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बिहार भाजपा में ‘चेहरे’ की चर्चा के बाद डगमगाने लगी सियासी चाल

नई दिल्ली/पटना। बिहार भाजपा के प्रभारी व केन्द्रीय मंत्री अनन्त कुमार के बिहार पहुंचते ही सियासी सरगर्मी तेज हो गई। वैसे तो यहां नीतीश कुमार के दुबारा सीएम बनने के बाद से ही राजनीतिक हलचल तेज है, लेकिन 16 जून के बाद भाजपा की भीतरी सियासत भी उभर कर सामने आने लगी है। दरअसल, बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाएगी, यह सवाल हर कोई जानना चाह रहा था, लेकिन अनन्त कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल मोदी ही बिहार का चेहरा होंगे। मोदी यानी नरेन्द्र ना कि सुशील। इसके बाद राजधानी दिल्ली से लेकर पटना तक हलचल तेज है। उधर, जनता परिवार के सीएम उम्मीदवार नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए कहा कि मांझी विश्वासघाती हैं और जनता विश्वासघात करने वालों को सबक सिखाती है। नीतीश ने मांझी की तुलना विभीषण से भी की। कहा कि जैसे कोई अपने घर में किसी बच्चे का नाम विभीषण नहीं रखता। वैसे ही नीतीश ने कहा कि जीतन राम मांझी का नाम लेने से भी लोग परहेज करेंगे। नीतीश की प्रतिक्रिया से निश्चित रूप से जीतन राम मांझी खुश नहीं होंगे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में सियासी सरगर्मी अभी से कितनी तेज हो गई है। उधर, इस बीच मांझी ने दावा किया है कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। मांझी ने दावा किया कि गठबंधन में उनकी पार्टी को कम से कम 71 सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि मांझी के दोनों दावों में तथ्य कम, अखबारी मसाला ज्यादा है। बिहार में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सत्ता की लड़ाई तेज होती जा रही है। आरजेडी और जेडीयू गठबंधन जहां नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुका है, वहीं बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि बिहार में बीजेपी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी। पीएम मोदी ही बीजेपी का चेहरा होंगे, जिसे लेकर बीजेपी चुनाव में उतरेगी। अनंत कुमार ने कहा कि उन लोगों का चेहरा (नीतीश और लालू का चेहरा) जंगल राज का हो चुका है। हमारा जो चेहरा है वह नरेंद्र भाई के नेतृत्व में सुशासन और स्वराज का चेहरा है...इसलिए लोग इस चेहरे को अपनाएंगे। इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि भाजपा के पास बिहार में नीतीश कुमार के मुकाबले कोई चेहरा नहीं है। अब वह दिल्ली की तर्ज पर वहां भी किसी किरण बेदी की तलाश में है। परंतु इतना कहना चाहता हूं कि जो हाल दिल्ली में किरण बेदी का हुआ वही हाल बिहार में भाजपा की किसी दूसरी ‘किरण बेदी’ का भी होगा। यह पहला मौका होगा जब विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मेरा सवाल भाजपा से यह है कि क्या नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बिहार का मुख्यमंत्री बनेंगे? हाल ही में ‘धर्मनिरपेक्ष गठबंधन’ के दलों जदयू, राजद, कांग्रेस और राकांपा की ओर से नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। केंद्रीय संचार मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए कहा कि वे तो कॉल ड्रॉप की समस्या सुधारने में लगे हैं, लेकिन बिहार की जनता आने वाले चार महीने के बाद उन्हें (नीतीश) ड्रॉप करने वाली है। प्रसाद ने कहा कि मैं घाटे में चल रहे बीएसएनएल को सुधारने में लगा हूं, परंतु नीतीश अपने नए मित्रों के साथ बिहार को गर्त में ले जा रहे हैं। नीतीश आज उन्हीं लोगों के साथ खड़े हैं, जिनके कारण बीएसएनएल की यह दुर्गति हुई है। इससे पहले नीतीश ने केंद्रीय मंत्री प्रसाद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बीएसएनएल का कॉलड्रॉप नहीं थम रहा है और वे लगातार नई घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने सलाह दी कि केंद्रीय मंत्री पहले बीएसएनल की स्थिति में सुधारें। उधर, अपनी बेबाकअंदाजी के लिए मशहूर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भाजपा को 'खुजली' करार देते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उसे खत्म करने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाएगी। भाजपा 'दाद, खाज, खुजली, दिनाई' है जिसे हमें खत्म करने की जरूरत है। मैंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे इसे खत्म करने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाएं। उन्होंने कहा कि वह व उनके पार्टी कार्यकर्ता अनुशासन भंग किए बिना अथवा किसी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किए बिना यह काम करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता आधारहीन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के लोग संयम बरतेंगे। (साभार)
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