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सुषमा के बाद ललित मोदी प्रकरण के लपेटे में आईं वसुंधरा राजे सिंधिया!


नई दिल्ली। आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी से केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की निकटता पर मचा हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि सुषमा के बाद अब राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भी ललित मोदी प्रकरण के लपेटे में आने लगी हैं। जबकि ललित मोदी ने कहा है कि ब्रिटेन ने उनकी आव्रजन याचिका का लिखित में समर्थन किया था और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से उनके ‘‘पारिवारिक’ रिश्ते हैं। उन्होंने दावा किया कि सुषमा के पति और बेटी ने उन्हें ‘नि:शुल्क’कानूनी सुविधाएं मुहैया कराईं। मोंटेनिग्रो में छुट्टियां मना रहे ललित मोदी ने कहा कि उनकी पत्नी के कैंसर उपचार के लिए राजे दो वर्ष पहले उनके साथ पुर्तगाल गई थीं। राजे दूसरी बार दिसम्बर 2013 में राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। आईपीएल के पूर्व दागी आयुक्त की टिप्पणियां काफी मायने रखती हैं, क्योंकि यह एक खबर के कुछ घंटे बाद सामने आई। खबर में बताया गया कि ब्रिटेन में आव्रजन मामले के लिए राजे ने अगस्त 2011 में ब्रिटेन के अधिकारियों को ‘गवाही वाला बयान’दिया था। भारत से भागने के बाद मोदी ब्रिटेन में रह रहे हैं। भारत में वह धनशोधन मामले और फेमा उल्लंघन के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। ललित मोदी धड़े की तरफ से राजे के कथित ‘गवाही वाले बयान’ को उजागर किया गया, लेकिन बाद में राजे ने कहा कि उन्हें दस्तावेज की जानकारी नहीं है। उन्होंने जयपुर में कहा कि निश्चित रूप से मैं ललित मोदी परिवार को जानती हूं। मैं हमेशा से उनको जानती हूं, लेकिन मुझे नहीं मालूम कि वे किन दस्तावेजों की बात कर रहे हैं। साक्षात्कार में मोदी ने कहा, वसुंधरा राजे से मेरे संबंध 30 वर्ष पुराने हैं। उस संबंध के बारे में सबको पता है। ललित मोदी ने कहा कि वह परिवार और मेरी पत्नी की लंबे समय से निकट मित्र हैं। उन्होंने खुलेआम यह बात स्वीकार की, लेकिन दुर्भाग्य से जब मामले पर सुनवाई हुई तो वह मुख्यमंत्री बन चुकी थीं इसलिए वह गवाह बनने नहीं आईं। जो बयान उन्होंने दिए हैं, वह अदालत के रिकॉर्ड में है। उन्होंने कहा कि जब मेरी पत्नी बीमार थीं तो राजे और सुषमा ने मेरा सहयोग किया। सुषमा स्वराज से संबंधों के बारे में पूछने पर मोदी ने कहा कि यह पारिवारिक, कानूनी रिश्ते हैं, आप चाहे जो कह लें, लेकिन बात वह नहीं है। मैं कई नेताओं का करीबी हूं न केवल स्वराज का। मोदी ने कहा कि मेरी पत्नी को पुर्तगाल कौन ले गया, वसुंधरा राजे ले गईं। इस बात को कोई नहीं जानता, मैं इसे अब रिकॉर्ड के रूप में सामने रखता हूं। उन्होंने कहा कि वह उनकी पत्नी मीनल के साथ 2012 और 2013 में गई थीं। गवाह वाले बयान’ के सामने आने से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लेकर चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। मोदी ने कहा, मैंने उनसे (स्वराज) मदद मांगी। किसी अन्य विदेश मंत्री से भी इसी तरह मदद मांगता। उन्होंने कहा कि मैं स्वराज कौशल (सुषमा के पति) को 20 वर्षों से जानता हूं। वह 20 वर्षों से मेरे वकील हैं। उनकी बेटी बांसुरी चार वर्षों से मेरी वकील हैं। उन्होंने कहा कि वे ‘नि:शुल्क’ सेवाएं दे रहे हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा सुषमा स्वराज का समर्थन किए जाने के कुछ घंटे बाद ही गवाही वाले बयान का मामला सामने आया। जेटली ने कहा था कि उन्होंने नेक काम किए। दस्तावेज में गोपनीय शर्तें थीं, जिसमें राजे ने ललित मोदी के मामले का कथित रूप से समर्थन किया, लेकिन राजे नहीं चाहती थीं कि भारतीय अधिकारियों के समक्ष इसका खुलासा हो। सुषमा उस वक्त राजनीति तूफान में फंसती नजर आईं जब ब्रिटेन के संडे टाइम्स ने लेबर पार्टी के प्रभावशाली सांसद कीथ वाज और ब्रिटेन की वीजा और आव्रजन प्रमुख सारा रैपसन के बीच ‘बातचीत का खुलासा’ कर दिया। बातचीत में बताया गया है कि स्वराज ने ललित मोदी के लिए यात्रा दस्तावेज देने का आग्रह किया था। टीवी चैनल ने मोदी के हवाले से बताया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल तथा कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी उनकी मदद की। शुक्ला ने कहा कि मोदी से उनकी तीन वर्षों से बात नहीं हुई है जबकि पवार ने कहा कि उन्होंने पूर्व आईपीएल प्रमुख को यह समझाने का प्रयास किया कि वह भारत लौट आएं और जांच का सामना करें। पत्नी की सर्जरी के तीन दिनों बाद मशहूर इबिजा रिसॉर्ट में छुट्टियां मनाने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि पुर्तगाल चिकित्सा केंद्र में ‘बेहतरीन इलाज’ के बाद परिवार ने जश्न मनाने का निर्णय किया था। मोदी ने कहा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की है और हमेशा नियमों का पालन किया और उन्होंने अपने सभी बकाये का भुगतान किया है। मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने उन पर निशाना साधा और कहा कि वह ‘भगोड़ा’ नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि आईपीएल घोटाले में शशि थरूर का मंत्री पद जाने के बाद संप्रग सरकार ने ‘राजनीतिक बदले’ की भावना से काम किया। वहीं दूसरी ओर, ललित मोदी को पासपोर्ट लौटाए जाने के मुद्दे पर वित्त और विदेश मंत्रालय के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। दरअसल, ललित मोदी का पासपोर्ट 2010 में वापस ले लिया गया था, जिसे पिछले साल अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया, लेकिन कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सरकार ने अपील नहीं की। जहां वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अपील का फैसला विदेश मंत्रालय को लेना था, वहीं विदेश मंत्रालय के सूत्र बता रहे हैं कि यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को करना था, क्योंकि यह केस ईडी ही लड़ रहा था, जो वित्त मंत्रालय के अधीन आता है। जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप प्रवर्तन निदेशालय और विदेश मंत्रालय के बीच देखे जा रहे हैं, उससे लग रहा है कि सुषमा स्वराज अकेली पड़ रही हैं, क्योंकि कल तक केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी थी। वहीं पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा है कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। इससे यह बात भी सामने आ रही है कि क्या विदेशमंत्री ने अपने स्तर पर इस मामले को आगे बढ़ाया। उधर, कांग्रेस की तरफ से आरोप लग रहे हैं कि सुषमा की तरफ से जो मदद दी गई वह पीएमओ की मदद के बिना नहीं दी जा सकती, लेकिन अब जो तथ्य समाने आ रहे हैं, उससे लगता है कि ये वित्त और विदेश मंत्रालयों के बीच का मामला है। कांग्रेस ने इस मामले पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं। कांग्रेस ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफ़े की मांग भी की है। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि अगर सरकार को जानकारी नहीं कि विदेश मंत्रालय में क्या हो रहा है तो ये निकम्मी सरकार है। (साभार)
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