पुरी। भगवान जगन्नाथ की इस शताब्दी की पहली नबकेलवर रथयात्रा को करीब 15 लाख श्रद्धालुओं ने देखा। रथयात्रा के दौरान हुई भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध पर्व का रंग रथ खींचने के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति से फीका पड़ गया, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गई और करीब 20 अन्य लोग घायल हो गए। पुरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ज्ञानेन्द्र साहू ने कहा, 'घटना में दो महिलाओं की मौत हो गई और कुछ जख्मी हुए लोगों को जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल में ले जाया गया।' उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से जख्मी दो लोगों को एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।
डीजीपी संजीव मारिक ने कहा कि ग्रैंड रोड पर धक्का-मुक्की की घटना को छोड़कर पर्व शांतिपूर्ण रहा जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। शहर में दुनियाभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे, जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की नौ दिनों की यात्रा के समापन अवसर को देखा। यात्रा गुंडिचा मंदिर तक गई और फिर वापस लौटी। श्री जगन्नाथ की 12वीं सदी के मंदिर के देवी-देवताओं की वार्षिक रथयात्रा की झलक पाने के लिए शुक्रवार से ही काफी संख्या में लोग जुटने लगे थे। राज्यपाल एस.सी. जमीर और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सहित काफी संख्या में वीवीआईपी ने भी इस बड़े समारोह में शिरकत की। केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा, आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी रथयात्रा के दौरान समारोह में मौजूद रहे। श्रद्धालु काफी उत्साहित रहे क्योंकि नबकलेवर के दौरान देवी-देवता 45 दिनों तक मंदिर के अंदर रहे। नबकलेवर के दौरान भगवान अपना शरीर बदलते हैं जो 19 वर्षों के बाद हुआ है। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे और 10 हजार कर्मियों की तैनाती की गई थी। इसके अलावा हवाई और तटीय सुरक्षा के भी प्रबंध किए गए थे।
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