नई दिल्ली (उमाशंकर सिंह)। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अज़ीज़ और कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं के बीच मुलाक़ात पर बढ़े विवाद के बीच सरकार की तरफ से ये साफ किया जा रहा है कि अगर ये मुलाक़ात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत के बाद होती है तो भारत को इस पर आपत्ति नहीं। एक उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि भारत की आपत्ति एनएसए स्तर की बातचीत से पहले पाक-हुर्रियत मुलाक़ात पर है।
भारत कभी ये स्वीकार नहीं करेगा कि कश्मीर समस्या में पाकिस्तान हुर्रियत को एक तीसरे पक्ष के तौर पर मान्यता देने की कोशिश करे। इस समस्या के दो ही पक्ष हैं। भारत और पाकिस्तान। अलबत्ता दोनों देशों के एनएसए की बैठक के बाद अज़ीज़ अगर हुर्रियत से मिलते हैं तो इस पर भारत को कोई आपत्ति नहीं। ग़ौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में विदेश सचिवों के बीच इस्लामाबाद में 25 अगस्त को होने वाली बातचीत से पहले दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने हुर्रियत नेताओं से मुलाक़ात की थी।
प्रतिक्रिया में भारत ने विदेश सचिव स्तर की बातचीत को रद्द कर दिया था। भारत अब भी वही लाइन ले रहा है कि दो सरकारों के बीच बातचीत से पहले पाकिस्तान को हुर्रियत से मुलाक़ात उसे मंज़ूर नहीं। दूसरी तरफ पाकिस्तानी उच्चायोग के सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि हुर्रियत के सरताज अज़ीज़ की मुलाक़ात 23 अगस्त की शाम आयोजित की गई दावत के दौरान होगी। हालांकि साथ ही उच्चायोग के सूत्र का ये भी कहना है कि पाकिस्तान पहले या बाद की शर्त में भरोसा नहीं करता। अव्वल तो अभी राष्ट्रीय सुरक्षा सलारकारों के बीच बैठक का वक्त ही तय नहीं हुआ है। ये याद दिलाए जाने पर कि बैठक की तारीख़ 23 अगस्त तय है और ऐसे में बैठक दोपहर के वक्त रखे जाने की संभावना है, पाकिस्तानी सूत्र का कहना है कि अभी कार्यक्रम को फाइन ट्यून किया जा रहा है। सूत्र ने ये भी साफ नहीं किया कि क्या पाकिस्तान 24 अगस्त को ही बातचीत रखना चाहता है या 24 अगस्त को भी बातचीत जारी रखना चाहता है। दरअसल पाकिस्तान किसी भी सूरत में हुर्रियत नेताओं को ये एहसास नहीं दिलाना चाहता कि उन्हें हाशिए पर रख कर चला जा रहा है।
ये भी कि किसी भी तरह से हुर्रियत की क़ीमत पर वो भारत से बातचीत की शर्तों को मान रहा है। उफ़ा में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच मुलाक़ात से पहले माहौल न खराब हो इसलिए पाकिस्तान ने हुर्रियत को दी गई इफ्तार पार्टी नहीं की थी। सैय्यद अली शाह गिलानी इससे इतने ख़फा हुए थे कि वे पाकिस्तान उच्चायोग के ईद मिलन समारोह से भी दूर रहे। इस समारोह में शरीक हुए मीरवाइज़ उमर फ़ारूक ने भी शिकायती लहज़ा अपनाया था। पाकिस्तान हुर्रियत को फिर से नाराज़ नहीं करना चाहता। (साभार)
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