अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में कथित रूप से आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘आप’ के एक कार्यकर्ता की याचिका खारिज करने का निचली अदालत का आदेश आज बरकरार रखा और कहा कि मजिस्ट्रेट का फैसला उचित था। न्यायाधीश जेबी पारदीवाला ने निचली अदालत द्वारा याचिका स्वीकार करने से इंकार करने के आदेश को सही ठहराया और कहा, मैं आपकी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि मजिस्ट्रेट ने याचिका खारिज करते हुए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, मेरी व्याख्या के अनुसार, मजिस्ट्रेट को खारिज करने का अधिकार है और ऐसा उचित तरीके से किया गया है, इसलिए मैं इसे खारिज करता हूं। आप के कार्यकर्ता निशांत वर्मा ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इस वर्ष मई में निचली अदालत ने वर्ष 2014 में आदर्श आचार संहिता का कथित उल्लंघन करने को लेकर मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिका के अनुसार, पिछले वर्ष 30 अप्रैल को जब गुजरात में 26 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा था तो भाजपा के प्रधानमंत्री पद के तत्कालीन उम्मीदवार मोदी ने अहमदाबाद के रानिप इलाके में एक स्कूल में मतदान के तुरंत बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था और अपनी पार्टी का प्रतीक चिन्ह कमल दिखाया था। मोदी ने अपनी पार्टी का प्रतीक चिन्ह कमल पकड़े हुए अपने मोबाइल फोन से एक सेल्फी भी ली थी। वर्मा ने अहमदाबाद ग्रामीण अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसआर सिंह के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। ग्रामीण अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में शहर की अपराध शाखा द्वारा मामला बंद करने संबंधी रिपोर्ट सही थी, जिसमें पीएम मोदी को क्लीन चिट दी गयी है। उच्च न्यायालय में जिरह के दौरान याचिकाकर्ता के वकील के आर कोश्ती ने कहा था कि पुलिस ने इस तरीके से मामले की जांच की है कि जैसे कि वह उनके प्रभाव में थी जो उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। कोश्ती ने कहा कि मोदी को यह पता था कि पूरा मीडिया वहां है और पार्टी का चिन्ह दिखाने का पूरे देश में एक संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि मामले के जांच अधिकारी ने न तो निर्वाचन आयोग को सूचित किया और न ही याचिकाकर्ता को कि वह मोदी को क्लीन चिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर रही है। निर्वाचन आयोग ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने कोश्ती से सवाल किया कि जब निर्वाचन आयोग ने पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था तो निजी शिकायत क्यों दाखिल की गयी। इसके जवाब में कोश्ती ने कहा कि पुलिस ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में उचित एफआईआर दाखिल नहीं की थी।
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