नई दिल्ली/कराची। 15 साल पहले भटककर सरहद पार पहुंच गई 8 साल की मासूम बच्ची 23 साल की युवती गीता के रूप में अपने वतन लौट आई। गीता को कराची से लाने वाला विमान दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमानतल पर उतरा जहां, भारतीय तथा पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों ने उसका स्वागत किया। गीता के स्वागत के लिए लाल कारपेट बिछाया गया था। बाद में उसे लेकर अधिकारियों का दल रवाना हो गया। गीता को कराची से रवाना होने के पहले ठीक उसी तरह लाल जोड़े में विदा किया गया था, जैसे किसी दुल्हन को विदा किया जाता है। गीता के स्वागत के लिए पिता होने का दावा करने वाला महतो परिवार भी दिल्ली में मौजूद था और दो भाई भी फूल माला लेकर खड़े रहे लेकिन वे गीता से नहीं मिल पाए। जनार्दन महतो ने कहा कि जब तक वे अपनी बेटी को गांव तक नहीं ले जाते तब तक उन्हें चैन नहीं मिलेगा।
कराची स्थित मोहम्मद अली जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से स्थानीय समयानुसार सुबह 8 बजे पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की उड़ान संख्या पीके-272 से रवाना हुआ था। गीता के लौटने से कराची में काफी भावुक क्षण आए। उसे तोहफों से लाद दिया गया था। सालों से पनाह दे रहे स्वयंसेवी संगठन ईधी फाउंडेशन के 5 प्रतिनिधि भी गीता के साथ हैं, जिन्हें भारत सरकार के मेहमान का दर्जा दिया जाएगा। पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित भी विमानतल पर मौजूद थे। गीता को यहां से सीधे विदेश मंत्रालय लाया गया, जहां उसे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौजूदगी में महतो परिवार से मिलवाने का कार्यक्रम है। मेल-मिलाप और दोपहर के भोजन के बाद स्वराज गीता के साथ मीडिया से मुखातिब होंगी लेकिन डीएनए परीक्षण में माता-पिता की पुष्टि होने के पहले उसे महतो को सौंपा नहीं जाएगा। फाउंडेशन के सदस्य भारत में तब ठहरेंगे, जब तक कि वे संतुष्ट नहीं हो जाएं कि गीता अपने बिछुड़े हुए असली मां और बाप के घर पहुंच गई है। बिहार में पटना से 370 किलोमीटर दूर सहरसा नामक गांव में रहने वाले जनार्दन महतों ने दावा किया था कि पाकिस्तान में रह रही गीता उसकी गुम हुई बेटी है। पाकिस्तान उच्चायोग औपचारिक रूप से गीता को आज शाम को भारत को आधिकारिक रूप से भारत को सौंपेगा। इसके पूर्व उच्चायोग ने एक छोटा सा रिसेप्शन भी रखा है। खबरें यह भी आ रहीं है कि गीता को आज ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलवाया जा सकता है।
नई दिल्ली जाने के लिए पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस में सवार होने से पहले बेहद खुश नजर आ रही गीता ने पाकिस्तानी जनता का शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने इतने वर्ष तक उसका ख्याल रखा। एदी फाउंडेशन के फैज़ल एदी ने संवाददाताओं को बताया कि वे सोशल मीडिया के जरिए गीता के संपर्क में बने रहेंगे और यहां तक कि उससे मिलकर भी आया करेंगे। उन्होंने कहा, ‘वह हमसे वास्तव में अलग नहीं हो रही है।’ पाकिस्तानी मीडिया की खबर के अनुसार, इस संस्था की बिलकीस एदी और उनके पोता-पोती साद और सबा एदी नई दिल्ली तक गीता के साथ रहेंगे। अब 23 साल की हो चुकी गीता उस समय महज सात या आठ साल की थी, जब वह आज से 15 साल पहले पाकिस्तानी रेंजर्स को लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेली बैठी मिली थी। बिलकीस एदी ने गीता को गोद ले लिया था और तब से वह उनके साथ कराची में ही रहती थी। गीता ने अपने परिवार को एक तस्वीर के जरिए पहचाना था। यह तस्वीर उसे इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग ने भेजी थी। फैज़ल एदी के अनुसार, गीता ने उन्हें सांकेतिक भाषा में बताया था कि उसके पिता एक बूढ़े व्यक्ति थे और उसकी एक सौतेली मां और सौतेले भाई-बहन थे। गीता को अपनी बेटी बताने वाले महतो परिवार का ताल्लुक बिहार से है। चूंकि इन दिनों बिहार विधानसभा के चुनाव पूरे शबाब पर है, लिहाजा गीता की वतन वापसी का श्रेय लेने की राजनीति भी शुरु हो गई है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज ट्वी ट करके गीता के भारत लौटने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। गीता की वापसी ऐसे मौके पर हुई है, जब दिल्ली में अब तक के सबसे बड़े कूटनीतिक आयोजन की शुरुआत होगी। रकार चाहेगी कि गीता का मामला शीघ्रातिशीघ्र तार्किक परिणति तक पहुंच जाए ताकि मीडिया की सुर्खियों में गीता सोमवार के बाद न रहे और मंगलवार से भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन को प्रमुखता मिले।
- Blogger Comments
- Facebook Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment
आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।