चित्रकूट। बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिली करारी हार के बाद पार्टी के बुजुर्ग नेताओं की बगावत का दबाव झेल रहे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह एक और विवाद में घिरते दिखे। खबरों के मुताबिक, शनिवार को चित्रकूट में जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य की शरण में पहुंचे अमित शाह ने कथित रूप से कहा कि 60 साल उम्र के बाद जो लोग राजनीति में हैं, उन्हें संन्यास ले लेना चाहिए। हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद अमित शाह ने साफ किया कि उन्होंने कहीं पर भी यह बात नहीं कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा, मेरा भाषण गलत तरीके से रखा जा रहा है। इस मामले में बीजेपी की ओर से वक्तउव्या भी जारी कर कहा गया कि अमित शाह ने सिर्फ नानाजी के व्यंक्त्वि की चर्चा करते हुए कहा था कि नानाजी ने आजीवन समाज की सेवा की और जीवन के अंतिम समय वह चित्रकूट में रहकर समाज के अलग-अलग वर्गों से जुड़े रहे। शाह के इस वक्त व्य को गलत संदर्भ में पेश किया गया।
आपको बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य की शरण में पहुंचे थे। उन्होंने चित्रकूट के जानकीकुंड स्थित आश्रम में जगतगुरु से 30 मिनट तक बातचीत की। अमित शाह चित्रकूट के जानकीकुंड में सतगुरु सेवा संघ ट्रस्ट के स्नातकोत्तर नेत्र विज्ञान संस्थान के उद्घाटन समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। उद्घाटन समारोह के बाद उनका काफिला तुलसीकुंड की ओर मुड़ गया। बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहत्रबुद्दे भी शाह के साथ थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिहार में हार के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा शाह को जिम्मेदार ठहराए जाने पर प्रतिक्रया मांगे जाने पर संक्षिप्त जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'वर्षों पहले नानाजी देशमुख ने कहा था कि 60 साल उम्र के बाद राजनीति में नहीं रहना चाहिए, बल्कि सामाजिक कार्य में लग जाना चाहिए।'
गौरतलब है कि पार्टी के बुजुर्ग नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार ने कहा है कि बिहार में हार से साफ है कि दिल्ली चुनाव में हार से कोई सीख नहीं ली गई। हार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। यह कहना कि हार के लिए पार्टी के सभी लोग जिम्मेदार हैं, यह जिम्मेदारी लेने से भागना है। अगर जीत जाते तो श्रेय खुद लेते, हारने पर जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं।
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