नई दिल्ली। क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में पोर्न वेबसाइट्स पर बैन लगाना शुरू कर दिया है? यह सवाल देशभर के उन तमाम इंटरनेट यूजर्स में बीच गूंज रहा है, जो ऐसे वेबसाइट्स की सामग्री को देखना अपना अधिकार मानते हैं। शिकायतें आ रही हैं कि कुछ इंटरनेट प्रोवाइडर्स ने पोर्न साइट्स का एक्सेस बंद कर दिया है, जबकि ट्विटर पर भी इस ओर यूजर्स का गुस्सा सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बैन से इनकार के बावजूद सरकार ने चुपके-चुपके ऐसी वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया है। यूजर्स का कहना है कि बीसएसएनएल, एमटीएनएल और ऐसे दूसरे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने सबसे मशहूर 13 पोर्न वेबसाइट में से 11 पर बैन लगा दी है। टि्वटर पर यूजर्स इस मुद्दे पर अपना विरोध #पोर्न_बैन और# हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं, जो रविवार सुबह तक टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया। हालांकि, सूचना यह भी मिल रही है कि मोबाइल के जरिए ऐसी वेबसाइट्स का एक्सेस अभी जारी है। यही नहीं, एयरटेल, रिलायंस, वोडाफोन जैसी कंपनियों से अभी तक ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। लीगली इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाकी दो साइट्स को दिल्ली के स्पेट्रानेट सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क पर एक्सेस किया जा सका है। रेडिट इंडिया की थ्रेड पर भी कुछ यूजर्स द्वारा पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने का दावा किया गया। इन साइट्स को एक्सेस करने की कोशिश करने का मैसेज देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कोई किसी को चार दीवारों के पीछे पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है।
चीफ जस्टिस एचएल दत्तु ने बैन से इनकार करते हुए कहा था, 'कोर्ट की ओर से पास ऐसा कोई अंतरिम आदेश आर्टिकल 21 का उल्लंघन है, जो किसी भी नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता देता है। अगर ऐसा होता है तो कल को कोई भी वयस्क आकर यह कह सकता है कि आप मुझे मेरे कमरे में चारदीवारी के अंदर पोर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं?' एचएल दत्तु की ओर से यह टिप्पणी उस समय आई, जब इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी ने एक पीआईएल दाखिल कर सभी पोर्न साइट्स पर बैन लगाने की मांग की थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस ओर गंभीर रूप से विचार कर सरकार को एक निर्णय लेने की जरूरत है।
मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बैन से इनकार के बावजूद सरकार ने चुपके-चुपके ऐसी वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया है। यूजर्स का कहना है कि बीसएसएनएल, एमटीएनएल और ऐसे दूसरे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने सबसे मशहूर 13 पोर्न वेबसाइट में से 11 पर बैन लगा दी है। टि्वटर पर यूजर्स इस मुद्दे पर अपना विरोध #पोर्न_बैन और# हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं, जो रविवार सुबह तक टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया। हालांकि, सूचना यह भी मिल रही है कि मोबाइल के जरिए ऐसी वेबसाइट्स का एक्सेस अभी जारी है। यही नहीं, एयरटेल, रिलायंस, वोडाफोन जैसी कंपनियों से अभी तक ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। लीगली इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाकी दो साइट्स को दिल्ली के स्पेट्रानेट सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क पर एक्सेस किया जा सका है। रेडिट इंडिया की थ्रेड पर भी कुछ यूजर्स द्वारा पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने का दावा किया गया। इन साइट्स को एक्सेस करने की कोशिश करने का मैसेज देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही पोर्न साइटों पर बैन लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कोई किसी को चार दीवारों के पीछे पोर्न देखने से कैसे रोक सकता है।
चीफ जस्टिस एचएल दत्तु ने बैन से इनकार करते हुए कहा था, 'कोर्ट की ओर से पास ऐसा कोई अंतरिम आदेश आर्टिकल 21 का उल्लंघन है, जो किसी भी नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता देता है। अगर ऐसा होता है तो कल को कोई भी वयस्क आकर यह कह सकता है कि आप मुझे मेरे कमरे में चारदीवारी के अंदर पोर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं?' एचएल दत्तु की ओर से यह टिप्पणी उस समय आई, जब इंदौर के एक वकील कमलेश वासवानी ने एक पीआईएल दाखिल कर सभी पोर्न साइट्स पर बैन लगाने की मांग की थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि इस ओर गंभीर रूप से विचार कर सरकार को एक निर्णय लेने की जरूरत है।
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