मथुरा। आसमान में चमक रहे मुनि अगस्त्य के पौत्र रावण महान शिवभक्त और दसों इंद्रियों के विजेता थे। महापण्डित और नीतिज्ञ इतने कि लक्ष्मण को राजनीति का ज्ञान दिया। उदारता इतनी कि रामेश्वर की स्थापना के समय पाण्डित्य धर्म का पालन करते हुए श्रीराम को विजयी होने का आशीर्वाद दिया। ऐसे महाज्ञानी संग महाप्रतापी का पुतला दहन करना मर्यादा सम्मत नहीं है और न ही इस अपमान को अब सहन किया जाएगा। यह कहते हुए रावण भक्त ओमवीर सारस्वत एडवोकेट ने ऐलान किया कि शीघ्र ही दशानन का मंदिर मनाया जाएगा।
लंकेश्वर रावण को राक्षस, आतातायी, पापी और भगवान विरोधी कहने से भक्त समुदाय बहुत दु:खी होता है। पुतला दहन करने और निंदा करने को मर्यादा के विपरीत आचरण कहता है। ऐसे ही रावण भक्तों ने दशमी पर एक बार फिर लंकेश्वर की पूजा-अर्चना-वंदना की। यमुना तीरे पल्लीपार स्थित शिव मंदिर पर धार्मिक आयोजन किया। इसमें रावण स्वरूप ने शिव की पूजा की। भक्तों ने शिव संग रावण की पूजा सेवा की। इस मौके पर ओमवीर सारस्वत ने कहा कि भगवान राम की मर्यादाओं को तोड़कर समाज का वर्ग विशेष एक प्रकाण्ड पंडित-सर्वश्रेष्ठ विद्वान दशानन का प्रतिवर्ष पुतला दहन बुराई के रूप में करता आ रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि त्रिकालदर्शी महाराज रावण सदैव मर्यादाओं का पालन करते थे। अगर ऐसा नहीं होता तो माता सीता को लेकर जाकर वह सुरक्षित अशोक वाटिका में महिलाओं की सुरक्षा में सुरक्षित नहीं रखते। लक्ष्मण को राजनीति की शिक्षा नहीं देते। कथित भक्तों को सोचना चाहिए कि भगवान राम स्वयं रावण की विद्वता के कायल थे और तभी सेतु बंध की स्थापना के समय उन्होंने पाण्डित्य कर्म ही नहीं किया, बल्कि अपने यजमान को लंका विजय का आशीष भी दिया था। उन्होंने कहा कि धर्मज्ञ पण्डित रावण का पुतला दहन करने के विरोध में समाज के लोगों को एकजुट कर देशभर में जनजागरण अभियान चलाएंगे और इस मर्यादित कारगुजारी को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। रावण पूजा-गुणगान करने वालों में संजय सारस्वत एड., ब्रजेश सारस्वत, सतीश गौतम, कुलदीप अवस्थी, आरसी सारस्वत, सत्यस्वरूप, बाबी सारस्वत, नरेश सारस्वत, दीपांशु अवस्थी, राजीव शर्मा, चेतन शर्मा, केके पचौरी, छोटू सारस्वत, आशू सारस्वत, वीरेंद्र सारस्वत, पंकज सारस्वत, सुशील सारस्वत, लक्ष्मण शर्मा, दीपक शर्मा, वरुण शर्मा, मयंक सारस्वत सहित अनेक भक्त शामिल थे।
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।