इंदौर (मध्य प्रदेश)। याकूब मेमन की फांसी के बीच अब भी वो तमाम अपराधी फांसी के फंदे का इंतजार कर रहे है, जिन्हें अदालत मौत की सजा सुना चुकी है। इसमें इंदौर की 27 वर्षीय नेहा वर्मा भी है। बेहद खूबसूरत और महज 27 साल की इस युवती और उसके दो साथियों को एक ही परिवार की तीन महिलाओं की हत्या का दोषी करार दिया गया था। इंदौर की सेशन कोर्ट ने तीनों आरोपियों को तीन बार फांसी की सजा सुनाई थी। नेहा वर्मा अभी इंदौर की जिला जेल में अपनी मौत की सजा पर अंतिम फैसले का इंतजार कर रही है। सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया है, जहां उसकी अंतिम सुनवाई बाकी है। फैसला सुनाते समय विशेष अपर सत्र न्यायाधीश डीएन मिश्र ने कहा था कि आरोपियों ने एक ही परिवार की तीन पीढियों को समाप्त किया है, लिहाजा ये दया के पात्र नहीं हैं। देश में पहली बार किसी युवती को इस तरह फांसी की सजा सुनाई गई। वहीं मध्यप्रदेश में किसी महिला को फांसी की सजा सुनाए जाने का भी यह पहला मामला था।
19 जून 2011 की शाम पॉश कॉलोनी श्रीनगर मेन में हुए ट्रिपल मर्डर ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। बीई तृतीय वर्ष की छात्रा अश्लेषा देशपांडे (23) के साथ उसकी मां मेघा (47) व नानी रोहिणी फणसे (70) की बेरहमी से हत्या की गई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस ने नेहा वर्मा, उसके प्रेमी राहुल उर्फ गोविंदा चौधरी (24) और उसके दोस्त मनोज अटोदे (32) को अरेस्ट कर लिया जिनकी मदद से वारदात को अंजाम दिया गया था। इंदौर पुलिस ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का तीन दिनों में खुलासा करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि हत्याकांड की मास्टर माइंड 23 वर्षीय नेहा वर्मा थी। नेहा बीमा कंपनी में एजेंट रह चुकी है। राहुल उसका प्रेमी है। दोनों शादी करना चाहते थे। नेहा के बड़े सपने थे और वह ऐशो आराम की जिंदगी चाहती थी, इसलिए उन्होंने यह खौफनाक साजिश रची। जिला जेल में कैद नेहा एकमात्र महिला कैदी है जिसे फांसी की सजा दी गई है। प्रस्तुतिः ममता वार्ष्णेय
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