नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी की सरकार के लिए बीते कुछ महीने ठीक नहीं रहे हैं। दादरी घटना का शोर सरकार अबी थमा नहीं है। इस बीच सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार की छवि को जनता के बीच नए तरीके से पेश करने की ठान ली है। वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव के प्रचार की कमान अमेरिकी कंपनी संभाल सकती है। शासन के काम करने के तौर तरीके व जनता की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अखिलेश ने प्रदेश के विकास के लिए जनता से सुझाव मांगे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के चुनाव प्रचार की कमान संभाल चुके गेराल्ड ऑस्टिन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से शनिवार को मुलाकात की, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि 2017 के चुनावों में समाजवादी पार्टी उनकी सेवाएं ले सकती है।
गेराल्ड इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपतियों के चुनाव अभियान का सफल संचालन कर चुके हैं। वे जिमी कार्टर, बिल क्लिंटन के चुनावी अभियान को कामयाब बना चुके हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास के लिए एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए जनता से सुझाव मांगे हैं। इसके जरिये वे विकास पुरुष के तौर पर खुद की छवि को निखारना चाहते हैं और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी भी दिखाना चाहते हैं। उन्होंने एक विज्ञापन के जरिये राज्य की जनता से कहा है कि स्वस्थ लोकतंत्र में जनता की आशा और विचारों के आधार पर विकास की योजनाएं बननी चाहिए। ऐसे में कोई भी व्यक्ति अगले वर्ष के विकास एजेंडा के लिए अपने सुझावों को मुख्यमंत्री कार्यालय या ई-प्रारूप में प्रदेश सरकार की वेबसाइट पर भेज सकता है।
यूं कहें कि समाजवादी पार्टी 2017 का विधानसभा चुनाव नए अंदाज में लड़ेगी। इसके तहत इमेज बिल्डिंग और ब्रांडिंग से लेकर ओपिनियन मेकिंग तक के लिए इंटरनेशनल एजेंसियों की सेवाएं ली जा सकती हैं। दुनिया के जाने-माने कंपेनर और 40 साल से डेमोक्रेट्स को अपनी सेवाएं दे रहे यूएस के गेरॉल्ड जे ऑस्टिन ने शनिवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से यहां मुलाकात की। 70 वर्षीय गेरॉल्ड जे ऑस्टिन का कहना है कि अमेरिकी चुनाव में उनकी भूमिका के बारे में दुनिया भर के लोग जानते हैं। सीएम अखिलेश यादव भी इससे अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए भारत में रुकना तो मुमकिन नहीं होगा, लेकिन यदि मुख्यमंत्री चाहेंगे तो वे सपा के रणनीतिकारों, सहयोगियों और खास समर्थकों को ट्रेनिंग दे सकते हैं।
बदलते वैश्विक परिदृश्य में राजनीति में प्रबंधन की भूमिका बहुत बढ़ गई है। पब्लिक ओपिनियन बनाने से लेकर प्रचार अभियान और मुद्दे तक तय करने में मैनेजमेंट एजेंसियों की भूमिका अहम हो गई है। किसी दल के पक्ष में लॉबिंग करने, सोशल मीडिया पर अभियान चलाने के लिए प्रोफेशनल एजेंसियां हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक प्रबंधन के लिए अलग-अलग एजेंसियों की सेवाएं ली थीं। इनमें ग्लोबल एजेंसियां भी शामिल थीं। बिहार में भी चुनाव प्रबंधन के लिए पार्टियां इनका सहारा ले रही हैं।
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