पंचायत चुनाव में गुल खिलाएगी पिछड़ी राजनीति, बिकाऊ और गद्दारों से पल्ला झाड़ने की नीति चढ़ रही परवान, भाजपा से लक्ष्मी, बसपा से श्याम-तेजपाल, सपा से, संजय लाठर, प्रदीप चौधरी, तुलसी राम शर्मा, जगदीश नौहवार बनाए जा सकते हैं चेहरा, 100 साल पुरानी कांग्रेस को राहुल गांधी के दौरे में संजीवनी मिलने की उम्मीद, टिकट नहीं मिलने पर भी जीतने के विश्वास से लवरेज
भोलेश्वर उपमन्यु, मथुरा। पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद जातिगत समीकरण देखने का खुला खेल जारी है। अगड़ी-पिछड़ी, गुण दोष व ऊंच-नींच राजनीति की चौसर बिछ चुकी है। पद की जंग ने धुर विरोधी पार्टियों के नेताओं को भी एक मंच पर जोड़तोड़ करने के लिए हमसफर बना दिया है। दल व दलपति बिकाऊ एवं गद्दारी के कीटाणुओं को नहीं दे रही भाव। मुहिम को तेज करते वरिष्ठ राजनीतिज्ञ प्रहलाद यादव ने कहा है कि चुनाव में पिछड़ी राजनीति भी गुल खिलाएगी।
सिर्फ जाति के बल पर राजनीति करने और दूसरी जातियों का वोट जुगाड़ने का बोलवाला है। इसमें माहिर दलों के नेता स्वयं की जाति के मतदाताओं को अपने साथ मानकर चलने और दूसरी जातियों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की नीति पर चलते हैं। मानते हैं कि हमारी जाति तो वोट देगी ही दूसरी जातियों के वोटों को इस नीति से बंटोर लेंगे। जिला पंचायत के 38 सदस्यों का चुनाव होना है। एक सीट पर दर्जन तक प्रत्याशी टिकट पाने को जोड़-तोड़ कर रहे हैं। चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कुछ को टिकट कटने के संकेत मिल गए हैं। अंतिम फैसला 2-3 दिनों में हो जाएगा। कई लड़ाकू तो दो-दो दलों में प्रयास कर रहे हैं। कुछ ऐसे नेता जिन्हें अपने उम्मीदवारों के जीतने का भरोसा है, उन्होंने अपनी ओर से नाम तय कर प्रचार शुरू कर दिया है। उनकी पार्टियां टिकट दें तो ठीक नहीं दें तो वह अपने बल पर राजनीति करेंगे। पार्टियों ने अपनी मर्जी की तो मान न मान हम मेहमान की नीति परवान चढ़ेगी। इनके उम्मीदवार कितने जीतेंगे यह तो दावे से नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह तय है कि जिलाध्यक्ष के चुनाव में उन्हें नजर अंदाज करना किसी दल व अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए बर्बार्दी का इतिहास रचने वाला साबित होगा।
मौका देख पाला बदलने में माहिर राजनीतिज्ञ इस बार भी अपने खासमखासों को टिकट दिलाने और उन्हें ही जिताने को काम पूरा बल लगाएंगे। वर्तमान पंचायत में दो बार अध्यक्ष पद के चुनाव हुए। हालांकि दोनों बार राष्ट्रीय लोकदल का अध्यक्ष बना। रालोद सुप्रीमो अजीत सिंह हाल ही में मथुरा में गरज चुके हैं ! उनके पुत्र पूर्व संसद जयंत चौधरी खुद चुनाव की कमान संभाल रहे हैं ! इस बार भी पंचायत पर अपना कब्जा करने की जुगत में है। जाट बाहुल्य तिलिस्म को तोड़ने के लिए भाजपा पूर्व मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण को आगे कर रणनीति बना रही है तो बसपा में श्याम सुंदर शर्मा व तेजपाल नीति का बोलवाला रहने के संकेत हैं। सपा भी इस बार सत्ता और बढ़े जनाधार को भुनाने की नीति पर चल निकली है। अभी तक उम्मीद है कि सपा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नजदीकी प्रदीप चौधरी, संजय लाठर, जिलाध्यक्ष तुलसीराम शर्मा एवं जगदीश नौहवार को चुनाव का चेहरा बनाएगी। कांग्रेस का पलड़ा भारी नहीं है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी के मथुरा दौरे से इसकी राजनीति को संजीवनी मिलेगी और 100 साल पुराना यह दल पंचायत चुनाव में नजर अंदाज नहीं करने वाली स्थिति में तो इस बार आ ही जाएगा। चुनाव को हवा देते पिछड़ा वर्ग जागृति मंच संस्थापक प्रहलाद यादव ने 20 सितंबर की दोपहर 12 किसान भवन में बैठक बुलाने का फरमान जारी किया है। प्रहलाद कहते हैं कि इस बैठक में पिछड़ों की राजनीति, पंचायत चुनाव पर कारगर कदम उठाएंगे। उन्होंने सरकार से नामित सभासदों, जिला पंचायत सदस्यों, प्रधान, बीडीसी को भी इसमें बुलाया है।
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