नई दिल्ली। सरकार ने किसी भी मोबाइल उपकरण या कंप्यूटर से भेजे गए एसएमएस और ई-मेल सहित कूट भाषा वाले सभी संदेशों को नई इनक्रिप्शन नीति के तहत 90 दिनों तक अनिवार्य रूप से स्टोर करके रखने का प्रस्ताव किया है। ऐसा निर्णय आने से बड़ा बवाल खड़ा हो रहा था तो सरकार की ओऱ फिर से सपाई दी गई है। सरकार व्हाट्सएप, स्नैपचैट या ऑनलाइन चैट के अन्य माध्यमों पर खुफिया निगरानी पैनी करने की तैयारी कर और सरकार ने जनता से सुझाव मांगने के लिए इंटरनेट सुरक्षा का जो मसौदा जारी किया है। उसमें सेवा प्रदाता के साथ यूजरों पर भी 90 दिनों तक संदेशों को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी डाली गई है, जिसकी आलोचना भी शुरू हो गई है। हालांकि दूरसंचार मंत्रालय ने सफाई दी है कि इनक्रिप्शन पॉलिसी में व्हाट्सएप, फेसबुक और सोशल मीडिया को शामिल नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि व्हाट्सएप तथा द्वारा भेजे जाने वाले मैसेजेज, फोटो तथा ऑडियो और वीडियो एंड टू एंड इनक्रिप्टेड कोड वाली तकनीक में जाते हैं। इस तकनीक की वजह से ये डेटा सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में नहीं आते है। ऐसा ही फेसबुक मैसेंजर, आईमैसेज स्नैपचैट, वीचैट आदि एप्स द्वारा जाने वाले डेटा के साथ भी है। व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेंजर तथा आईमैसेज जैसे एप्स के तहत डेटा शेयरिंग इनक्रिप्टेड कोड में होने के कारण यह सरकार और सुरक्षा ऐजेंसियों की नजर से बाहर होते हैं। ऐसे में इन एप्स द्वारा चलने वाली आतंकीवादी गतिविधयों का पता नहीं चल पाता, जो चिंता का विषय बनता जा रहा है। यूके के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून भी व्हाट्सएप जैसे एप्स पर देश में बेन लगाने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा अब यूके की सुरक्षा एजेंसी एमआई5 ने इस बारे में फिर से चेताया है।
एमआई5 के डायरेक्टर जनरल ने कहा है कि एंड टू एंड इनक्रिप्टेड तकनीक को ऑनलाइन उपलब्ध करवाने पर बैन लगाया जाना चाहिए। ऐसा होने पर व्हाट्सएप, फेसबुक, आईमैसेज, वीचैट जैसे एप्स पर बैन लगा सकता है। प्रस्तावित नई इनक्रिप्शन नीति सरकारी विभागों, अकादमिक संस्थानों, नागरिकों और हर तरह के संचार सहित सभी लोगों पर लागू होगी। आम तौर पर व्हाट्सएप, वाइबर, लाइन, गूगल चैट, याहू मैसेंजर आदि जैसी सभी आधुनिक मैसेजिंग सेवाओं में अत्यधिक कूट भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे सुरक्षा एजंसियों के लिए इन संदेशों को स्पष्ट कर पाना मुश्किल होता है।
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