पर जनता का करारा तमाचा बताया। उन्होंने कहा कि वो काफ़ी वक्त से कहते आ रहे हैं कि पार्टी में अहंकार आ चुका है और ये हार उसी का नतीजा है।
अरुण शौरी के मुताबिक बीते एक साल से बीजेपी में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी के ख़िलाफ़ एक असहयोग आंदोलन चल रहा है जिसके तहत नेताओं या मंत्रियों को जो काम दिया जाता है वो उस काम को ले तो लेते हैं लेकिन करते नहीं या उसमें अपनी मेहनत नहीं झोंकते। शौरी के मुताबिक दिल्ली चुनाव और बिहार चुनाव में भी यही हुआ, जहां नेताओं ने दिखाने के लिए प्रचार का ज़िम्मा तो ले लिया लेकिन जानबूझकर शिद्दत से प्रचार किया नहीं। जानेमाने अर्थशास्त्री अरुण शौरी ने मोदी सरकार की आर्थिक नीति और विदेश नीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अरुण जेटली की आर्थिक नीतियां गड़बड़ हैं क्योंकि वो तो वकील हैं। साथ ही हाल के दिनों में नेपाल के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट को भी शौरी ने गलत विदेश नीति का उदाहरण बताया और कहा कि वहां भी बिहार में वोट पाने के लिए सबकुछ किया गया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को सिर्फ़ जीत दिखती है और उसके सिवा कुछ नहीं। प्रधानमंत्री को उन्होंने सबको साथ लेकर चलने की सलाह देते हुए कहा कि 'ख़ुदा ऐसी खुदाई न दे कि अपने सिवा कोई दिखाई न दे।'
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