ताज़ा ख़बर

रसगुल्ले को लेकर आमने-सामने हुए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा!

कोलकाता। कहते हैं, मिठाई कड़वाहट दूर करती है, लेकिन दो राज्यों- पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच यही मिठाई कड़वाहट लेकर आई है। ओडिशा का दावा है कि रसगुल्ला का इतिहास उसके राज्य से जुड़ा है तो वहीं पश्चिम बंगाल भी रसगुल्ला पर अपना दावा कर रहा है। थोड़ा फर्क अगर है तो वह यह कि बंगाल में रसगुल्ला नहीं बल्कि रोसोगुल्ला कहा जाता है। साल 2010 में 'मुद्रा' की ओर से आउटलुक मैगजीन के लिए कराए गए सर्वे में रसगुल्ला को 'राष्ट्रीय मिठाई' के रूप में पेश किया गया था। ओडिशा सरकार ने रसगुल्ला की भौगोलिक पहचान (जीआई) के लिए कदम उठाया है। दावा किया है कि मिठाई का ताल्लुक उसी से है। पश्चिम बंगाल इसका विरोध कर रहा है। जीआई वह आधिकारिक तरीका है जो किसी वस्तु के उद्गम स्थल के बारे में बताता है। कहते हैं, मिठाई कड़वाहट दूर करती है, लेकिन दो राज्यों- पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच यही मिठाई कड़वाहट लेकर आई है। नोबिन चंद्रा के परपोते अनिमिख रॉय ने कहा कि रोसोगुल्ला के बारे में यह कहना कि 700 साल पहले ओडिशा में इसकी खोज हुई, गलत है। बंगाल में 18वीं सदी के दौरान डच और पुर्तगाली उपनिवेशवादियों ने छैने से मिठाई बनाने की तरकीब सिखाई और तभी से रसोगुल्ला का अस्तित्व मिलता है। खानपान के कई जानकार मानते हैं कि रसगुल्ला की खोज नवीन चंद्रा (इन्हें कोलंबस ऑफ रोसोगुल्ला भी कहा जाता है) ने 1868 में की थी। हालांकि कई जानकारों का कहना है कि हाल ही में कई ऐसे ऐतिहासिक तथ्य सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि रसगुल्ला ओडिशा की देन है। उन्होंने तर्क दिया है कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के अस्तित्व में आने के बाद रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। तभी रसगुल्ला भी अस्तित्व में आया। सांस्कृतिक इतिहासकार असित मोहंती ने बताया कि भगवान जगन्नाथ द्वारा मां लक्ष्मी को रथयात्रा के समापन के समय रसगुल्ला भेंट करने की परंपरा 300 साल पुरानी है। बंगाल तो खुद ही मान रहा है कि उसका रसगुल्ला 150 साल पुराना है। उन्होंने कहा कि यह सदियों से एक खास ओड़िया मिठाई रहा है और इसे बनाने की शुरुआत इसी राज्य से हुई है। ओडिसा का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय रसगुल्ला को राज्य की भौगोलिक पहचान (जीआई) से जोड़ने में लगा हुआ है। दस्तावेज इकट्ठा किए जा रहे हैं जो साबित करेंगे कि 'पहला रसगुल्ला' भुवनेश्वर और कटक के बीच अस्तित्व में आया था। लेकिन, पश्चिम बंगाल इन सभी दावों का तोड़ ढूंढ रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार रसगुल्ला या रसोगुल्ला को अपना बताने के लिए ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाने में केसी दास प्राइवेट लिमिटेड की मदद ले रही है। यह मिठाई की दुकानों की श्रृंखला है जो नोबिन चंद्रा के वंशजों द्वारा संचालित की जा रही है। पश्चिम बंगाल की तरफ से जवाब देने के लिए विस्तृत डोजियर तैयार किया गया है। इसमें मुख्य रूप से तीन तर्क दिए गए हैं जिसमें कहा गया है कि छेना से रसगुल्ला बना, छेना बंगाल में ही अस्तित्व में आया, साथ ही रसोगुल्ला शब्द बांग्ला भाषा का है।
  • Blogger Comments
  • Facebook Comments

0 comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रियाएँ क्रांति की पहल हैं, इसलिए अपनी प्रतिक्रियाएँ ज़रूर व्यक्त करें।

Item Reviewed: रसगुल्ले को लेकर आमने-सामने हुए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा! Rating: 5 Reviewed By: newsforall.in