राहुल गांधी की नई इमेज परिवर्तनकामी है, खुली है, यह कांग्रेस के मूल स्वभाव से भिन्न है। कांग्रेस का मूल स्वभाव सत्ता अनुगामी और छिपाने वाला रहा है, जबकि राहुल गांधी सत्ता से मुठभेड़ कर रहे हैं, पार्टी को खेल रहे हैं। वे इस क्रम में दो काम कर रहे हैं, पहला यह कि वे कांग्रेस की नीतियों में परिवर्तन कर रहे हैं, पुरानी नीतियों से अपने को अलगा रहे हैं, उन पर क्रिटिकली बोल रहे हैं। इससे नई राजनीतिक अनुभूति अभिव्यंजित हो रही है।
कांग्रेस के शिखर नेतृत्व में यह प्रवृत्ति रही है कि वह नीतियों पर हमले कम करता रहा है लेकिन राहुल इस मामले में अपवाद हैं, वे मनमोहन सिंह के जमाने में भी नीतिगत मसलों पर निर्णायक हस्तक्षेप करते थे और इन दिनों तो वे भिन्न तेवर में नजर आ रहे हैं। इस क्रम में समूची कांग्रेस की मनोदशा में परिवर्तन घटित हो रहा है। आज राहुल गांधी पहल करके जनता के मसलों को उठा रहे हैं, जनांदोलनों के बीच में जा रहे हैं। हाल ही में पूना फिल्म एवं टीवी संस्थान और पूर्व सैनिकों के आंदोलन स्थल पर राहुल गांधी का जाना शुभलक्षण है। राहुल गांधी पूना संस्थान के छात्रों के जुलूस के साथ राष्ट्रपति से मिलने गए, यह सामान्य घटना नहीं है। कांग्रेस ने कभी इस तरह के जनांदोलनों में, अन्य के द्वारा संचालित आंदोलन में शिरकत नहीं की है। मेरी जानकारी में राहुल गांधी से पहले कभी किसी कांग्रेसी शिखर नेता ने जनांदोलन के साथ खड़े होकर राष्ट्रपति को मांगपत्र पेश नहीं किया। यह नया फिनोमिना है और इसका स्वागत होना चाहिए।
(प्रो.सरोज मिश्रा जी के फेसबुक वाल से साभार)
(प्रो.सरोज मिश्रा जी के फेसबुक वाल से साभार)
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