
किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं लालू
लालू यादव के बारे में ज्याहदातर लोग जानते हैं। चाहे वो उनके बोलने के अंदाज की वजह से उन्हेंह पहचानते हों या किसी और वजह से लेकिन जानते जरूर होंगे। बिहार में करीब 15 वर्षों तक उनकी ही पार्टी राजद ने राज किया है। लालू की रैली हो और लोग न पहुंचें, ये लगभग नामुमकिन है। लालू के बोलने का अनोखा अंदाज ही उनकी यूएसपी है। चाहे विरोधियों को करारा जवाब देने की बात है या फिर किसी बात पर टिप्पसणी करनी हो, लालू का अंदाज सबसे जुदा होता है। लालू प्रसाद यादव का जन्मस 11 जून 1947 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ। इनकी शुरुआती पढ़ाई गोपालगंज से हुई और कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना आए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्हों ने कानून में स्ना तक की पढ़ाई की और राजनीति शास्त्रा में एमए किया।
लालू छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। छात्र राजनीति के दिनों में ही लालू जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। लालू पहली बार छठी लोकसभा के लिए जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए। उस समय उनकी उम्र मात्र 29 साल थी। एक जून 1973 को इनकी शादी राबड़ी देवी हुई। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं। लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार के मुख्यएमंत्री बने और सफलता पूर्वक अपना कार्यकाल पूरा किया। 1995 में एक बार फिर जनता ने लालू पर भरोसा जताया और उन्हेंक फिर मुख्य मंत्री चुना। 1997 में लालू ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का निर्माण किया और खुद उसके अध्यचक्ष बने। राष्ट्रीलय राजनीति में लालू का अच्छाय रसूख रहा और 2004 में यूपीए की सरकार में लालू रेलमंत्री बने। लालू 8 बार बिहार विधानसभा के सदस्या भी रह चुके हैं।
चारा घोटाले में नाम आने और 1997 में सीबीआई द्वारा इसी मामले में लालू के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के बाद लालू को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। तब लालू ने अपनी पत्नी् राबड़ी देवी को राज्या का मुख्य मंत्री बना दिया। 3 अक्टूबर 2013 को लालू को चारा घोटाला मामले में पांच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा हुई। इसके चलते उन्हें न सिर्फ अपनी संसद सदस्यचता गंवानी पड़ी बल्कि 11 साल तक के लिए उन पर किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई। इस बार विधानसभा चुनाव में लालू ने अपने धुर विरोधी नीतीश कुमार और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया है और चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। उनकी रैलियों में भीड़ भी खूब जुट रही है। नतीजों के लिए हमें 8 नवंबर 2015 तक इंतजार करना पड़ेगा।
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