ताज़ा ख़बर

सांस-सांस तेरा नाम भरा

दीप्ति 
रूठे हैं हम,तो यक़ीन था की मना लेगा एक दिन अर्सा बिता आस में, अब तक वो उतरा नहीं ख़रा, हमारे हिस्से का वक़्त भी उसने दुनिया को बाँट दिया आता नज़दीक तो बताते दिल का ज़ख्म अब भी है हरा, दिल ने हर आंसूं को आँखों में छुपा कर रखा है कहीं मेरे दर्द का मुख़बिर न बन जाए ये हर घडी डरा, अजनबी सी आग को सीने में लेकर कब तक जीते रहेंगें हाले-ग़म लिखने में नाकाबिल,दिल को रोग लगा है बुरा, हम भी अपनी मुहब्बत को दुल्हन सा सज़ा लेते अब भी हमारी सांस-सांस में तेरा नाम है भरा।
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: सांस-सांस तेरा नाम भरा Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in