नई दिल्ली। वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) को लेकर आंदोलन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों के नेताओं ने शनिवार रात रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात की और बाद में उन्होंने कहा कि सरकार समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने वालों को लेकर अपनी व्यावहारिकता पर स्पष्टीकरण के साथ सामने आ सकती है। पर्रिकर के साथ मुलाकात के बाद मेजर जनरल (रिटायर्ड) सतबीर सिंह ने कहा कि कोर कमिटी की बैठक के बाद आंदोलन को जारी रखने के बारे में फैसला किया जाएगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'रक्षा मंत्री ने पुष्टि की है कि रक्षा सेवाओं में कोई वीआरएस नहीं है और इसलिए ओआरओपी पीएमआर (समयपूर्व रिटायरमेंट) में लागू होगा। प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के बाद आधिकारिक नोट एक या दो दिनों में दिया जाएगा। पर्रिकर ने पुष्टि की है कि वह कल शाम या परसों स्पष्टीकरण देंगे।' सिंह ने कहा कि वह रक्षा मंत्री के बयान से 'संतुष्ट' हैं, हालांकि सिंह ने यह भी कहा, 'कई दूसरे मुद्दे भी हैं जिनको देखना है, लेकिन बड़ा मुद्दा पीएमआर का है, जो अनावश्यक रूप से शामिल किया गया। इसको नोट का हिस्सा बनाने की जरूरत नहीं थी। यह कैसे आया हम यह नहीं जानते।'
इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को आनन-फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'भारी वित्तीय बोझ के बावजूद पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए किए गए अपने वादे को पूरा करते हुए सरकार ने ओआरओपी योजना लागू करने का फैसला किया है।' पर्रिकर ने कहा कि 15 दिन से एक महीने के भीतर ओआरओपी को लागू करने वाला आदेश जारी कर दिया जाएगा। साथ ही पर्रिकर ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर ओआरओपी को लेकर गलत गणना करने का आरोप लगाया और कहा कि इसी वजह से इसे लागू करने में देरी हुई। पर्रिकर ने साथ ही पूर्व सैनिकों से धरना बंद करने और राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को आगे बढ़ाने का आह्वान भी किया। उधर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ओआरओपी योजना लागू किए जाने का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहकर धन्यवाद किया कि यह सुरक्षा कर्मियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। रक्षा मंत्री की घोषणा के थोड़ी देर के बाद ही शाह ने पत्रकारों से कहा, 'हमने केवल अपने वादे को ही पूरा नहीं किया बल्कि इसे लागू भी किया। मोदी सरकार ने सेवानिवृत्त और सेवारत सैनिकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है।' पर्रिकर ने भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की आलोचना की और 2009 में एक पूर्व राज्यमंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा, 'प्रशासनिक, तकनीकी और वित्तीय परेशानियों के कारण मौजूदा सरकार को ओआरओपी को लागू करने में विलंब हुआ।' मंत्री ने यह भी कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले पूर्वसैनिकों को ओआरओपी योजना की सुविधा नहीं मिलेगी। ओआरओपी योजना लागू करने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर धरना दे रहे पूर्वसैनिकों ने शुरुआत में तो कहा कि वे इस मुद्दे पर सरकार की घोषणा से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन रक्षा मंत्री के साथ बैठक करने के बाद मसला सुलझ गया।
रक्षा मंत्री से बैठक के बाद अभियान की अगुवाई कर रहे मेजर जनरल सतबीर सिंह ने पत्रकारों से कहा कि बैठक में उन्होंने स्व-सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारियों को ओआरओपी न दिए जाने पर बातचीत की। सिंह ने कहा, 'समयपूर्व सेवानिवृत्ति के मुद्दे पर हम चर्चा चाहते थे। रक्षामंत्री ने पुष्टि की कि सशस्त्र बलों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं है, बल्कि सिर्फ समय पूर्व सेवानिवृत्ति है।' उन्होंने कहा, 'जी हां, इस बयान के बाद हम संतुष्ट हैं।' सिंह ने कहा कि आंदोलन समाप्त करने का निर्णय जल्द ही लिया जाएगा। सरकार द्वारा घोषित ओआरओपी का आधार वर्ष 2013 है, और इसके क्रियान्वयन की तिथि पहली जुलाई, 2014 है। पेंशन की समीक्षा और संशोधन प्रत्येक पांच साल पर होगा। ओआरओपी योजना लागू होने पर राजस्व पर 8,000 से 10,000 करोड़ रुपयों का अनुमानित भार आएगा, तथा 12,000 करोड़ रुपये एरियर पर खर्च होंगे। पर्रिकर ने कहा कि इस बहुप्रतीक्षित योजना की बकाया राशि का भुगतान चार छमाही किश्तों में किया जाएगा। इसकी पहली किश्त सैनिकों के विधवाओं को दी जाएगी। पेंशन में प्रत्येक पांच साल पर संशोधन किया जाएगा और योजना पहली जुलाई, 2014 से प्रभावी होगी। उन्होंने कहा, 'ओआरओपी को कैलेंडर वर्ष 2013 के आधार पर तय किया जाएगा। समान रैंक और समान सेवाकाल वाले सभी पेंशनभोगी पूर्वसैनिकों के लिए 2013 के न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर फिर से पेंशन तय की जाएगी।' इस योजना के लागू होने से 25 लाख से अधिक पूर्वसैनिकों को लाभ मिलेगा। एरियर का भुगतान चार किश्तों में प्रत्येक छह माह पर किया जाएगा। शहीदों की पत्नियों को एरियर एकमुश्त दिया जाएगा। रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पूर्व सैनिकों को भी एरियर एकमुश्त प्रदान की जाएगी। उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय का मौजूदा पेंशन बजट 54,000 करोड़ रुपये का है।
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